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Friday, March 29, 2024

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नागरिकता विधेयक के समर्थन में अभियान चलायेगा आरएसएस

कोलकाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन में वह देशभर में अभियान चलायेगा, जिससे डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों लाभान्वित होनेवाले हैं और इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. बंगाल में विशेष रूप से अभियान चलाया जायेगा, […]

कोलकाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन में वह देशभर में अभियान चलायेगा, जिससे डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों लाभान्वित होनेवाले हैं और इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. बंगाल में विशेष रूप से अभियान चलाया जायेगा, क्योंकि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक लेकर अप्रचार किया जा रहा है. बंगाल में घर-घर में आरएसएस के स्वयंसवेक जाकर नागरिकता संशोधन विधेयक की वास्तविकता को बतायेंगे.

असम में विधेयक का सीमित प्रभाव होने का तर्क देते हुए आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दावा किया कि राज्य में इससे केवल छह लाख लोगों को लाभ मिलेगा. वहीं, पश्चिम बंगाल में 72 लाख से अधिक लोग लाभान्वित होंगे. उन्होंने कहा कि देश में एक दशक से रहनेवाले प्रताड़ित हिंदुओं, सिखों और बौद्धों को लाभ मिलेगा और वे देश के स्वाभाविक नागरिक हैं. पड़ोसी देशों में हिंदू, सिख, जैन और अन्य समुदाय को प्रताड़ित किये जाने के लिए विभाजन को जिम्मेदार ठहराते हुए संघ पदाधिकारी ने कहा कि धर्म के आधार पर देश के बंटवारे के कारण ही यह हुआ.
संघ के सूत्रों ने कहा : वे हमारे ही लोग हैं और इससे 1.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को लाभ होगा, जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं, जिन्हें नागरिकता मिलेगी और आरक्षण का लाभ भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाकर पंचायत स्तर तक पहुंचा जायेगा और लोगों को इस विधेयक के लाभ के बारे में जागरूक किया जायेगा.
विधेयक में नागरिकता देने के लिए धर्म का मानदंड रखने के पीछे का तर्क पेश करते हुए संघ पदाधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का राज्य धर्म इस्लाम है और मुस्लिम वहां के ‘प्रिय नागरिक’ हैं. हिंदू, सिख और ईसाई समुदायों के लोगों को उनके धर्म के कारण इन देशों में यातनाएं दी जाती हैं, जिनकी जड़ें भारत में हैं.
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