34.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

गुटखा पर पाबंदी को सख्ती से लागू करने की जरूरत

कोलकाता : राज्य सरकार की ओर से बंगाल में एक वर्ष के लिए गुटखा पर पाबंदी लगा दी गयी है, लेकिन इस पर अमल को लेकर सरकार काफी सुस्त दिख रही है. लोगों को मानना है कि सरकार का यह फैसला केवल सतही न हो बल्कि पाबंदी को सख्ती से लागू किया जाये. इस विषय […]

कोलकाता : राज्य सरकार की ओर से बंगाल में एक वर्ष के लिए गुटखा पर पाबंदी लगा दी गयी है, लेकिन इस पर अमल को लेकर सरकार काफी सुस्त दिख रही है. लोगों को मानना है कि सरकार का यह फैसला केवल सतही न हो बल्कि पाबंदी को सख्ती से लागू किया जाये. इस विषय पर चर्चा करने के लिए प्रभात खबर कार्यालय में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें समाज के विभिन्न तबके के लोगों ने हिस्सा लिया.

मोहम्मद शमशेर (व्यवसायी): सरकार का यह फैसला सही है. लेकिन अभी तक ऐसा नहीं लगता कि सरकार इस मामले में गंभीर है. अभी भी पान की हर दुकान में गुटखे की बिक्री हो रही है. सरकार को केवल गुटखा ही नहीं, बल्कि शराब और सिगरेट पर भी पाबंदी लगा देनी चाहिए. यह पाबंदी कई वर्षों पहले ही लगा देनी चाहिए थी. लेकिन मौजूदा हालात देख कर स्पष्ट है कि इससे कालाबाजारियों को ही फायदा होगा.
मोहम्मद शाहनवाज खान (व्यवसायी): गुटखा पर पाबंदी लगाना एक अच्छा कदम है. इससे न केवल होनेवाली गंदगी पर रोक लगेगी, बल्कि इसका इस्तेमाल न करने से लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा. लेकिन यह कदम दिखावे का कदम ही लग रहा है. सरकार को चाहिए कि गुटखे जहां बन रहे हैं, उन स्थानों पर ही धावा बोले. केवल दिखावे के लिए पाबंदी लगाने से पुलिस को फायदा होगा. वह दुकानदारों को परेशान करेंगे.
पंकज सोनकर (व्यवसायी): सरकार का यह सराहनीय काम है. हर वर्ष तंबाकू के सेवन से हजारों लोगों की मौत होती है. गुटखे का सेवन मजदूर वर्ग के लोग ज्यादा करते हैं. उनकी कमाई का एक हिस्सा इसकी भेंट चढ़ जाता है.
इसके अलावा स्वास्थ्य की दूसरी समस्याएं तो होती ही हैं. लेकिन बड़ाबाजार और अन्य इलाकों में यह आज भी खुलेआम बिक रहा है. पाबंदी का असर नहीं दिख रहा. सरकार अगर फुल एक्शन ले तभी यह कारगर होगा. कुछ वर्ष पहले भी सरकार ने इस बाबत घो
षणा की थी, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ था.
मजहर आलम (नौकरीपेशा): सरकार की पाबंदी का तरीका गलत है. मार्च महीने में दुकानदार अपना लाइसेंस रीन्यू करते हैं. लाइसेंस को रीन्यू करते वक्त ही गुटखे पर पाबंदी की बात कह दी जाती तो बेहतर होता. आज वह अपना स्टॉक लेकर कहां जायेंगे? लिहाजा वह चोरी छिपे बेचने को मजबूर हैं.
मो आकिब जहूर(नौकरीपेशा) : सरकार की पाबंदी की घोषणा के बावजूद इसे बेचा जा रहा है. सरकार द्वारा अभी तक दुकानों पर छापा नहीं मारा गया है. तो फिर रोकथाम कैसे हो सकती है? केवल दुकानदारों को परेशान करने का सिलसिला शुरू होगा. गुटखे पर पाबंदी एक वर्ष के लिए ही नहीं, बल्कि हमेशा के लिए लगा देनी चाहिए.
सूरज मिश्रा (टैक्स कंसल्टेंट): गुटखे का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के साथ-साथ पैसे की बर्बादी भी है. जरूरत है कि स्कूली शिक्षा के वक्त ही छोटे बच्चों को गुटखे से होनेवाले नुकसान के संबंध में बताया जाये, ताकि यह आदत ही न पनपे. इस दिशा में जागरूकता फैलाना भी जरूरी है. पाबंदी को न मानने वालों पर भारी जुर्माना लगाना चाहिए.
मोहम्मद शमशाद (नौकरीपेशा): सरकार ने गुटखे पर पाबंदी तो लगायी लेकिन वह केवल कागजी कार्रवाई ही रह गयी. इसकी रोकथाम के लिए जमीनी स्तर पर उसने कुछ नहीं किया गया. आगे जो स्थिति दिखायी दे रही है उसमें दुकानदारों की परेशानी बढ़ेगी, पुलिस को लाभ होगा, फिर भी गुटके की बिक्री बंद नहीं होगी. जरूरत हकीकत में कठोर कार्रवाई करने की है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें