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बेमिसाल हैं महेंद्र सिंह धौनी

आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in महेंद्र सिंह धौनी 38 वर्ष के हो गये. ऐसी अटकलें हैं कि वह विश्व कप के बाद संन्यास की घोषणा कर सकते हैं. वैसे हमेशा से एक लॉबी धौनी के खिलाफ सक्रिय रही है और वह सोशल मीडिया में एक सुनियोजित अभियान चलाती रही है. इसमें यह […]

आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
महेंद्र सिंह धौनी 38 वर्ष के हो गये. ऐसी अटकलें हैं कि वह विश्व कप के बाद संन्यास की घोषणा कर सकते हैं. वैसे हमेशा से एक लॉबी धौनी के खिलाफ सक्रिय रही है और वह सोशल मीडिया में एक सुनियोजित अभियान चलाती रही है.
इसमें यह बताने की कोशिश की जाती है कि अब वह चुक गये हैं, टीम पर बोझ बन गये हैं. उन्हें अब विदा करने का वक्त आ गया है. उनके मुकाबले अन्य खिलाड़ियों को भी खड़ा करने की कोशिश की जाती है, लेकिन हर बार धौनी ने अपनी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग, दोनों से अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है. उन्होंने हर बार यह साबित किया है कि भारतीय टीम में उनका कोई विकल्प नहीं है. उनकी आक्रामकता में भले ही कमी आ गयी हो, लेकिन उनकी लय आज भी बरकरार है. संन्यास की अटकलों पर धौनी ने कहा कि उन्हें खुद नहीं पता है कि वह कब संन्यास लेंगे, लेकिन कुछ लोग चाहते थे कि वह श्रीलंका के मैच से पहले ही संन्यास ले लें.
यह प्रसन्नता की बात है कि भारतीय कप्तान विराट कोहली खुल कर धौनी के पक्ष में सामने आये हैं. विराट ने कहा कि लोग बहुत कुछ कहते हैं, लेकिन हमें पता है कि भारतीय क्रिकेट के प्रति धौनी से ज्यादा समर्पित कोई खिलाड़ी नहीं है. उन्होंने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है.
मेरा मानना है कि जन्मदिन एक अवसर भी है, जब हम क्रिकेट में उनके योगदान की समीक्षा कर सकते हैं. धौनी ने क्रिकेट का चाल, चरित्र और चेहरा बदल दिया. भारतीय क्रिकेट टीम में केवल मुंबई और दिल्ली के खिलाड़ियों का बोलबाला था.
झारखंड से निकले इस क्रिकेटर ने न केवल टीम में जगह बनायी, बल्कि उसे नयी ऊंचाइयों तक ले गया. उसने टीम का न केवल सफल नेतृत्व किया, बल्कि छोटी जगहों से आने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए टीम में आने का रास्ता भी खोला. कपिल देव को छोड़ दें, तो इसके पहले टीम में ज्यादातर बड़े शहरों से आये अंग्रेजीदां खिलाड़ियों का ही बोलबाला रहा है.
धौनी ने इस परंपरा को बदला और भारतीय क्रिकेट टीम को तीनों फॉर्मेट में सफल नेतृत्व भी प्रदान किया. इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि उन्होंने झारखंड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है. मेरे परिवार के युवा जब कभी रांची आते हैं, तो उनमें से कई का अनुरोध होता है कि क्या धौनी से मुलाकात करा देंगे? अंत में धौनी के घर के बाहर खड़े होंगे, सेल्फी लेकर वे संतुष्ट हो जाते हैं. यह दर्शाता है कि धौनी को नवयुवक किस हद तक चाहते हैं.
जन्मदिन से ठीक पहले क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय संस्था आइसीसी ने ट्वीट किया और एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें यह बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय और भारतीय क्रिकेट में उनका क्या योगदान रहा है.
आइसीसी ने धौनी की तारीफ में लिखा- एक नाम जिसने भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल दिया, एक नाम जो दुनियाभर में लोगों को प्रेरणा दे रहा है, एमएस धौनी- सिर्फ एक नाम नहीं है. आइसीसी के वीडियो में आम क्रिकेट फैन के अलावा टीम के साथी खिलाड़ी और कुछ विदेशी क्रिकेटर धौनी के बारे में अपनी राय रख रहे हैं.
वीडियो में भारतीय कप्तान विराट कोहली कह रहे हैं कि जब वह पहली बार भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में गये थे, तब महेंद्र सिंह धौनी उनके कप्तान थे और वह हमेशा उनके कप्तान बने रहेंगे. क्रिकेट के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि धौनी इसलिए महान हैं, क्योंकि वह दबाव में भी सटीक निर्णय ले सकते हैं. उनमें मुश्किल परिस्थितियों में भी खुद को शांत रखने का गजब का कौशल है.
अगर आपने विश्व कप के मैचों पर गौर किया हो, तो आप पायेंगे कि मैदान में विराट कोहली आधे कप्तान हैं और आधे धौनी हैं. वह विकेट के पीछे से गेंदबाजों को कैसी और कहां गेंद करें, इसकी लगातार हिदायत देते रहते हैं.
स्पिनर के वक्त तो उनकी सक्रियता और बढ़ जाती है. इसी का नतीजा है कि हम-आप अपने गेंदबाजों से कुछ शानदार विकेट देख पा रहे हैं, साथ ही धौनी की स्टंपिंग का लुत्फ उठा पा रहे हैं. वह युवा स्पिनरों चहल और कुलदीप यादव को लगातार सलाह देते नजर आते हैं. धौनी गेंदबाजों को खराब गेदें डालने पर झिड़कते भी हैं. हालांकि विकेट का सारा श्रेय गेंदबाजों को मिलता है, लेकिन हम धौनी के योगदान की अक्सर अनदेखी कर जाते हैं.
यह अनुभव और विशेषता किसी अन्य विकेटकीपर में कहां मिलेगी? जब भी कोई रिव्यू लेने की बात आती है, कप्तान विराट कोहली उनके पास जाते हैं और धौनी का निर्णय अंतिम होता है. यह सही है कि वह विकेट के पीछे रहते हैं और बेहतर स्थिति में होते हैं. दुनिया के सभी विकेटकीपर इसी स्थिति में होते हैं, लेकिन धौनी रिव्यू का सटीक आकलन करते हैं. यही वजह है कि भारतीय टीम के अधिकांश रिव्यू सफल भी होते हैं.
भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री भी धौनी के मुरीद हैं. उन्होंने कुछ समय पहले कहा था कि धौनी जैसे खिलाड़ी 30-40 साल में एक बार आते हैं. जब तक वह सक्रिय हैं, हर भारतीय को उनके खेल का आनंद उठाना चाहिए. जब वह खेल के मैदान से चले जायेंगे, तो एक बड़ा खालीपन होगा, जिसे भरना मुश्किल होगा. वह टीम में पूजे जाते हैं.
यह पूरी टीम उनके द्वारा बनायी हुई है, क्योंकि वह पूरे 10 साल तक टीम के कप्तान रहे हैं. धौनी के नाम एक-से-एक रिकॉर्ड दर्ज हैं. वह दुनिया के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिनके नेतृत्व में किसी टीम ने आइसीसी की तीनों ट्रॉफियां जीती हैं. धौनी की कप्तानी में भारत ने 2011 का वर्ल्ड कप और 2007 का आइसीसी वर्ल्ड ट्वेंटी-20 और 2013 में आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता है. उनके नाम 10 वनडे सेंचुरी हैं और सौ से अधिक हाफ सेंचुरी हैं. वनडे मैचों में 100 स्टंपिंग करने वाले वह दुनिया के एकमात्र विकेटकीपर हैं.
उनकी तेजी और फुर्ती में कोई कमी नहीं है. पलक झपकते ही वह बल्लेबाज की गिल्लियां उड़ा देते हैं. यह बात देश और विदेश के सभी खिलाड़ियों को पता है कि अगर धौनी के हाथ में गेंद आ गयी और प्लेयर क्रीज से जरा-सा भी बाहर है, तो बल्लेबाज किसी भी सूरत में बच नहीं सकता है.
सोशल मीडिया धौनी की ऐसी स्टंपिंग से भरा पड़ा है. जब वह अपने रंग में होते हैं, तो बड़े-से-बड़े बल्लेबाजों को मैदान के बाहर का रास्ता दिखा देने में देर नहीं लगाते हैं. मेरा मानना है कि उन पर जब भी कभी टीका-टिप्पणी की जाए, तो उनके योगदान को जरूर याद कर लिया जाना चाहिए.

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