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कोलकाता : जूट श्रमिकों की हड़ताल पर आज फिर बैठक

राज्य के श्रम िवभाग ने बुलायी है त्रिपक्षीय बैठक कोलकाता : एक मार्च से प्रस्तावित जूट श्रमिक संगठनों की लगातार हड़ताल को लेकर मंगलवार को श्रम विभाग ने फिर से त्रिपक्षीय बैठक बुलायी है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले हड़ताल टालने को लेकर हुई त्रिपक्षीय बैठक असफल रही थी. जूट मिलों में स्थायी श्रमिकों की […]

राज्य के श्रम िवभाग ने बुलायी है त्रिपक्षीय बैठक
कोलकाता : एक मार्च से प्रस्तावित जूट श्रमिक संगठनों की लगातार हड़ताल को लेकर मंगलवार को श्रम विभाग ने फिर से त्रिपक्षीय बैठक बुलायी है.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले हड़ताल टालने को लेकर हुई त्रिपक्षीय बैठक असफल रही थी. जूट मिलों में स्थायी श्रमिकों की नियुक्ति, प्रति माह 18 हजार रुपये न्यूनतम पारिश्रमिक, श्रमिकों के बकाये पीएफ तथा ग्रेच्युटी के भुगतान सहित कुल 18 सूत्री मांगों को लेकर आहूत हड़ताल पर चर्चा के लिए 22 फरवरी को श्रम विभाग ने त्रिपक्षीय बैठक बुलायी थी, लेकिन उस बैठक में कोई फैसला नहीं हुआ था. बैठक असफल रही थी. राज्य के विरोधी दलों द्वारा संचालित 21 श्रमिक संगठनों ने राज्य सरकार को नोटिस देकर सूचित किया है कि एक मार्च से श्रमिक हड़ताल पर रहेंगे. हालांकि इस हड़ताल में तृणमूल समर्थित श्रमिक संगठन शामिल नहीं होंगे.
सीटू नेता व पूर्व मंत्री अनादि साहू ने कहा कि यदि राज्य सरकार मांग नहीं मानती है, तो हड़ताल के सिवा कोई विकल्प नहीं है. जूट मिल मालिक समझते हैं कि राज्य सरकार उन लोगों के साथ है. आइएनटीटीयूसी की अध्यक्ष डोला सेन कहा कि त्रिपक्षीय बातचीत चल रही है. इस स्थिति में हड़ताल बुलाना पूरी तरह से अनैतिक है. वे लोग श्रमिकों के साथ हैं. श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि राज्य में जूट मिलों की संख्या 18 है. इन जूट मिलों में लगभग ढाई लाख श्रमिक काम करते हैं.
1972 के बाद जूट श्रमिकों के मूल वेतन में वृद्धि नहीं हुई है. वर्तमान में जूट श्रमिकों का दैनिक पारिश्रमिक 257 रुपये है तथा डीए 4500 रुपये है. श्रमिक संगठनों का आरोप है कि राज्य सरकार व जूट मिल मालिक नियम को नहीं मान रहे हैं. श्रमिकों को अलग-अलग पारिश्रमिक देकर काम कराया जा रहा है.
दूसरे राज्यों में जूट के बोरे के लिए मचा हाहाकार
पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में जूट के बोरे की बढ़ी मांग
जूट मिलों पर बोरे की शीघ्र सप्लाई का बढ़ा दबाव
कोलकाता : रबी सीजन के खाद्यान्नों की खरीदारी एक मार्च से शुरू होनेवाली है. राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उत्पादों की बेहतर उपज को ध्यान में रखते हुए 19.27 लाख बेल जूट के बोरे की जरूरत पड़ने का अनुमान निर्धारित किया गया है.
पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों की ओर से बोरे की बढ़ती मांगों के मद्देनजर व मंत्रालय के अधीन जूट आयुक्त (जेसी) कार्यालय ने 12.02 लाख बेल बोरे सप्लाई करने का ऑर्डर जूट मिलों को दिया था.
इसके अनुरूप जूट मिलें केवल 6.42 लाख बेल बोरे तैयार कर सकी हैं, जो मांग से कम है. इस वजह से जूट के बोरे के लिए पंजाब सहित दूसरे राज्यों में हाहाकार मची हुर्ई है. जूट के बोरे की भरपाई के लिए जेसी कार्यालय ने जूट मिलों पर बोरे की त्वरित सप्लाई करने का दबाव डाला है.
इधर, जूट श्रमिकों के वेतन वृद्धि सहित अन्य 22 सूत्री मांगों को लेकर जूट उद्योग में एक मार्च से प्रस्तावित बेमियादी हड़ताल की घोषणा ने बोरे के खरीदारों की धड़कनें तेज कर दी हैं. सूत्रों ने बताया कि बैठक में खाद्य तथा जन वितरण मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जूट उद्योग की बोरे की मासिक सप्लाई क्षमता 2.5 लाख बेल ही है, जो जरूरतों के मुकाबले 8.74 लाख बेल कम होगी.
इस पर असहमति व्यक्त करते हुए जूट मिल मालिकों के संगठन इजमा ने बोरे की कमी का ठीकरा राज्यों पर फोड़ने का प्रयास किया है. उक्त बैठक में इजमा ने दलील दी है कि हालांकि मंत्रालय नवंबर 2018 से पहले ही बोरे की माहवारी सप्लाई योजना तय कर चुका था. लेकिन राज्यों ने नवंबर और दिसंबर तक मांग पत्र पेश नहीं किया. नतीजा यह हुआ कि जूट मिलें बोरे की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकीं. इजमा ने सरकार को यह भरोसा दिलाया कि जूट मिलें करीब 6.5 लाख बेल बोरे तैयार कर चुकी हैं और 30 अप्रैल 2019 तक और 8.5 लाख बेल बोरे सप्लाई करने का वादा भी किया.
बोरे में कटौती की संभावनाएं बढ़ी :
जूट उद्योग के जानकारों का कहना है कि रबी सीजन में खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए जूट के बोरे की कमी पूरा करने का एकमात्र रास्ता कटौती (डायल्यूशन) ही है. खाद्य और जन वितरण मंत्रालय की बैठक की चौंकानेवाली रिपोर्ट से स्पष्ट है कि वह करीब तीन लाख बेल जूट के बोरे की कटौती पर मुहर लग सकता है.

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