दुस्साहस. शहर के छोटा रमना में अड्डा जमाते हैं लॉटरी के धंधेबाज
Advertisement
अतिक्रमणकारियों का कब्जा
दुस्साहस. शहर के छोटा रमना में अड्डा जमाते हैं लॉटरी के धंधेबाज बेतिया : बेतिया राज एवं अंग्रेजी हुकुमत के जमाने से प्रख्यात छोटा रमना बाजार इन दिनों चौतरफा समस्याओं की मार झेल रहा है. इस बाजार पर एक नंबर लॉटरी के धंधेबाजों, ड्रग लेने वाले नशेड़ियों और हर तरफ अतिक्रमणकारियों का कब्जा कायम है. […]
बेतिया : बेतिया राज एवं अंग्रेजी हुकुमत के जमाने से प्रख्यात छोटा रमना बाजार इन दिनों चौतरफा समस्याओं की मार झेल रहा है. इस बाजार पर एक नंबर लॉटरी के धंधेबाजों, ड्रग लेने वाले नशेड़ियों और हर तरफ अतिक्रमणकारियों का कब्जा कायम है. लेकिन इस बाजार के निबंधित 2000 दुकानदारों की दुकानों की बंदोबस्ती, सुरक्षा और समस्याओं के निपटारा की पहल की चिंता किसी स्तर पर नहीं है. हद तो यह कि वर्ष 1962 से यहां के व्यवसायी दुकानों की बंदोवस्ती के लिए संघर्षरत हैं. लेकिन अंचल प्रशासन की ओर से आज तक इनको बंदोवस्ती की रसीद नहीं दी जा सकी है.
इसी तरह इस पूरा छोटा रमना अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. मीना बाजार के अवंतिका चौक से जब छोटा रमना में प्रवेश करते हैं तो इस मुख्य रोड पर मूत्रालय के समीप से लेकर कॉवेरी होटल तक अतिक्रमण कर लिया गया है. इसी तरह शहीद पार्क के पश्चिम में सड़क पर ही झोपड़ी बनाकर अतिक्रमण कर लिया गया है. इससे ग्राहक इस बाजार में प्रवेश नहीं करना चाहते. जबकि अनाज मंडी के रूप में प्रसिद्ध इस बाजार में सर्वाधिक अनाज, तेल व अन्य तरह की जरूरत की सामानों की बिक्री होती है.
हद तो यह कि इस बाजार के प्रवेश द्वार से लेकर पीपल वृक्ष के नीचे तक हर समय एक नंबर के लॉटरी की धंधेबाजों का जमावड़ा बना रहता है और ये कतिपय पुलिसकर्मी व सफेदपोशों के संरक्षण में भोली-भाली जनता की गाढ़ी कमाई को रोज लूट रहे हैं. वहीं शहीद पार्क से सटे व बाजार के पूर्वी हिस्से में दिनभर शराबबंदी के बाद ड्रग लेने वाले नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. ये मौका मिलते ही किसी ग्रामीण से मारपीट और छिनतई तथा चोरी में पीछे नहीं रहते.
2009 में लूट में विफल लुटेरों ने कर दी थी अंजनी केशान की हत्या : भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान जिले में जो लोग शहीद हुए थे. उनमें इस छोटा रमना बाजार के भी दो व्यवसायियों के नाम शामिल है. फिर भी सुरक्षा के नाम पर यहां कभी पुलिस की गश्ती नहीं होती. इस कारण यह बाजार पिछले कई दशकों से अपराधियों, रंगदारों और चोरों के निशाने पर रहा है. यहां 2009 में लूट में विफल होने पर लुटेरों ने अंजनी केशान की हत्या गोली मारकर कर दी थी. रंगदारी के कारण कई बार गोली चलाये जाने की घटनायें हुई हैं. जबकि चोरी की घटनाएं भी होती रहती हैं.
रमना के हजारों व्यवसायियों की प्यास बुझाता है एकमात्र चापाकल :
यह बाजार साफ-सफाई, पेयजल, नाली समेत अन्य कई समस्याओं से जूझ रहा है. यहां के हजारों व्यवसायी एक चापाकल के भरोसे हैं. छह माह पूर्व बड़ा रमना के गेट के समीप स्थापित चापाकल शुरू होने के साथ ही बंद हो गया. शिवमंदिर के पास का चापाकल भी बंद है. कुएं के पास चापाकल से ही इतने बड़े बाजार में पेयजल उपलब्ध हो रहा है.
आज पढ़िये सब्जी मंडी की समस्याओं के बारे में
प्रभात खबर हमारे बाजार अभियान के तहत प्रभात खबर की टीम शुक्रवार को सब्जी मंडी में रहेगी. वहां की समस्याओं पर दुकानदारों से बातचीत होगी. बाजार से जुड़ी हुई आपकी भी कोई समस्या हो, तो हमें बतायें. व्हाट्सएप करें. 8521544571
फैक्ट फाइल
दो हजार से अधिक दुकानें हैं
छोटा रमना में
पांच करोड़ रुपये से अधिक का
रोज होता है कारोबार
चावल, दाल, तेल व किराना के सामान मिलते हैं यहां
अतिक्रमण जैसी अन्य सभी समस्याओं को लेकर कई बार प्रशासन व विभाग से आग्रह किया गया है. लेकिन समाधान नहीं हो सका. वे कहते हैं कि अतिक्रमण व जाम के कारण इस बाजार में ग्राहक आना नहीं चाहते.
आनंद गुप्ता, सचिव, छोटा रमना व्यवसायी संघ
सबसे बड़ी समस्या जाम व पेयजल की है. तीन चापाकलों में दो बंद है और मात्र एक चापाकल के सहारे यहां के सभी व्यवसायी हैं. गश्ती भी नहीं होने से चोरी की आशंका बनी रहती है.
महेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष
निशांत कुमार ने बताया कि इस बाजार में जलनिकासी नहीं होने से जलजमाव की समस्या बनी हुई है. बरसात के दिनों में पूरा पानी भर जाता है. नालियां भी जो हैं, वह हमेशा उफनाई रहती है. कोई सुनवाई नहीं होती है.
माेनू कुमार, दुकानदार
Advertisement