नयी दिल्ली/वुहान (चीन) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच यहां शुक्रवार से शुरू हो रही दो दिवसीय अनौपचारिक बैठक द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मुकाम हो सकता है और मतभेदों को कम करने में मदद कर सकता है. इस दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षीय, अंतरराष्ट्रीय एवं आपसी हितों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे. चीन के सरकारी अखबार में लिखे एक आलेख में यह दावा किया गया है. इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की दो दिवसीय यात्रा पर गुरुवारको चीन पहुंच गये.
चीन की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘मैं चीन के वुहान की यात्रा पर जा रहा हूं जहां 27-28 अप्रैल को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक होगी.’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति शी और मैं द्विपक्षीय और वैश्विक महत्व के विविध विषयों पर व्यापक चर्चा करेंगे और विचारों का आदान-प्रदान करेंगे. हम अपनी अपनी दृष्टि और राष्ट्रीय विकास के बारे में प्राथमिकताओं पर चर्चा करेंगे जिसमें खास तौर पर वर्तमान एवं भविष्य के अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के विषय शामिल होंगे.’ मोदी ने कहा कि इसमें भारत-चीन संबंधों के सामरिक और दीर्घकालिक पहलु के संदर्भ में समीक्षा की जायेगी. वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी की यह चौथी चीन यात्रा होगी. वह 9 और 10 जून को क्विंगदाओ शहर में होने जा रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भी चीन जा सकते हैं.
इस बीच ‘चाइना डेली’ में एक आलेख में कहा गया है कि शी और मोदी के रणनीतिक, दीर्घकालीन और अन्य अहम मुद्दों पर वुहान में अनौपचारिक बैठक में विचारों का आदान-प्रदान करने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि बैठक चीन-भारत संबंधों में एक नया मुकाम होगा, जो द्विपक्षीय संबंधों में नया जोश भरेगा और सहयोग का एक नया दौर शुरू करेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी व्यापारिक कदमों के मद्देनजर दो सबसे सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं (चीन और भारत) को न सिर्फ अपने विकास के पथ पर बाधाओं का सामना करना पड़ेगा, बल्कि अपने साझा लक्ष्य, एशिया का महत्व एक बार फिर से बढ़ाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
डोकलाम संकट सहित कई मुद्दों पर पिछले साल हुए तनाव का जिक्र करते हुए इसने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में सहयोग तनावों के बावजूद बनाये रखा गया. इसने कहा है कि पिछली गर्मियों में सीमा पर गतिरोध एक संक्षिप्त मामला था. हालांकि, इसने दोनों देशों को संकट प्रबंधन की अहमियत को पहचानने में मदद की. वुहान बैठक में मतभेदों को घटाने और दोनों देशों के बीच आम राय बनाये जाने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि दोनों नेता मौजूदा विश्व व्यवस्था पर अपनी वार्ताओं में ध्यान केंद्रित करेंगे. दोनों देशों का तीव्र विकास दुनिया की स्थिरता के लिए फायदेमंद है और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के बीच सही संतुलन लानेवाला होगा. शी और मोदी के अपने शासकीय अनुभवों को भी साझा करने की उम्मीद है. उनके द्वारा बड़ी अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का हल करने पर भी चर्चा करने की संभावना है. इसमें कहा गया है कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं वित्तीय प्रणाली बेहतर करने का साझा हित रखते हैं. आलेख में कहा गया है कि बेशक शी और मोदी एक दूसरे की चिंताओं का हल करेंगे. साथ ही, बेहतर संबंध की जरूरत को नजरअंदाज कर उनके भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में पड़ने की संभावना भी नहीं है.