कोलकाता : राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेइइ) बांग्ला भाषा में भी कराने की मांग की है.
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इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा बांग्ला में भी कराने की मांग की
कोलकाता : राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेइइ) बांग्ला भाषा में भी कराने की मांग की है. मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने जेइइ (मेन) का आयोजन करने वाली एजेंसी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को पत्र लिखकर बांग्ला भाषा में भी यह परीक्षा कराने का अनुरोध […]
मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने जेइइ (मेन) का आयोजन करने वाली एजेंसी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को पत्र लिखकर बांग्ला भाषा में भी यह परीक्षा कराने का अनुरोध किया है.
राज्य सचिवालय नवान्न से मिली जानकारी के अनुसार मुख्य सचिव ने गुरुवार को यह पत्र लिखा है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्ला सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी जेइइ (मेन) की परीक्षा कराने की मांग की है.
मुख्यमंत्री ने हिंदी और अंग्रेजी के अलावा सिर्फ गुजराती में यह प्रवेश परीक्षा कराये जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी थी. मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा, ‘मुझे जेइइ मेंस के गुजराती भाषा में कराये जाने पर कोई समस्या नहीं है.
लेकिन, अन्य भारतीय भाषाओं की अनदेखी क्यों की जा रही है? उनके साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है? अगर गुजराती उपलब्ध है, तो फिर बंगाली सहित अन्य भारतीय भाषाओं को भी शामिल करना चाहिए.’ ममता ने कहा कि अगर इस पर सही तरीके से फैसला नहीं होता, तो इस पर हर तरफ से कड़ा विरोध दर्ज कराया जायेगा क्योंकि इस अन्याय से अन्य क्षेत्रीय भाषा के लोगों की भावना को काफी ठेस पहुंचेगी.इससे पहले एनटीए ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्टीकरण दिया. एजेंसी ने कहा है कि गुजरात ने हमसे अनुरोध किया था इसलिए गुजराती में प्रश्नपत्र उपलब्ध करने की व्यवस्था है.
बाकी के राज्यों ने इस संबंध में हमसे कोई संपर्क नहीं किया है. एनटीए की तरफ से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया है कि जेइइ(मेंस) की शुरुआत 2013 को इस अवधारणा के साथ की गयी थी कि सभी राज्य अपने इंजीनियरिंग अभ्यर्थियों को अपने कॉलेजों में जेइइ (मेन) के जरिये प्रवेश देंगे. इसने कहा, ‘ 2013 में सभी राज्यों को अनुरोध भेजा गया था. सिर्फ गुजरात ही अपने इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स को जेइइ (मेन) के जरिये दाखिला दिलवाने के लिए तैयार हुआ और उसने साथ में अपील की थी कि प्रश्नपत्र गुजराती भाषा में उपलब्ध होना चाहिए.’
एनटीए ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘इसके बाद 2014 में महाराष्ट्र भी अपने कैंडिडेट को राज्य इंजीनियरिंग कॉलेज में जेइइ (मेन) के जरिये दाखिला दिलाने के लिए तैयार हुआ. महाराष्ट्र ने प्रवेश परीक्षा का पेपर उर्दू और मराठी में भी उपलब्ध कराने की अपील की थी.’ इसने बताया कि 2016 में दोनों राज्यों ने जेइइ (मेन) के जरिये प्रवेश दिलाने के फैसला रद्द कर दिया. इसके बाद मराठी और उर्दू में प्रश्नपत्र का अनुवाद बंद कर दिया गया.
हालांकि, गुजरात सरकार के अनुरोध पर जेइइ (मेन) के टेस्ट पेपर का गुजराती में अनुवाद जारी रहा. एनटीए ने कहा, ‘किसी भी राज्य ने जेइइ (मेन) के प्रश्नपत्र को किसी अन्य भारतीय भाषा में उपलब्ध कराने की अपील नहीं की है.’ गौरतलब है कि जेइइ (मेन) के रैंक के आधार पर एनआइटी और आइआइआइटी में प्रवेश मिलता है. आइआइटी में दाखिले के लिए जेइइ (एडवांस) देने के लिए जेइइ (मेन) का परिणाम ही आधार होता है.
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