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Thursday, March 28, 2024

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हिंदी को राष्ट्रीय गर्व की भाषा बनाने का सही प्रयास अब तक नहीं हुआ : राज्यपाल

कोलकाता : हिंदी को राष्ट्रीय गर्व की भाषा बनाने का अब तक कोई सही प्रयास नहीं किया गया. हिंदी की ग्राह्यता के लिए सभी को उस स्तर की मानसिकता बनानी पड़ेगी. हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए और वही हमारी पहचान होनी चाहिए. ये बातें राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद कोलकाता […]

कोलकाता : हिंदी को राष्ट्रीय गर्व की भाषा बनाने का अब तक कोई सही प्रयास नहीं किया गया. हिंदी की ग्राह्यता के लिए सभी को उस स्तर की मानसिकता बनानी पड़ेगी. हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए और वही हमारी पहचान होनी चाहिए.

ये बातें राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद कोलकाता और नारायण साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय भाषा परिषद में आयोजित ‘राजभाषा सम्मेलन’ कार्यक्रम में कही. उन्होंने इलाहाबाद की घटना की चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी को उच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने याचिका में हस्ताक्षर हिंदी में किया था.
उन्होंने बताया कि ये उनके द्वारा पहला प्रयास था, काफी प्रयास के बाद हिंदी में हस्ताक्षर की स्वीकृति मिल गयी. अब तो उच्च न्यायालय में याचिकाएं भी हिंदी में प्रस्तुत की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि कई बार हम सोचते हैं कि छोटे-छोटे प्रयासों से क्या होगा, पर यही प्रयास महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. श्री त्रिपाठी ने कहा कि एक बार संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में उन्होंने हिंदी में ही अपनी बात रखी थी, जिसके बाद उन्हें एक अजीब से गर्व का अनुभव हुआ था. उन्होंने कहा कि हमें कर्यालय के अंदर व बाहर भी हिंदी ही बोलनी चाहिए.
श्री त्रिपाठी ने कहा कि कहा जाता है कि तमिलनाडु में हिंदी स्वीकार्य नहीं है. इसके लिए प्रयोग होना जरूरी है. जब भाषा प्रयोग में लायी जाएगी, तभी लोग उसे समझेंगे. उन्होंने दूसरे सत्र के कवि सम्मेलन में काव्यावृति करने से पूर्व कहा कि लोग उनको महामहिम, मंत्री, प्रशासनिक इत्यादि कहकर उनका परिचय देते हैं, पर वे अपना परिचय बहुत सहज भाव, संवेदना, साहित्य व धर्म से जुड़ा व्यक्तित्व बताते हैं. और कहते हैं ‘इससे आगे मैं क्या बोलूं’. जो कविता का शीर्षक भी था. कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने राजभाषा श्री सम्मान व व्यक्तिगत राजभाषा गौरव सम्मान नामित व्यक्तियों को सर्वोत्कृष्ट कार्य हेतु प्रदान किया.
कार्यक्रम में पूर्व लोकपाल ऋषिकेश शरण की पुस्तक ‘सिद्धार्थ का जीवन एवं शाक्यमुनि’, साहित्यकार डॉ पद्मेश गुप्ता (यूके) की पुस्तक ‘प्रवासी पुत्र’, रामनाथ बेखबर की पुस्तक ‘भले ही बेखबर लेकिन’ का विमोचन राज्यपाल जी के कर कमलों से हुआ. दूसरे सत्र में हुए कवि सम्मेलन में राज्यपाल जी के साथ ज्ञान प्रकाश पाण्डेय, शुभ्रा दुबे, नंदलाल रोशन, सोमा बंद्धोपाध्याय, सुभ्रा उपाध्याय ने कविताओं का पाठ किया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब नेशनल बैंक के अंचल प्रमुख एल के मल्होत्रा, बीबीजे कंस्ट्रक्शन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुंदर बनर्जी, कोलकाता गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ सत्या उपाध्याय, नारायणी साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आशुतोष प्रसाद, केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो कोलकाता के सलाहकार श्रीलाल प्रसाद, साहित्यकार(यूके) पद्मेश गुप्ता, समाजसेवी अशोक अग्रवाल आदि उपस्थित थे.
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