By Prabhat Khabar | Updated Date: Oct 19 2019 1:22AM
कोलकाता : अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले निकाय चुनाव में तृणमूल कार्यकर्ता को टिकट वितरण का मानदंड ‘दीदी के बोलो’ कार्यक्रम की सफलता बनेगा. पार्टी के सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने कहा कि जो दावेदार तृणमूल नेतृत्व को अपने प्रदर्शन से प्रभावित करेंगे उन्हें ही कोलकाता नगर निगम व 107 नगर पालिकाओं के चुनाव में टिकट दिया जायेगा.
तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व ने राज्य की 107 नगर पालिकाओं और कोलकाता नगर निगम में अपने समर्थकों का आधार और उसमें भाजपा की पैठ की समीक्षा करने के लिए सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है. निकाय चुनाव को 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अहम माना जा रहा है. नाम न बताने की शर्त पर तृणमूल के सूत्रों ने कहा कि ‘दीदी के बोलो’ कार्यक्रम और सर्वेक्षण के परिणाम प्रत्याशी के चयन का आधार होंगे और इससे अयोग्य उम्मीदवारों को छांटने में सुविधा होगी.
एक तृणमूल नेता ने कहा, “दीदी के बोलो का तीसरा चरण इस हफ्ते की शुरुआत में शुरू हुआ जो दिसंबर तक पूरा कर लिया जायेगा. पार्टी का आतंरिक सर्वेक्षण अगले साल जनवरी तक पूरा कर लिया जायेगा. रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी और शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी जायेगी, जिसके बाद उम्मीदवारों की सूची बनाई जायेगी. पार्टी सूत्रों के अनुसार राज्य भर की नगर पालिकाओं और कोलकाता नगर निगम के चुनाव परिणाम 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम के सूचक सिद्ध होंगे. भाजपा के पश्चिम बंगाल में तेजी से बढ़ते प्रभाव के कारण निकाय चुनाव का महत्व बढ़ गया है.
गौरतलब है कि भाजपा ने 2019 के संसदीय चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 में से 18 सीटों पर कब्जा जमाया था जो कि सत्ताधारी तृणमूल से चार ही कम थी. लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के बाद तृणमूल कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की जड़ें जमाने के लिए नियुक्त किया था. दीदी के बोलो कार्यक्रम प्रशांत के दिमाग की उपज है.