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नोटबंदी से लांग टर्म फायदा

गुरचरण दास लेखक पूरे एक साल बाद भी विमुद्रीकरण (सामान्यतया िजसे नोटबंदी कहा जाता है) का फायदा अभी भले न दिख रहा हो, लेकिन आगे चलकर इसका फायदा दिखना अभी बाकी है. क्योंकि, शुरू से ही इसके लांग टर्म में फायदा होने की बात शामिल रही है. विशेषज्ञों ने ऐसा माना है. यह बेहद स्वाभाविक […]

गुरचरण दास

लेखक

पूरे एक साल बाद भी विमुद्रीकरण (सामान्यतया िजसे नोटबंदी कहा जाता है) का फायदा अभी भले न दिख रहा हो, लेकिन आगे चलकर इसका फायदा दिखना अभी बाकी है. क्योंकि, शुरू से ही इसके लांग टर्म में फायदा होने की बात शामिल रही है. विशेषज्ञों ने ऐसा माना है. यह बेहद स्वाभाविक है कि किसी भी बड़े और राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक विभिन्नताओं वाले देश में किसी ठोस और कठोर फैसले लेने से लांग टर्म में होनेवाले उसके लाभ छह महीने या साल भर में नहीं दिखते.

हम एक बड़े देश में रहते हैं और हमारी अनेकों परेशानियां हैं. अभी देश के हर नागरिक तक बिजली और इंटरनेट के साथ बैंकिंग सिस्टम की पहुंच नहीं है.

इसके लिए हमारी सरकार सतत प्रयास कर रही है कि देश का हर घर बिजली से रोशन हो. इसलिए मेरा अपना अनुमान है कि यह लांग टर्म कम से कम तीन से पांच साल का होगा. यह लांग टर्म अब शुरू हो चुका है, और उसका फायदा मिलना भी शुरू हो गया है और आगे चलकर यह फायदा दिखने भी लगेगा. अब लोग डिजिटल लेन-देन करने लगे हैं. मैंने बहुत पहले ही कहा था कि इससे लांग टर्म ही फायदा मिल सकता है, शॉर्ट टर्म में नहीं.

हालांकि, जिस प्रकार से अचानक आये फैसले से आम लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ा, वह ठीक नहीं था. सरकार को इसके लिए पहले अच्छी तरह से एक अध्ययन करा लेना चाहिए था कि आम जनता पर इसका क्या और कितना त्वरित असर पड़ सकता है.

तकलीफें तो हुईं, लेकिन जिस तरह से भारत की आम जनता ने धैर्य के साथ इस तकलीफ का सामना किया और सरकार पर अपनी उम्मीद बनाये रखी कि निकट भविष्य में कुछ अच्छा होगा, तो वह बहुत सुखद जान पड़ता है.

यह हमारे समृद्ध लोकतंत्र की पहचान है. पुराने नोटों को बदलने और नये नोटों को प्राप्त करने में लोगों की परेशानियों से संबंधित जितनी भी चीजें सामने आयीं, चाहे वह बैंक में लाइन लगाने की परेशानी हो या फिर एटीएम पर, उससे यह तो कहा ही जा सकता है कि इसकी तैयारी अगर पूर्वाध्ययन के अनुरूप हुई होती, तो शायद उससे लोगों को इतनी परेशानी नहीं हुई होती और लोग भी खुश हुए होते. सरकार पर लोगों का भरोसा और भी मजबूत होता. अब एक साल हो गये हैं, अब धीरे-धीरे स्थिति न सिर्फ सामान्य हो जायेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी, जाे फिलहाल नाजुक स्थिति में है.

किसी भी फैसले को लागू करने में कुछ परेशानियां आती हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. इस ऐतबार से नोटबंदी भी ऐसा ही फैसला था. लेकिन इसके कई फायदे हैं.

सबसे पहले तो सरकार के सख्त कदम उठाने का रिस्क लेने से उसमें हिम्मत आती है और वह कड़े फैसले करने में सक्षम बनती है. भ्रष्टाचार पर नकेल कसती है और वित्तीय अनियमितताओं काे दूर करती है. नोटबंदी से भ्रष्टाचार में काफी कमी आयी है और आगे भी इसमें कमी आयेगी. नोटबंदी का जो सबसे बड़ा फायदा हुआ है, वह यह है कि कैशलेस ट्रांजेक्शन तेजी से बढ़ा है और यह अभी और बढ़ेगा.

हालांकि, अभी हर व्यापारी या लोगों के पास कैशलेस ट्रांजेक्शन की सुविधा नहीं है, जिसको लेकर सरकार प्रयासरत है. लेकिन, जल्दी ही यह समस्या भी दूर हो जायेगी, जब लोग इस बात को समझने लगेंगे कि कैशलेस ट्रांजेक्शन से उनका कितना समय बच रहा है और उनके काम में कितनी आसानी आ रही है. धीरे-धीरे बढ़ते जाते कैशलेस ट्रांजेक्शन से काला धन पर लगाम लगती जाती है और भ्रष्टाचार कम होता है.

अगर गौर किया जाये, तो लोग अब ज्यादा से ज्यादा डिजिटल मनी की तरफ जाने लगे हैं.

नोटबंदी से पहले लोग इस तरफ उतना ध्यान नहीं देते थे, लेकिन हमारा देश अब डिजिटल इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहा है. यह कैशलेस प्रक्रिया भ्रष्टाचार रोकने में काफी मददगार होगा. दूसरी बात यह कि इससे टैक्स देनेवालों की संख्या बढ़ेगी, जिससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा, जिसका इस्तेमाल जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जायेगा. जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी अब अनियमितताएं कम होंगी, क्योंकि अब सारा हिसाब-किताब डिजिटल तरीके से होगा. इसमें अभी समय तो लगेगा ही, इसलिए पहले जरूरी है कि हम लोग डिजिटल इकोनॉमी के प्रावधानों को समझने की कोशिश करें.

नोटबंदी की अगली कड़ी जीएसटी है, ऐसा कहना उचित नहीं होगा. लेकिन, इतना जरूर कहा जा सकता है कि जीएसटी एक अच्छा फैसला है. सरकार को चाहिए कि अब जीएसटी काे कम से कम सही तरीके से लागू करने की कोशिश करे, क्योंकि यह भी एक अच्छा फैसला है और इससे देश को बहुत फायदा होनेवाला है. यहां एक अच्छी बात देखने को मिल रही है.

वह यह कि नोटबंदी की हड़बड़ी जैसी गलती अब जीएसटी में दिखायी नहीं दे रही है और सरकार लगातार इस मामले में तकनीकी रूप से विकसित कर रही है. कड़े फैसले लेने का यह भी एक फायदा होता है कि उसकी सीख से आगे की योजनाओं के क्रियान्वयन में आसानी होती है.

नोटबंदी के बाद सरकारी पक्ष आम लोगों की बात उतना नहीं सुनता था, जितना कि सुनना चाहिए था. लेकिन, इस बार जीएसटी को लेकर लोगों की बात सुनी जा रही है. यह फैसला भी लांग टर्म में बहुत फायदा देगा.

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