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जीडीपी का आधार वर्ष बदलने का फैसला दो-तीन माह में : मुख्य सांख्यिकीविद

लकाता : भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने सोमवार को कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि की गणना के लिए नया अधार वर्ष तय करने का निर्णय दो- तीन महीने में ले लिया जायेगा. केंद्र सरकार कुछ सर्वेक्षणों के परिणाम की प्रतीक्षा कर रही है. श्री श्रीवास्तव का यह वक्तव्य ऐसे समय आया […]

लकाता : भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने सोमवार को कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि की गणना के लिए नया अधार वर्ष तय करने का निर्णय दो- तीन महीने में ले लिया जायेगा. केंद्र सरकार कुछ सर्वेक्षणों के परिणाम की प्रतीक्षा कर रही है.

श्री श्रीवास्तव का यह वक्तव्य ऐसे समय आया है जब कांग्रेस ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की इस बात के लिए आलोचना की है, वह जीडीपी वृद्धि की गणना के लिए आधार वर्ष को मौजूदा 2011-12 से बदल कर 2017-18 कर रही है. श्रीवास्तव सांख्यिकीविद के साथ ही सांख्यकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सचिव भी हैं.
उन्होंने कहा : वर्ष 2017- 18 को आधार वर्ष के बारे में निर्णय 2016 में ही ले लिया गया था. हम कुछ सर्वेक्षणों के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उसके आधार पर ही इस बारे में निर्णय ले लिया जायेगा कि आधार वर्ष क्या होना चाहिये.
उन्होंने कहा : इस बारे में विशेषज्ञों का एक समूह विचार विमर्श करेगा और दो से तीन माह में निर्णय ले लिया जायेगा. श्रीवास्तव यहां दो दिन चलने वाले केंद्रीय और राज्य सांख्यिकीय संगठन की बैठक को संबोधित कर रहे थे.
श्रीवास्तव ने कहा : इसे (2017- 18 को आधार वर्ष) कभी भी अंतिम रूप नहीं दिया गया. सामान्य तौर पर हम इसे हर पांच साल में करते हैं. यदि हमें किसी आधार वर्ष को चुनना है तो उसके लिए हमें सर्वेक्षण के वास्ते समय चाहिये. वर्ष 2017- 18 में सर्वेक्षण शुरू करने के लिये पहले निर्णय ले लिया गया था. अब सर्वेक्षण के आधार पर ही हमें निर्णय लेना होगा कि यह आर्थिक लिहाज से अच्छा वर्ष रहा है अथवा नहीं.
उन्होंने कहा : हमने इससे पहले तय किया था कि 2009- 10 अच्छा वर्ष नहीं है, लेकिन सर्वेक्षण किया गया. जब इसका परिणाम आया तो यह महसूस किया गया कि हमें आधार वर्ष को 2011-12 में बदलना होगा.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को जीडीपी वृद्धि की गणना के लिए आधार वर्ष को 2011-12 से बदल कर 2017-18 करने की केंद्र सरकार की योजना की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि यह बहुत ही ‘भयानक’ विचार है.
जयराम रमेश ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि क्या यह कदम मोदी सरकार की दूसरी पारी को जीडीपी आंकड़ों के लिहाज से बेहतर दिखाने के लिए उठाया जा रहा है. रमेश ने यह भी सुझाव दिया था कि 2017- 18 के बजाय 2018-19 को जीडीपी आधार वर्ष बनाया जाना चाहिये, क्योंकि 2017-18 सामान्य वर्ष नहीं रहा है.
यह साल नोटबंदी का फैसला लेने और जीएसटी को जल्दबाजी में लागू करने वाला साल रहा है. यह पूछे जाने पर कि क्या 2018-19 को आधार वर्ष बनाया जाना विचाराधीन है. इस पर उन्होंने कहा : 2018- 19 संभव नहीं है. यह साल बीत चुका है और पीछे के वर्ष में सर्वेक्षण नहीं कर सकते हैं. सर्वेक्षण आगे के लिए होना चाहिये. हमारे लिए सबसे नजदीक 2020- 21 का वर्ष है.

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