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सबक सिखाना है, पर धैर्य न खोएं

आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in पुलवामा हमले के बाद पूरा देश उद्वेलित हैं. देश के लोगों में आतंकवादियों और पाकिस्तान के खिलाफ भारी गुस्सा है. इतनी बड़ी संख्या में हमारे सुरक्षा बल के भाइयों के शहीद होने से हम आप सभी का उद्वेलित होना स्वाभाविक है, लेकिन इस उत्तेजना में हम आप […]

आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
पुलवामा हमले के बाद पूरा देश उद्वेलित हैं. देश के लोगों में आतंकवादियों और पाकिस्तान के खिलाफ भारी गुस्सा है. इतनी बड़ी संख्या में हमारे सुरक्षा बल के भाइयों के शहीद होने से हम आप सभी का उद्वेलित होना स्वाभाविक है, लेकिन इस उत्तेजना में हम आप आपा न खोएं.
इससे हमें बचना है. पिछले दिनों कुछ स्थानों से ऐसी खबरें आयीं कि देश में कश्मीरियों को निशाना बनाया गया. यह चिंताजनक स्थिति है. ऐसी घटनाओं को तत्काल रोकना होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीरियों पर हुए हमले की सही वक्त पर निंदा की है.
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि हमारी लड़ाई कश्मीर के लिए है, कश्मीरियों के खिलाफ नहीं है. एक जनसभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीरी बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है. कश्मीर का बच्चा-बच्चा आतंकवादियों के खिलाफ है. हमें उसे अपने साथ रखना है. अमरनाथ की यात्रा करने लाखों श्रद्धालु जाते हैं, उनकी देखभाल कश्मीर का बच्चा करता है. अमरनाथ यात्रियों को जब गोली लगी, तो कश्मीर के मुसलमान खून देने के लिए कतार लगा कर खड़े हो गये थे.
पिछले दिनों कश्मीरी बच्चों के साथ हिंदुस्तान के किसी कोने में क्या हुआ, क्या नहीं हुआ, घटना छोटी थी या बड़ी थी, मुद्दा यह नहीं है. इस देश में यह नहीं होना चाहिए. कश्मीर में जैसे हमारे जवान शहीद होते हैं, वैसे ही कश्मीर के लाल भी इन आतंकवादियों की गोलियों के शिकार होते हैं. नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर हमें आतंकवाद को जड़ से उखाड़ना है, तो गलती नहीं करनी है. आम कश्मीरी भी आतंकवाद से मुक्ति चाहता है..
मोदी ने कहा कि कश्मीर के पंच-सरपंचों ने मुझसे किया वादा निभाया है. मैंने उनसे कहा था कि जब आतंकवादी स्कूल जलाते हैं, तब वह इमारत नहीं जलाते हैं, आपके बच्चों का भविष्य जलते हैं. आज गर्व हैं कि कश्मीर घाटी के पंच-सरपंचों ने एक भी स्कूल जलने नहीं दिया है. कहा कि वह दुनियाभर में आतंकियों का दाना-पानी बंद करने में जुटे है. दुनिया में तब तक शांति संभव नहीं है, जब तक आतंक की फैक्ट्रियां चलती रहेंगी.
हमें धैर्य रखना चाहिए और प्रधानमंत्री के वादे पर भरोसा करना चाहिए. यह जान लीजिए कि पाकिस्तान 70 साल पुराना रोग है और यह धीरे-धीरे ही ठीक होगा.
इसमें कभी सैन्य कार्रवाई करनी होगी, कभी कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान को अलग-थलग करना होगा, तो कभी पानी को हथियार की तरह इस्तेमाल करना होगा और कभी-कभी पर्दे के पीछे बातचीत भी करनी होगी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था कि आप अपना दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय जगत भी यह स्वीकार कर रहा है कि भारत में भारी गुस्सा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया है कि इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच हालात बेहद खराब हैं. दोनों देशों के बीच एक खतरनाक स्थिति है.
उनका कहना था कि वह तनाव के हालात जल्द खत्म होते देखना चाहते हैं. ट्रंप ने कहा कि बहुत लोगों को मार दिया गया है. हम इस प्रक्रिया पर नजर रखे हुए हैं. भारत बहुत सख्त कदम उठाने पर गौर कर रहा है. परिस्थितियां बहुत ही नाजुक हालात की ओर जाते दिख रही हैं. कश्मीर में जो कुछ हुआ, उससे भारत पाकिस्तान के बीच बहुत-सी समस्याएं खड़ी हो गयी हैं.
इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैशे मोहम्मद ने ली थी. यह कितना हास्यास्पद है कि बावजूद इसके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सबूत मांग रहे हैं.
यह जगजाहिर है कि जैश मोहम्मद ने पाकिस्तान के बहावलपुर शहर में अपना मुख्यालय बना रखा है और इसका मुखिया मसूद अजहर यहीं से अपनी आतंकी गतिविधियां संचालित करता है. इसके पहले तत्कालीन पाक पीएम नवाज शरीफ ने अपने देश की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में अब भी आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. नवाज शरीफ ने कहा था कि आप उन्हें गैर सरकारी किरदार कह सकते हैं, लेकिन हम उन पर मुकदमा क्यों नहीं चलाते?
नवाज शरीफ का बयान सार्वजनिक होने के बाद पाक सेना उनके खिलाफ हो गयी थी और उसने उन्हें जेल तक पहुंचा दिया. हम आप जानते हैं कि 26 नवंबर, 2008 को लश्कर के आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया था, जिसमें 166 लोग मारे गये थे. उनमें से एक अजमल कसाब जिंदा पकड़ लिया गया था. भारत द्वारा पुख्ता सबूत देने के बावजूद पाकिस्तान हमेशा इस हमले में अपनी भूमिका को खारिज करता आया है.
हमें एक और पड़ोसी देश चीन पर भी निगाह रखनी होगी, जिसकी मदद से पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबावों से बचता आ रहा है. देश की जनता को भी इस बात को लेकर जागरूक करना होगा कि चीन आपका शुभचिंतक नहीं है. चीन के अड़ंगे के कारण आत्मघाती हमले के एक हफ्ते बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इसकी कड़ी निंदा कर पाया.
चीन ने पाकिस्तान को बचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था. चीन ने इस बात की पूरी कोशिश की थी कि यह बयान जारी न हो पाए. भारतीय प्रयासों और अमेरिका के समर्थन के कारण ही सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों को इसकी मंजूरी मिल सकी. पुलवामा आतंकी हमले को लेकर सुरक्षा परिषद में एक हफ्ते भारी खींचतान चली.
पुलवामा पर 15 फरवरी को निंदा का बयान जारी होने वाला था, लेकिन चीन इसमें बदलाव करने के लिए लगातार इसे आगे बढ़वाता रहा. सुरक्षा परिषद के सदस्य देश 15 फरवरी को अपना बयान जारी करनेवाले थे, लेकिन चीन ने इसे आगे बढ़वाते हुए 18 फरवरी तक का समय मांगा. प्रकिया को टालने के लिए चीन ने दो बार इसमें बदलाव के प्रस्ताव रखे.
चीन चाहता था कि आतंकी संगठन जैशे मोहम्मद को दोषी ठहराये जाने का जिक्र न किया जाए. बावजूद इसके सुरक्षा परिषद ने पुलवामा के आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है और अपने बयान में जैश का जिक्र किया है. चीन आतंकी सरगना मसूद अजहर पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों में बार बार अड़ंगा लगाता आया है.
भारत और पाकिस्तान को अलग हुए 70 साल से अधिक का अरसा हो गया, लेकिन रिश्ते आज तक सामान्य नहीं हो पाये हैं. विभाजन के रूप में हमने आजादी की बहुत बड़ी कीमत चुकायी है. विभाजन के दौरान हुई हिंसा में लगभग पांच लाख लोग मारे गये थे और करीब डेढ़ करोड़ लोगों को अपना घर-बार छोड़ कर शरणार्थी बनना पड़ा था. दुनिया में आजादी की इतनी बड़ी कीमत कहीं अदा नहीं करनी पड़ी है. इतिहास के इस काले अध्याय को हमें विस्मृत नहीं करना चाहिए.

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