अब बंगाल में गेरुआ भवन
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन के बाद रंग बदलने की जो परंपरा शुरू हुई है, उसे भाजपा आगे बढ़ाने जा रही है. अब तक किसी सरकारी दफ्तर का रंग गेरूआ नहीं था, लेकिन अब कुछ जगहों पर देखने को मिलेगा. इसे लेकर भाजपा के कार्यकर्ता उत्साहित हैं. जिन पंचायत समिति व ग्राम पंचायत […]
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन के बाद रंग बदलने की जो परंपरा शुरू हुई है, उसे भाजपा आगे बढ़ाने जा रही है. अब तक किसी सरकारी दफ्तर का रंग गेरूआ नहीं था, लेकिन अब कुछ जगहों पर देखने को मिलेगा. इसे लेकर भाजपा के कार्यकर्ता उत्साहित हैं. जिन पंचायत समिति व ग्राम पंचायत पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया है, उनका रंग अब गेरूआ होगा. भाजपा के प्रदेश महासचिव राजू बनर्जी ने कहा कि अगर कोई रंग बदलता है, तो हमें आपत्ति नहीं जतायेंगे.
उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के पहले पश्चिम बंगाल के सरकारी दफ्तर खासकर राइटर्स बिल्डिंग के लाल रंग को सत्ता के प्रतीक माना जाता था. सरकारी बसों का रंग भी लाल हुआ करता था. लेकिन 34 वर्षों के बाद जब ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने राज्य की कमान संभाली, तो सरकारी दफ्तरों में नीला-सफेद रंग नजर आने लगा.
इस बार पंचायत चुनाव में भाजपा दूसरे नंबर रही है. भाजपा ने राज्य के पांच हजार 740 ग्राम पंचायत, 762 पंचायत समिति व जिला परिषद की कुल 22 सीटों पर फतह हासिल की है. कुल मिलाकर करीब छह हजार सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है. इन जगहों पर दफ्तरों के रंग गेरूआ करने के लिए विजयी उम्मीदवार भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से पत्र लिखकर पार्टी का दिशा निर्देश मांग रहे हैं.
राजू बनर्जी ने कहा कि इस मामले में पार्टी की तरफ से कोई रोक नहीं है. अगर कोई रंग बदल कर गेरूआ करना चाहता है, तो कर सकता है. हालांकि रंग बदलने के इच्छुक लोगों ने प्रदेश नेतृत्व को कहा है कि अगर राज्य सरकार रंग-रोगन के लिए पैसा नहीं देती है, तो वे अपने पैसे से एेसा करेंगे.