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Friday, March 29, 2024

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कार्यकर्ताओं की हत्या के गुनाहगार को ममता ने बना दिया सांसद : विजयवर्गीय

आठ साल की सत्ता के बावजूद नहीं हुई है कोई कार्रवाई, कमीशन की रिपोर्ट नहीं आयी रैली पूरी तरह फ्लॉप, भाषण में झलक रहा था हार का फ्रस्ट्रेशन चिटफंड मामले में इडी और सीबीआइ की जांच से सत्तापक्ष के मंत्री-अधिकारी होंगे बेनकाब कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की 21 जुलाई की शहीद सभा पर भाजपा नेताओं […]

  • आठ साल की सत्ता के बावजूद नहीं हुई है कोई कार्रवाई, कमीशन की रिपोर्ट नहीं आयी
  • रैली पूरी तरह फ्लॉप, भाषण में झलक रहा था हार का फ्रस्ट्रेशन
  • चिटफंड मामले में इडी और सीबीआइ की जांच से सत्तापक्ष के मंत्री-अधिकारी होंगे बेनकाब
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की 21 जुलाई की शहीद सभा पर भाजपा नेताओं की निगाहें टिकी हुईं थी. भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी नेता कैलाश विजयवर्गीय भी सभा के दिन कोलकाता में ही थे और सभा की गतिविधियों पर पूरी नजर रखे हुए थे.सभा के बाद श्री विजयवर्गीय ने तृणमूल कांग्रेस की शहीद सभा को पूरी तरह से फ्लॉप शो करार देते हुए कहा कि ममता बनर्जी के भाषण में लोकसभा चुनाव में उनकी हार का फ्रस्ट्रेशन दिख रहा था. उनमें न ही आत्मविश्वास था और न जोश.
प्रभात खबर के विशेष संवाददाता अजय विद्यार्थी ने भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय से सभा को लेकर बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
सवाल : तृणमूल कांग्रेस की शहीद सभा को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
जवाब : पूरी तरह से फ्लॉप शो था. सभा में पहले की तुलना में कम लोग थे. ममता जी ने कोई पोलिटिकल भाषण नहीं दिया. फ्रस्ट्रेशन वाला भाषण था. ममता जी के भाषण में हार का फ्रस्ट्रेशन पूरी तरह से झलक रहा था. जो शहीद हुए थे, जिनके नाम पर रैली बुलायी गयी थी. उनके लिए एक शब्द नहीं बोला गया. उनके परिजन कहीं दिखायी नहीं दिये.
उस गोलीकांड के लिए जो कमीशन बनाया गया था, उसकी रिपोर्ट आज तक नहीं आयी. उस समय जो अधिकारी होम सेक्रेट्री था. वह टीएमसी के नेता बन गये हैं. टीएमसी के सांसद हैं. इससे ममता जी का दोहरा चरित्र सामने आता है. जिनके नाम पर रैली बुलाती हैं. जिन हत्याओं के लिए अधिकारी दोषी हैं. वह अधिकारी टीएमसी के नेता हैं.
इससे आप समझ सकते हैं कि ममता जी 21 जुलाई के इस हत्याकांड के लिए प्रति कितनी गंभीर हैं? यह मंच कार्यकर्ताओं के लिए उपयोग नहीं हुआ, बल्कि आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए उनका भाषण था. जिसमें कहीं पर भी न श्रद्धा थी, न आत्मविश्वास था. सिर्फ फ्रस्ट्रेशन था.
सवाल : मुख्यमंत्री का आरोप है कि ट्रेनें कम चलायी गयीं. तृणमूल कार्यकर्ताओं को बसों से आने से रोका गया?
जवाब : रेलवे विभाग ने अपनी विज्ञप्ति जारी की है कि एक ट्रेन कम नहीं हुई. किसी ट्रेन में तोड़फोड़ नहीं हुई है और न ही कोई ट्रेन रोकी गयी है. सभा में कार्यकर्ता नहीं जुटे. ममता जी से जनता का मोह भंग हो गया है, इसलिए वह बहानेबाजी कर रही हैं.
सवाल : मुख्यमंत्री का कहना है कि जनता भाजपा से, केंद्र सरकार से ब्लैक मनी के पैसे वापस मांगेंगी ?
जवाब : चिटफंड कंपनी के ब्लैक मनी का पैसा, उसके लिए इडी, सीबीआइ जांच कर रही है और जिन्होंने चिटफंड कंपनी का ब्लैक पैसा लिया है. चाहे वह मुख्यमंत्री ही क्यों न हों, सीबीआइ और इडी को चाहिए कि उनके चेहरे बेनकाब करें. जिस तरह से जांच चल रही है. सत्ता से जुड़े मंत्री और अधिकारी सभी के चेहरे सामने आ जायेंगे.
सवाल : मुख्यमंत्री का कहना है कि नगरपालिका चुनाव बैलट पेपर से कराने की मांग करेंगी. चुनाव इवीएम से नहीं, बैलट पेपर से हों?
जवाब: बैलट पेपर के माध्यम से पोलिंग बूथ पर कब्जा करना, चुनाव में भ्रष्ट तरीके से मतदान कराना और चूंकि ये सब ममता जी के हथकंडे लोकसभा चुनाव में नहीं चल पाये. ममता जी फिर से चुनाव में पोलिंग बूथ पर कब्जा व अवैध तरीके से चुनाव जीतने का हथकंडा चाहती हैं.
सवाल : मुख्यमंत्री का आरोप है कि माकपा के हर्मद भाजपा के जल्लाद हो गये हैं और उन पर पहले कोई मामले दायर नहीं किये गये थे, लेकिन अब उनके खिलाफ मामले दायर किये जायेंगे ?
जवाब : पहले ममता जी जो 13 शहीद कार्यकर्ता हुए हैं. उन पर गोली चलाने वाले अधिकारी जो अब पार्टी के नेता बने हैं. उन्हें सजा दें. जिनकी लाश पर 21 जुलाई को राजनीतिक रोटियां सेंकती हैं. जिन कार्यकर्ताओं की लाश पर राजनीतिक रोटियां सेंकती है. ममता की सरकार ने आठ वर्षों में उनके दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की हैं ? उन्हें सांसद सदस्य बना दी हैं.
सवाल : मुख्यमंत्री का आरोप है कि केंद्र सरकार फेडरल स्ट्रक्चर को बुल्डोज कर रही हैं?
जवाब : सभी बेबुनियाद आरोप हैं‍. लोगों ने देखा है कि किस तरह से सीबीआइ अधिकारी के साथ मारपीट की गयी. उन्हें थाने में बंद करने को कीशिश की गयी. अंत में हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा और उनके प्रिय अधिकारियों को कोर्ट में जाना पड़ रहा है.
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