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सौ दिनों में गढ़े गये कई इतिहास

अर्जुन मुंडा जनजातीय कार्य मंत्री delhi@prabhatkhabar.in मोदी सरकार पुन: निर्वाचित होने के बाद अपने सौ दिन पूरे कर चुकी है. इन सौ दिनों के लिए नयी सरकार ने अपने लिए एक एजेंडा तय किया था, जिसे देश के समावेशी विकास को तीव्र गति देने के लिए महत्वपूर्ण समझा गया है. पहले कभी भी लोकसभा के […]

अर्जुन मुंडा

जनजातीय कार्य मंत्री

delhi@prabhatkhabar.in

मोदी सरकार पुन: निर्वाचित होने के बाद अपने सौ दिन पूरे कर चुकी है. इन सौ दिनों के लिए नयी सरकार ने अपने लिए एक एजेंडा तय किया था, जिसे देश के समावेशी विकास को तीव्र गति देने के लिए महत्वपूर्ण समझा गया है.

पहले कभी भी लोकसभा के एक सत्र में इतने सारे कार्यों को पूरा नहीं किया गया था. लेकिन इस नयी सरकार में अनेक बिलों और कानूनों पर चर्चा करके कैबिनेट के अनुमोदन के बाद मूर्त रूप दिया गया है. इस बात के लिए सरकार की प्रशंसा की जानी चाहिए.

संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-ए को समाप्त करके जम्मू-कश्मीर को दो संघीय प्रदेशों में बदलना एक ऐतिहासिक फैसला है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में अब दो केंद्र शासित प्रदेश बन गये हैं. स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण की प्रक्रिया को, जिसे देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने प्रारंभ किया था, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गृह मंत्री अमित शाह ने अंतिम पड़ाव पर पहुंचाया है. यह देख कर गर्व हो रहा है कि देश कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक है. देश में एक संविधान और एक झंडा है.

दूसरी ऐतिहासिक उपलब्धि है तीन तलाक का खात्मा, जिसने देश की लाखों मुस्लिम बहनों के जीवन को प्रभावित किया है. तीन तलाक का डर अब उनके जीवन से समाप्त हो चुका है. तीन तलाक देनेवालों पुरुषों को अब जेल की हवा खानी होगी और जुर्माना भी भरना होगा. तीसरा प्रभावी कदम आतंकवाद पर एक सुनियोजित व दूरदर्शी नीति को दर्शाता है.

एनआइए को अधिक शक्तिशाली बनाना, जो अब किसी संगठन के अलावा आतंकवाद में लिप्त किसी व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है, एक साहसपूर्ण कदम है. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट्रेशन के माध्यम से बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रत्यर्पण की योजना देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सहायक होगा और आतंकवाद के खात्मे की ओर प्रभावी कदम होगा.

मोदी जी ने हमेशा से ही किसानों की चिंता की है. किसान सम्मान निधि और किसानों की पेंशन योजना उनके इसी चिंतन को दर्शाता है.

भारत को एक आर्थिक शक्ति बनाने के उद्देश्य से भाजपा की पिछली सरकार ने टैक्स का सरलीकरण करके देश को एकीकृत इकाई बनाने के लिए जीएसटी जैसा एक महत्वपूर्ण कदम पहले ही उठाया था. उसी कड़ी में अब 10 बैंकों का विलय होना भी है, जिससे उनके पास कैपिटल की पर्याप्तता होगी तथा बैंक अधिक कर्ज देने और व्यवसाय करने में सक्षम होंगे. हाल ही में रिजर्व बैंक ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये दिया है, जिससे धन की पर्याप्तता होगी और अनेक व्यवसायों को गति देने के लिए धन उपलब्ध हो सकेगा. वहीं बुनियादी ढांचे में हो रहे कार्यों से देश में सड़क, रेल व जल मार्गों की संख्या बढ़ रही है.

यह महत्वपूर्ण बात है कि लोगों का मोदी सरकार के प्रति नजरिया बदला है. साल 2014 में कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार से त्रस्त जनता ने नरेंद्र मोदी में साफ-सुथरी छवि वाला एक ऐसा समर्पित व देशभक्त नेता देखा था, जिसमें नेतृत्व की प्रमाणित क्षमता थी और जो देश को विकास के मार्ग पर ले जाने में समर्थ था.

धीरे-धीरे उन धारणाओं को देशव्यापी समर्थन मिला और भाजपा ने अपने बल पर पूर्ण बहुमत हासिल किया. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश को एक मजबूत व स्थायी सरकार मिली. लोगों की आशा एवं अपेक्षा को पंख लग गये. सरकार ने भी जनता को निराश नहीं किया.

मोदी जी ने स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय योजना लॉन्च की और 2 अक्‍तूबर, 2019 तक गांधीजी के सपनों का स्वच्छ भारत बनाने का आह्वान किया. सभी के लिए बैंक खाते, अपना घर जैसे सशक्तिकरण की नीतियों पर कार्य शुरू किया. जीएसटी व नोटबंदी से काले धन पर प्रहार हुआ.

बैंकों के धन लेकर फरार हुए भगोड़ों पर कड़े कदम उठाये गये. इसका परिणाम यह हुआ कि 2019 के चुनावों में जनता ने अपना जबर्दस्त समर्थन देकर फिर से एक स्थायी एवं और अधिक मजबूत सरकार बनायी. मोदी जी ने अपने पहले के नारे– ‘सबका साथ, सबका विकास’– में एक नया मूल मंत्र जोड़ा है– ‘सबका विश्वास’.

इस सरकार पर जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है. इसका सीधा संबंध बढ़ती अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं से है. भारत तीव्रतम गति से बढ़नेवाली अर्थव्यस्था है.

सरकार का लक्ष्य पांच वर्षों में पांच ट्रिलियन की जीडीपी को प्राप्त करना है. लेकिन रोजगार सृजन, निर्यात को गति, रुपये की मजबूती और विकसित देशों का भारत में निवेश करने के लिए भरोसे आदि की चुनौतियां भी हैं. वैश्विक आर्थिक मंदी, अमेरिका-ईरान तनाव व अन्य राजनीतिक और सामरिक चुनौतियां हैं, परंतु भारत इन चुनौतियों के बीच अपनी राह निकालने में सक्षम है और अपनी पौराणिक व सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में पुन: विश्व पटल पर अपनी साख स्थापित करने के लिए तत्पर है.

यह भी महत्‍वपूर्ण है कि मंत्रिमंडल गठन के बाद जनजातीय समुदायों, जनजातीय क्षेत्र के प्रशासन एवं शिक्षण सहित स्वरोजगार के साथ जनजातीय चरित्र को नये दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाने की महती कार्ययोजना प्रारंभ हुई है.

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