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छात्र संघ से नहीं बदली फिजां

न शुरू हो सकी नियमित कक्षाएं, न निपट रहीं छात्रों की समस्याएं आरोपों-प्रत्यारोपों में बीत गया पहला सत्र, नहीं हो सका गाइडलाइन का पालन बेतिया : दिन बीतते रहे और देखते ही देखते छात्रसंघ चुनाव हुए एक साल भी बीत गया. लेकिन अब भी कॉलेजों की वहीं समस्याएं हैं. कॉलेजों में न नियमित कक्षाएं चल […]

न शुरू हो सकी नियमित कक्षाएं, न निपट रहीं छात्रों की समस्याएं

आरोपों-प्रत्यारोपों में बीत गया पहला सत्र, नहीं हो सका गाइडलाइन का पालन

बेतिया : दिन बीतते रहे और देखते ही देखते छात्रसंघ चुनाव हुए एक साल भी बीत गया. लेकिन अब भी कॉलेजों की वहीं समस्याएं हैं. कॉलेजों में न नियमित कक्षाएं चल रही हैं. न कार्यालय और फीस के मामले निपट रहे हैं. न तो छात्रों की शिकायतें दूर हुई हैं, न तो कॉलेजों का एनएसएस सक्रिए हुआ और न ही कॉलेजों में छात्रों के इन संघों ने शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन किया.

पिछले साल मार्च में नगर के दो कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराए गए थे. इसका परिणाम आने के बाद छात्रों में एक आस जगी थी कि अब उनकी समस्याओं को आवाज मिलेगी. कक्षाएं चलेंगी, पुस्तकालय खुलेंगे, लैब कराए जाएंगे, स्टैंड की व्यावस्था में सुधार आएगा. कॉलेज परिसर में आसामाजिक तत्वों को प्रवेश नहीं मिलेगा. लेकिन छात्रसंघ के कारण पिछले एक साल में ऐसा कुछ नहीं हुआ. कॉलेजों में छात्र संघ के पदाधिकारी केवल कॉलेज के पूछताछ काउंटर बने रहे.

छात्रों को इन नेताओं से फॉर्म व परीक्षा की तिथियां पता चलती रहीं. दोनों हीं छात्रसंघों ने अपनी नाकामी का आरोप कॉलेज प्रशासन पर लगाया. जबकि कॉलेज प्रशासन का कहना है कि विवि से मिले सभी निर्देशों का कॉलेज ने पालन किया है. जबकि दूसरी तरफ छात्र संगठनों ने विवि के छात्र संघ के लिए जारी किए गए गाईडलाईन का पालन तक नहीं किया.

इस गाईड लाइन के अनुसार छात्र संघ के अधिकारियों को बैठक करनी थी. लिखित रूप में अपनी मांगें कॉलेज प्राचार्य को देनी थी. कॉलेज में चर्चाएं, संगोष्ठी व सेमिनार का आयोजन करना था. इतना ही नहीं छात्र संघ के पदाधिकारियों को कॉलेज विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं होना था. ना हीं कक्षाएं बाधित करनी थी.

कैंपसों में राजनीति शुरू, पर नहीं हुई अगले चुनाव की घोषणा : इतना ही नहीं कॉलेज कैंपसों में राजनीति इतने जोर पर है कि विवि नें अगले सत्र के चुनाव की कोई घोषणा नहीं की, बावजूद इसके दर्जनों छात्र महीनों से अलग-अलग पदों के प्रत्याशी बने फिर रहे हैं. लेकिन कोई भी कॉलेज में नामांकन करा रखे छात्रों को परिसर तक नहीं ला सका. यह छात्र केवल परीक्षा के फॉर्म भरने व एडमिट कार्ड लेने के लिए कॉलेज में दिखाई देते हैं. इन सब कॉलेजों में असमंजस की स्थिति बन गई है कि कॉलेज की व्यवस्थाओं में सुधार कौन लाएगा. कॉलेज प्रशासन, छात्र या फिर विश्वविद्यालय?

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