34.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

आसान नहीं मिजोरम सरकार की राहें

श्रीप्रकाश शर्माप्राचार्य, जवाहर नवोदय विद्यालय, मामित एक दशक के राजनीतिक निर्वासन के बाद जोरामथांगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) द्वारा ऐतिहासिक जीत के बाद सत्ता की बागडोर संभालना मिजोरम राजनीति में एक नये अध्याय का प्रारंभ है. जोरामथांगा 1998 से 2008 के बीच लगातार दो बार मिजोरम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. तीसरी […]

श्रीप्रकाश शर्मा
प्राचार्य, जवाहर नवोदय विद्यालय, मामित

एक दशक के राजनीतिक निर्वासन के बाद जोरामथांगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) द्वारा ऐतिहासिक जीत के बाद सत्ता की बागडोर संभालना मिजोरम राजनीति में एक नये अध्याय का प्रारंभ है. जोरामथांगा 1998 से 2008 के बीच लगातार दो बार मिजोरम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी के कई राजनीतिक संदेश हैं. स्थापना के लगभग तीन दशक बाद भी यह राज्य कई सामाजिक-राजनीतिक समस्याओं के साथ अति-प्रतीक्षित विकास के मोड़ पर खड़ा है. बड़ा प्रश्न यह है कि क्या जोरामथांगा मिजोरम की जनता की समस्याओं के तारणहार सिद्ध होंगे? दूसरा प्रश्न यह भी है कि देश के समग्र विकास की मुख्य धारा से अलग मिजोरम के सपने को मुख्यमंत्री कैसे साकार करेंगे?

मिजोरम को देश के अन्य हिस्सों से वायुमार्ग द्वारा जोड़ने के लिए राज्य में एकमात्र हवाई अड्डा लेम्पुई है, जो राजधानी आइजोल से लगभग 20 किमी दूर है. दिल्ली से एक उड़ान यहां दोपहर ढाई बजे आती है. यहां से टैक्सी के जरिये राज्य के आठ जिलों में से एक मामित के मुख्यालय पहुंचने में शाम के साढ़े छह बज जाते हैं, जबकि हवाई अड्डे से मामित शहर की दूरी लगभग 65 किलोमीटर ही है.

यह स्थिति तब है, जब मिजोरम में बारिश नहीं होती या मॉनसून का मौसम नहीं होता. उस समय तो यह अवधि 5-6 घंटे तक भी हो सकती है. भू-स्खलन से रास्ता बाधित हो, तो कई घंटे लग जाते हैं. सच पूछिये तो खराब सड़क के कारण अप्रैल से अक्तूबर के बीच बारिश के दौरान यात्रा करना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होता है. सड़क यातायात की बदतर हालत के कारण सामान्य जन-जीवन के साथ अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. मिजोरम लोक निर्माण विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर सड़कों की दुर्दशा का मुख्य कारण बारिश और रख-रखाव के लिए आवश्यक धन का अभाव है. राष्ट्रीय राजमार्गों की खराब हालत की वजह भी यही है.

सड़कों की बेहतरी जोरामथांगा सरकार के लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. युद्ध स्तर पर मौजूदा सड़कों की मरम्मत के साथ सुदूर गांवों में बड़े पैमाने पर नयी सड़कों के निर्माण का काम शुरू करने की दरकार है. भौगोलिक स्थिति के कारण राज्य में रेलवे नेटवर्क का अभाव है, सो सड़क यातायात के महत्व को आसानी से समझा जा सकता है.

मिजोरम में नशे की लत तेजी से युवा वर्ग को अपनी गिरफ्त में ले रही है. लगभग हर परिवार इस समस्या से प्रभावित है. यह मुश्किल तीन दशकों से चली आ रही है. हालिया आंकड़ों के अनुसार, अभी राज्य में 25 हजार युवा नशे के आदी हैं, जिसमें 10 हजार सूई से नशा करते हैं. कम-से-कम दो हजार युवाओं का उपचार राज्य के 300 पुनर्वास केंद्रों में चल रहा है. नयी सरकार को इस चुनौती के समाधान की दिशा में प्रभावकारी नीतिगत पहल करने की आवश्यकता है, ताकि विकास के लिए आवश्यक युवा संसाधन की ऊर्जा को बचाया जा सके. हालांकि, ऐतिहासिक विजय के तुरंत बाद मुख्यमंत्री का राज्य में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा से नशे के विरुद्ध ठोस निर्णय की आशा मजबूत हुई है.

राज्य का सकल घरेलू उत्पादन करीब 14 हजार करोड़ रुपये है और अर्थव्यवस्था सालाना 5.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. इसमें प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 20 फीसदी है, जबकि राज्य की 70 प्रतिशत जनता आजीविका के लिए कृषि पर आश्रित है. इस संदर्भ में भी पहल जरूरी हैं, ताकि कृषि पर आश्रित लोगों की आमदनी बढ़ सके.

राज्य के जीडीपी में करीब 58 प्रतिशत का योगदान सेवा क्षेत्र का है. लेकिन, उत्तर-पूर्व के अन्य राज्यों के मुकाबले मिजोरम में पर्यटन का विकास बहुत प्रशंसनीय नहीं है. इस संबंध में अब भी बहुत कुछ करना है, ताकि रोजगार और आमदनी बढ़े.

प्रचुरता से उपलब्ध बांस पर आधारित कुटीर उद्योग और सस्ती लकड़ियों पर आधारित फर्नीचर उद्योग के विकास की संभावनाओं को वास्तविकता में बदला जा सकता है. पेड़-पौधों और वन्य प्राणियों से धनी इस राज्य में हॉर्टिकल्चर का विकास भी किया जा सकता है. राज्य में हैंडलूम के विकास को भी त्वरित करने की जरूरत है. इन प्रयासों में केंद्र सरकार से आवश्यक आवंटन और अनुदान प्राप्त कर राज्य में अभूतपूर्व परिवर्तन के पूरे अवसर हैं. किंतु इन योजनाओं के लिए यातायात के साधनों और बिजली उत्पादन को बढ़ाने की एक आवश्यक शर्त सरकार के सामने है. ऐसे में पनबिजली एक अच्छा विकल्प है.

आरबीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम की 20.5 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करती है, जो लगभग राष्ट्रीय औसत के बराबर है. लेकिन ग्रामीण निर्धनता के आंकड़े राष्ट्रीय स्तर से काफी अधिक हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे की आबादी 35 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 25.7 फीसदी है. समाज में धन और संपत्ति के इस असमान वितरण को शीघ्र पाटने की जरूरत है और इसके लिए जन-कल्याणकारी कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर क्रियान्वित करना सरकार के लिए एक अहम प्राथमिकता का कार्य है.

राष्ट्रीय स्तर पर केरल के बाद सर्वाधिक शिक्षित राज्य में शुमार मिजोरम शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की समस्या से भी ग्रसित है. इस विश्लेषण से स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री जोरामथांगा के सामने चुनौतियों का अंबार है. लेकिन उनके पास व्यापक जन-समर्थन व अनुभव भी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें