34.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

चंद्रयान-2 : चांद पर जीवन की खोज

अमिताभ पांडेय खगोल विशेषज्ञ amitabh.pandey@gmail.com विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हम लगातार प्रगति कर रहे हैं. हमने चंद्रयान भेजा, मंगलयान भेजा, और अब हम चंद्रयान-2 भेजने के लिए तैयार हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद पर अपना उपग्रह ‘चंद्रयान-2’ भेजने का ऐलान कर दिया है और 15 जुलाई को आंध्र प्रदेश के […]

अमिताभ पांडेय
खगोल विशेषज्ञ
amitabh.pandey@gmail.com
विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हम लगातार प्रगति कर रहे हैं. हमने चंद्रयान भेजा, मंगलयान भेजा, और अब हम चंद्रयान-2 भेजने के लिए तैयार हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद पर अपना उपग्रह ‘चंद्रयान-2’ भेजने का ऐलान कर दिया है और 15 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसे छोड़े जाने की तारीख तय की है. अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत अब स्वतंत्र रूप से बहुत सक्षम और समृद्ध हो चुका है. चंद्रयान-2 मिशन हमारी अगली बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है.
साल 2008 में चांद पर जब चंद्रयान-1 भेजा गया था, तभी यह तय हो गया था कि अब अगले मिशन में एक लैंडर और रोवर दोनों होंगे, जो चांद की सतह पर दो सप्ताह तक काम करेंगे.
रोवर का अर्थ है एक रोबोटिक गाड़ी, जो ऑटोमेटिक होती है, जो चंद्रमा की सतह पर चलेगी और वहां की सारी जानकारी इकट्ठा करके यहां पृथ्वी पर भेजेगी. पहले यह था कि लैंडर रूस से लिया जायेगा और रोवर एवं ऑर्बिटर हमारा होगा, लेकिन जब रूस ने समय पर डिलिवरी नहीं दी, तब इसरो ने तय किया कि अब लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर सब भारतीय होगा. इस एतबार से देखें, तो चंद्रयान-2 मिशन में हम पूरी तरह अपनी तकनीकी क्षमताओं पर निर्भर हैं.
भारत में बनी जीएसएलवी मार्क-3 का काम होता है संचार उपग्रहों को उनकी कक्षा में प्रक्षेपित करना. इसकी खासियत यह है कि यह अपने साथ तीन हजार किलोग्राम से ज्यादा वजनी संचार उपग्रह को प्रक्षेपित कर सकता है. चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर इन तीनों का वजन 3,877 किलोग्राम है.
इस मिशन का डिजाइन यह है कि पहले इसे इसकी कक्षा में भेजा जायेगा, जो पृथ्वी से तकरीबन चालीस हजार किमी पर होगा. एक बार इसकी कक्षा में चंद्रयान-2 के स्थापित होने के बाद इसके ऑर्बिट को बढ़ाया जायेगा और धीरे-धीरे वह इतना बढ़ जायेगा कि वह चंद्रमा की कक्षा में पहुंच जायेगा. यह सबसे मुश्किल काम है.
इसलिए वहां स्थापित होने के बाद लैंडर और रोवर को उतारा जायेगा. चंद्रयान-2 मिशन के तहत लैंडर और रोवर 70 डिग्री के अक्षांश पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे, जहां आज तक दुनिया के किसी देश ने कोई मिशन नहीं किया है. इस एतबार से पूरी दुनिया में भारत एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है.
चंद्रयान-2 के उद्देश्य को समझना-जानना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसा माना जाता रहा है कि अगर हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में और भी आगे काम करना है, तो चांद ही वह अगला पड़ाव है, जहां से हम जीवन को एक नयी दिशा दे सकेंगे. यानी अगर हमें अंतरिक्ष में बस्तियां बसानी है, तो सबसे पहले चांद पर अपना ठिकाना बनाना होगा.
चांद पर ठिकाना ऐसा होगा, जिसमें वैज्ञानिक, इंजीनियर और तकनीक-विज्ञान के क्षेत्रों काम करनेवाले लोगों को वहां ले जाना होगा, जो वहां रहकर एक्सपेरिमेंट करेंगे और जीवन की उपलब्धता तलाशेंगे. इसके पहले चांद की आबोहवा की जानकारी बहुत जरूरी है, जिसके लिए चंद्रयान-2 एक बेहतरीन भूमिका निभायेगा. चांद पर पानी, हवा, विकिरण, रासायनिक तत्व आदि किस हालत में और कितनी मात्रा में हैं, इन सबकी जानकारी पहले जरूरी है.
दुनिया में या अंतरिक्ष में कहीं भी जीवन के लिए पानी बहुत जरूरी है. अगर पानी होगा, तो उसमें से ऑक्सीजन यानी हवा को प्राप्त किया जा सकता है. चांद के दक्षिणी ध्रुव में पानी के भंडार की खोज हुई है, इसलिए वहां जीवन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
चंद्रयान-1 जब भेजा गया था, तो सबसे पहले उसी ने चांद पर पानी की उपलब्धता की जानकारी दी थी. दरअसल, दक्षिणी ध्रुव के कुछ हिस्सों में बर्फ जमी रहती है, क्योंकि वहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती है.
इसलिए वहां पानी के भंडार पाये गये हैं. सबसे पहले हमारे चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर वहां उतरेगा, जिसमें कई तरह के इंस्ट्रूमेंट हैं, जो वहां सोलर विंड, पराबैंगनी किरणें, जमीन की मिट्टी में छुपे मिनरल और तत्व आदि की जानकारी इकट्ठा करेंगे. उसमें एक इंस्ट्रूमेंट ऐसा भी है, जो लेजर रेज फायर करके रोशनी पैदा करेगा और फिर तत्वों की जानकारी देगा. इन सब जानकारियों के बाद ही यह तय हो पायेगा कि वहां जीवन के लिए बाकी जरूरी पदार्थों की कितनी मात्रा को धरती से ले जाने की जरूरत होगी.
चंद्रयान-2 मिशन में कुल 978 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. आज की भारतीय अर्थव्यवस्था के हिसाब से यह कोई बड़ी राशि भी नहीं है.
यानी कह सकते हैं कि एक हवाई जहाज खरीदने की राशि में ही हमारा पूरा चंद्रयान-2 मिशन पूरा हो जायेगा. चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण काफी कम है, इसलिए वहां हवा नहीं है. इसलिए हो सकता है कि हवा को यहां से ले जाने की जरूरत पड़े या फिर वहां मौजूद पानी पर सोलर रेडिएशन का इस्तेमाल करके ही ऑक्सीजन और हाइड्रोजन िनकालनी होगी.
ऑक्सीजन का इस्तेमाल हवा के रूप में किया जा सकता है और हाइड्रोजन का इस्तेमाल ईंधन के रूप में. कुल मिला कर देखें, तो चंद्रयान-2 मिशन से बहुत सी जानकारियां हासिल होनेवाली हैं, जिनसे यह चांद पर जीवन की संभावना पर मुहर लग जायेगी.
(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें