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कैसे बदलेगा देश का चेहरा

विश्वनाथ सचदेव वरिष्ठ पत्रकार navneet.hindi@gmail.com बात उन दिनों की है, जब प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. पहली बार दिल्ली में एक कॉलेज में उन्हें भाषण देने के लिए बुलाया गया था. पता नहीं किन कारणों से, लेकिन मीडिया पर यह भाषण लाइव दिखाया गया था. अब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने हुए तीन वर्ष […]

विश्वनाथ सचदेव
वरिष्ठ पत्रकार
navneet.hindi@gmail.com
बात उन दिनों की है, जब प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. पहली बार दिल्ली में एक कॉलेज में उन्हें भाषण देने के लिए बुलाया गया था. पता नहीं किन कारणों से, लेकिन मीडिया पर यह भाषण लाइव दिखाया गया था. अब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने हुए तीन वर्ष होगये हैं.
अपने कार्यकाल के आधे से अधिक अवधि की समाप्ति पर उनके पास ऐसा बहुत कुछ है, जिसे वे अपने शासन की उपलब्धि बता सकते हैं. आज देश की औद्योगिक विकास-दर दुनिया में संभवत: सबसे अधिक है. देश में उद्योग-जगत की हस्तियां उनके कार्यों की सराहना कर रही हैं. एक सर्वेक्षण में इन हस्तियों ने उन्हें दस में से सात अंक दिये हैं.
एक तिहाई लोग भ्रष्टाचार रहित सरकार को उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं. सैंतीस प्रतिशत का मानना है कि आधार भूत ढांचे को मजबूत बनाने के काम में शानदार प्रगति हुई है. दस प्रतिशत लोग कालेधन पर उनके हमले की सराहना कर रहे हैं. मोदी-सरकार के पिछले तीन साल के कार्यकाल में हुए काम को 17 प्रतिशत लोग आशातीत मान रहे हैं और लगभग 44 प्रतिशत लोगों को यह आशा के अनुरूप लग रहा है. जिन्हें यह अपेक्षा से कम लग रहा है, उनकी संख्या 39 प्रतिशत है. किसी भी सरकार के लिए यह आंकड़े संतोष का कारण हो सकते हैं.
इन तीन सालों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भाजपा ने महाराष्ट्र, हरियाणा, असम और मणिपुर में पहली बार अपने बूते पर सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की है. पहली बार जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ मिल कर भाजपा ने सरकार बनायी है. झारखंड, उत्तराखंड और गोवा में फिर से भाजपा सत्ता में आयी है. बिहार की हार का बदला भाजपा ने उत्तर प्रदेश में ले लिया है.
इन चुनावी सफलताओं के संदर्भ में भाजपा पर आरोप भी लगे हैं. लेकिन इस सबके बावजूद यह तो स्वीकारना ही होगा कि भाजपा के इस ‘विजय-अभियान’ में प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रही है. सामान्य जन से बात करें तो जो बात सुनाई देती है, वह यह है कि सबका विकास भले ही न हुआ हो, मोदी-सरकार कुछ कर तो रही है. यहीं इस बात को भी स्वीकारना होगा कि सारी कमियों के बावजूद भाजपा यह छवि बनाने में सफल रही है कि उसके नेतृत्व वाली सरकार पिछली सरकार की तुलना में अधिक सक्रिय है. राजनीति में छवि का महत्व बहुत अधिक होता है. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार बहुत कुछ अच्छा करने बावजूद छवि के मामले में मार खा गयी थी.
प्रधानमंत्री मोदी जिस श्रेय के हकदार हैं, वह उन्हें मिलना चाहिए. लेकिन एक साल या दो साल या तीन साल के पड़ाव किसी सरकार के लिए अपनी उपलब्धियों पर इतराने के नहीं होने चाहिए.
ये अवसर आत्मान्वेषण के होने चाहिए. जो किया है, उसका संतोष तो होना चाहिए, पर जो नहीं कर पाये, जो करना बाकी है, उसकी चिंता ज्यादा होनी चाहिए. राजनीतिक ईमानदारी का तकाजा है कि वर्तमान सरकार अपने कार्यकाल के बाकी बचे दो सालों में जो काम करना चाहती है, उनका नक्शा, उनका ब्यौरा देश के सामने रखे. यह तो कोई नहीं कहेगा कि तीन साल की अवधि में ‘सबका विकास’ हो जाना चाहिए था, पर यह तो लगना चाहिए था कि यह सिर्फ नारा नहीं है.
आज देश की एक बहुत बड़ी समस्या यह सामाजिक शांति है, जो देश का चेहरा बदलने के लिए प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी शर्त है.यह शांति कोई देगा नहीं, प्रधानमंत्रीजी, यह स्वयं अर्जित करनी होती है. धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर जिस तरह का माहौल देश में बन रहा है (पढ़िए, बनाया जा रहा है) वह किसी भी संवेदनशील सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए. और चिंता की बात यह भी है कि विकास की सबसे बड़ी शर्त, सामाजिक शांति, को स्वयं प्रधानमंत्री के समर्थकों से सबसे ज्यादा खतरा लग रहा है. सच्चा और अच्छा नेतृत्व वह होता है, जिसके समर्थक और अनुयायी उसके इशारों को समझें. यदि देश का चेहरा बदलने के लिए प्रधानमंत्री को सामाजिक शांति की आवश्यकता है, तो स्वयं को उनका समर्थक बतानेवालों को यह बात समझनी होगी कि यह शांति बनाये रखने का दायित्व उनका है.
गंगा-जमुनी तहजीब वाले इस देश में धर्मों, जातियों, वर्णों, वर्गों की समरसता का अहसास पलना चाहिए. किसी भी तरह का बंटवारा इस देश के मन को, छोटा कर देगा. वो जो आधे खाली और आधे भरे गिलास बाली बात आपने कही थी प्रधानमंत्रीजी, उसमें आधी हवा का जुमला आपने उछाला था. दुर्भाग्य से, वह हवा दूषित हो रही है.
जहरीला है यह प्रदूषण. देश का चेहरा तब बदलेगा, जब आधे गिलास में भरी हवा भारतीयता का ठोस और स्पष्ट आकार लेगी. जनतंत्र में हर सरकार को हर समय प्रयासों की ईमानदारी का प्रमाण देना होता है. यही उनकी परीक्षा होती है, यही उपलब्धि भी.

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