कोलकाता : लोकसभा चुनाव में देश भर में कांग्रेस का प्रदर्शन बदहाल रहा. पश्चिम बंगाल भी इससे अपवाद नहीं है. राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को महज दो सीटों में जीत हासिल हुई है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अधीर चौधरी बहरमपुर से तथा मालदा दक्षिण से अबू हासेम खान चौधरी को जीत हासिल हुई है. यानी गत लोकसभा के मुकाबले दो सीट कम. कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2014 के 9.58 प्रतिशत से घटकर 2019 में 5.61 प्रतिशत रह गया है.
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राज्यसभा सांसद ने कहा- कांग्रेस नेताओं को अपने बेटे-बेटियों से ज्यादा पार्टी की फिक्र करनी होगी
कोलकाता : लोकसभा चुनाव में देश भर में कांग्रेस का प्रदर्शन बदहाल रहा. पश्चिम बंगाल भी इससे अपवाद नहीं है. राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को महज दो सीटों में जीत हासिल हुई है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अधीर चौधरी बहरमपुर से तथा मालदा दक्षिण से अबू हासेम खान चौधरी को जीत […]
निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के सामने दो वर्ष बाद होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव के पूर्व पार्टी को संभालने की चुनौती भी है. पार्टी के बदहाल प्रदर्शन के बाद जहां कार्यकर्ताओं में निराशा है वहीं पार्टी के कामकाज के तरीकों में आमूल परिवर्तन की मांग भी उठने लगी है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एकजुट होने की जरूरत है. कांग्रेस नेताओं को भी अब पार्टी पर ध्यान देना होगा.
उन्हें अपने बेटे-बेटियों से ज्यादा पार्टी की फिक्र करनी होगी. श्री भट्टाचार्य का यह भी कहना था कि कांग्रेस को अपने कामकाज के तरीके में भी बदलाव करने की जरूरत है. कांग्रेस को हर ब्लॉक में पेड वर्कर (पारिश्रमिक हासिल करने वाले कार्यकर्ता) रखने की जरूरत है. ऐसे कार्यकर्ता जो वोटर लिस्ट पर नजर रखने के अलावा जमीनी स्तर पर पार्टी को भी मजबूत करें.
इसके अलावा पार्टी में अनुशासन को भी कायम रखना होगा. बिना अनुशासन के बेहतर नतीजे हासिल नहीं किए जा सकते. राज्य की मौजूदा स्थिति पर प्रदीप भट्टाचार्य कहते हैं कि राज्य में धार्मिक ध्रुवीकरण देखा जा रहा है. जिन स्थानों पर मुस्लिम मतदाओं का संख्या अधिक है वहां तृणमूल को वोट मिल रहे हैं और जहां हिंदू मतदाता हैं वहां भाजपा को. ऐसी स्थिति बंगाल में पहले कभी नही थी.
लेकिन मुस्लिम मतदाताओं को भी समझना होगा कि देश में भाजपा को केवल कांग्रेस ही रोक सकती है. पार्टी में युवा नेतृत्व के प्रश्न पर वह कहते हैं कि युवा नेता तो आ रहे हैं लेकिन उनमें राजनीतिक समझ अपेक्षा के मुताबिक नहीं है. युवाओं को अपनी राजनीतिक सोच को और समृद्ध करने की जरूरत है.
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