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कान्हाचट्टी में पहाड़ काट कर बना दी सड़क

सीताराम यादव, कान्हाचट्टी : कान्हाचट्टी प्रखंड मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर गडिया, अमकुदर, बनियाबांध, नारे व धवैया गांव पहाड़ की तलहटी में बसे हैं. दुर्गम इलाके में बसे उक्त गांवों के दो सौ लोगों ने 10 साल की मेहनत के बाद पहाड़ काट कर दो किलोमीटर सड़क बना दी.इससे पहले गांवों के लोगों […]

सीताराम यादव, कान्हाचट्टी : कान्हाचट्टी प्रखंड मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर गडिया, अमकुदर, बनियाबांध, नारे व धवैया गांव पहाड़ की तलहटी में बसे हैं. दुर्गम इलाके में बसे उक्त गांवों के दो सौ लोगों ने 10 साल की मेहनत के बाद पहाड़ काट कर दो किलोमीटर सड़क बना दी.इससे पहले गांवों के लोगों को प्रखंड और जिला मुख्यालय तक जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता था. लोगों को पैदल 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. इन गांवों तक पहुंचने के लिए पहले पैदल चल कर पहाड़ को पार करना पड़ता था.

वर्ष 2009 में ग्रामीणों ने सड़क बनाने का काम शुरू किया था. जब भी समय मिलता लोग इकट्ठा होकर पहाड़ काटने में जुट जाते. जनवरी 2019 में सड़क बन कर तैयार हो गयी. सड़क बनने से ग्रामीणों को सहूलियत हो गयी है.
इस रास्ते से बच्चे पहाड़ के दूसरी ओर स्थित प्लस टू उच्च विद्यालय, टुलबुल तक आसानी से आ-जा रहे हैं. पहले बच्चे प्राइमरी स्कूल तक ही पढ़ाई कर पाते थे. सड़क बनने से किसानों को भी फायदा हो रहा है. अब वे फसल को कान्हाचट्टी व इटखोरी के बाजार तक ले जा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण की प्रेरणा उन्हें दशरथ मांझी से मिली.
कहा कि जब दशरथ मांझी पत्नी के लिए अकेले पहाड़ काट कर रास्ता बना सकता है, तो हमलोग क्यों नहीं कर सकते है. सड़क के अभाव उक्त गांवों में रिश्तेदार नहीं आते थे.
लड़कियों की शादी अच्छे घरों में नहीं हो पाती थी. परेशानी को देखते हुए ग्रामीणों ने श्रमदान कर पहाड़ काट कर सड़क निर्माण का निर्णय लिया. दस साल की मशक्कत का सुखद परिणाम निकला और सड़क बन कर तैयार हो गयी. अब ग्रामीण उक्त सड़क के पक्कीकरण की मांग कर रहे हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण कामेश्वर सिंह भोगता ने कहा कि कई बार प्रखंड मुख्यालय व जिला मुख्यालय जाकर गांव की स्थिति से अवगत कराया. सब ने कहा कि जल्द ही सड़क बन जायेगी, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया. बाद में ग्रामीणों ने साथ मिल कर रास्ता बनाया.
उपेंद्र यादव ने कहा कि ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से रास्ता तो बना लिया है, लेकिन यह इस लायक नहीं हैं कि इस पर अभी चार पहिया वाहनों का आसानी से आवागमन हो सके. मरीजों को परेशानी होती है. सोमर सिंह भोगता ने कहा कि पक्की सड़क हम लोगों के लिए आज भी सपना जैसा है. गडिया गांव के ब्रह्मदेव यादव ने कहा कि सड़क बनाने की पहल की जाये.
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