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कैटेलोनिया आजादी का मसला

डॉ श्रीश पाठक अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार इस सहस्त्राब्दी के प्रारंभ से अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन को ‘विश्व राजनीति के वैश्वीकरण की प्रक्रिया’ के तौर पर देखने की वकालत की जाती है. इसका तात्पर्य यह है कि अब विश्व के किसी भी स्थानीय घटना का एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य है और किसी वैश्विक परिप्रेक्ष्य अथवा परिघटना […]

डॉ श्रीश पाठक
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार
इस सहस्त्राब्दी के प्रारंभ से अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन को ‘विश्व राजनीति के वैश्वीकरण की प्रक्रिया’ के तौर पर देखने की वकालत की जाती है. इसका तात्पर्य यह है कि अब विश्व के किसी भी स्थानीय घटना का एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य है और किसी वैश्विक परिप्रेक्ष्य अथवा परिघटना का एक स्थानीय असर भी महत्वपूर्ण है.
आज की विश्व राजनीति में इसलिए ही अंतरसंबंधन (इंटरकनेक्टेडनेस) एक प्रभावी पहलू है. इस दृष्टिकोण से इस समय स्पेन में चल रहे कैटेलोनिया विवाद के निहितार्थ भारतीय संबंध में भी महत्वपूर्ण हैं. स्पेन का एक महत्वपूर्ण राज्य कैटेलोनिया अपनी स्वतंत्रता की मांग कर रहा है. समूचा पश्चिम स्पेन के पक्ष में है और कैटेलोनिया की स्वतंत्रता को गैरजरूरी व असंवैधानिक करार दिया है.
कैटेलोनिया की राजधानी बार्सीलोना कुशल खेल आयोजनों के लिए जानी जाती है, जो इस समय यूरोप सहित पूरे विश्व में अपने आजादी के आंदोलनों के लिए जाना जा रहा है.
प्राचीन मध्यकाल की ऐतिहासिक विरासत वाले कैटेलोनियाई समाज ने अपनी अलग भाषा, संस्कृति और अस्मिता अक्षुण्ण बनाये रखी है. नौवीं शती में बार्सीलोना प्रभाग का गठन कुछ छोटे-छोटे भूभागों को मिलाकर किया गया, ताकि पश्चिमी यूरोपियन देशों और मुस्लिम शासित स्पेन के बीच एक प्रतिरोधक मध्यवर्ती राज्य (बफर स्टेट) बनाया जा सके.
यहीं से कैटेलोनिया अपनी पृथक और खास अस्मिता गढ़ सका. कालांतर में यह स्पेन का भाग बना भी, तो इसकी पृथक अस्मिता की जद्दोजहद चलती रही. 19वीं शताब्दी में पूरा यूरोप जब राष्ट्रवाद की उन्मादी आग में तप रहा था, तब कैटेलोनिया में भी राष्ट्रवाद ने जोर पकड़ा और इसने पृथक स्वतंत्र राष्ट्र बनने की अपनी महत्वाकांक्षा प्रदर्शित की.
वर्ष 1978 के नये स्पेनिश संविधान ने कैटेलोनिया को वह स्वायत्तता प्रदान की जिसकी फ्रांसिस्को फ्रैंको के तानाशाही में निर्ममता से अवहेलना की गयी. स्पेनिश संविधान फ्रांस और इटली के संविधानों की तरह ही एकात्मक संविधान है, जहां केंद्र को राज्यों की तुलना में अधिक वरीयता दी जाती है.
इसके उलट अगर अमेरिका और भारत जैसे राष्ट्रों की तरह यदि स्पेन में भी संघीय सरंचना अपनायी जाती, जिसमें राज्य इकाईयां केंद्र की तरह ही महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होती हैं, तो शायद कैटेलोनिया एक स्पेनिश झंडे के अधीन अपनी पृथक अस्मिता के साथ न्याय कर सकता और यह राज्य अपनी राष्ट्रीय अस्मिता के लिए संघर्षरत न होता. अब कैटेलोनिया जो अपने पृथक इतिहास, भाषा और संस्कृति के साथ स्पेन के 16 प्रतिशत लोगों का घर है, जिसका देश के निर्यात में लगभग 26 प्रतिशत का योगदान है, जिसकी देश के समूचे जीडीपी में 19 प्रतिशत की भागीदारी है और जो स्पेन के सर्वाधिक विकसित राज्यों में है तथा जहां देश के कुल विदेशी निवेश का लगभग 21 प्रतिशत निवेशित है; स्वाभाविक है कि संविधानप्रदत्त स्वायत्तता इस राज्य के लिए पर्याप्त नहीं है.
स्पेन के बाकी राज्य यदि संविधान में परिवर्तन की मांग कर संविधान की प्रकृति को संघवादी करने का प्रयास करते, तो संभवतः कैटेलोनिया एक अलग राष्ट्र-राज्य की अपनी मांग स्थगित रखता.
कैटेलोनिया विवाद को राष्ट्रवाद के विमर्श के रूप में देखने की जरूरत है. राष्ट्रवाद की संकल्पना पश्चिमजनित है. ऐसे राष्ट्रवाद का नारा एकरूपता का है. एक झंडा, एक भाषा, एक संस्कृति से मिलकर एकता तक पहुंचने की निष्ठा का नाम पश्चिमी राष्ट्रवाद है.
किंतु भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस राष्ट्रवाद की बुनियाद रखी, उसका आधार विभिन्नता को बनाया और अनेकता में एकता के दर्शन करने की वकालत की. पिछले सत्तर सालों में आधुनिक भारत ने एकबद्ध होकर भारतीय राष्ट्रवाद के रूप को सही साबित कर दिया है.
आधुनिक राष्ट्रवाद की जन्मभूमि यूरोप ने राष्ट्रवाद की अपनी संकल्पना इतनी संकीर्ण रखी है कि इसने यूरोप को दो-दो विश्वयुद्धों से झुलसाया ही. अभी यूरोप में दो दर्जन से अधिक ऐसे अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं, जो किसी भी समय अपनी पृथक अस्मिता के साथ नये राष्ट्र बनने को तत्पर हैं.
कैटेलोनिया की जनता ने जनमत परीक्षण में और कैटेलोनिया सांसदों ने संसद में नये कैटेलोनिया राष्ट्र के पक्ष में मतदान किये हैं. मैड्रिड ने बार्सीलोना की सरकार को अपदस्थ कर इस दिसंबर में नये चुनाव कराने का आदेश दे दिया है और पहली बार संविधान की धारा-155 का प्रयोग करके कैटेलोनिया राज्य पर केंद्र सरकार को निर्णायक बना दिया है.
दरअसल, अगर एक बार कैटेलोनिया आजाद हुआ, तो स्कॉटलैंड, आयरलैंड, वेल्स, वैलोनिया, कोर्सिका, बावरिया, मोराविया, इस्ट्रीया, सिसली, वेनितो सहित दो दर्जन से अधिक राज्य, स्वतंत्र राष्ट्र-राज्य बनने का प्रयत्न करेंगे.
यूरोपियन यूनियन ने कैटेलोनिया को धमकी दी है कि उनका अलग होकर यूनियन में दोबारा शामिल होने की कोशिश कठिन होगी, और इसमें कोई निश्चितता भी नहीं होगी. अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस जैसे पश्चिमी राष्ट्रों के बयान कैटेलोनिया की मांग के खिलाफ हैं.
कैटेलोनिया की आजाद होने की डगर जितनी कठिन है, उतनी ही बड़ी समस्या भी है. इस घटना से भारत को भी सीख लेने की आवश्यकता है कि यह अपने राष्ट्रवाद की खासियत को समझे और अनेकता को संजोकर रखे, ताकि राष्ट्र की एकता मजबूत बनी रहे.

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