कोलकाता : महानगर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला के अंतिम दिन सोमवार को पब्लिशर्स की डिजिटलाइजेशन की शिकायतों को गौर करते हुए एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. परिचर्चा के अध्यक्ष व महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, कोलकाता के केंद्रीय प्रभारी सुनील कुमार ने कहा कि किताबों का महत्व हमेशा रहेगा. डिजिटल युग किताबों के महत्व को कम नहीं कर रहा, बल्कि बढ़ा ही रहा है.
महाराजा शिरीष चंद्र कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष कार्तिक चौधरी ने डिजिटलीकरण पर कहा कि शोध के क्षेत्र में इससे महत्वपूर्ण कार्य हो रहा, जिससे शोध कॉपी नहीं हो रही. शोधार्थी अजय कुमार सिंह ने कहा कि इंटरनेट के आने से लेखकों व पब्लिशर्स को अंतरराष्ट्रीय पाठक मिलते हैं. इंटरनेट के आने से किताबों की प्रासंगिकता बढ़ी है.
शोधार्थी संदीप दुबे ने कहा डिजिटलीकरण ने जहां-जहां हस्तक्षेप किया है, उन चीजों का प्रचार ही हुआ है. जहां डिजिलीकरण के माध्यम से कम व्यय में पाठक चीजों को पढ़ रहे हैं, वहां किताबों का बढ़ता मूल्य इसके स्वयं के अवरोध का कारण है. प्राध्यापिका पूजा गौतम ने कहा किताबें और डिजिटलाइजेशन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. आसनसोल काजी नजरूल विश्वविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष प्रतिमा प्रसाद ने कहा किताबें और डिजिटलाइजेशन, दोनों ही आवश्यक हैं.
शोधार्थी चांदनी कुमारी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि हमनें किताबों व डिजिटलीकरण, दोनों दौर को देखा है. शोधार्थी नंदनी सिन्हा ने कहा कि आधुनिक युग में डिजिटलीकरण आज की जरूरत है. परिचर्चा में शोधार्थी चंद्रमणि ने कहा ई-किताबें ज्यादा जानकारी पूर्ण हैं. वाणी पब्लिकेशन के क्षेत्रीय प्रभारी ने कहा समय-समय पर इस तरह के संवाद आवश्यक हैं. परिचर्चा में आलोक मिश्रा, बबलू चौधरी, शुभम सिंह, सागर साव, अर्चना कुमारी, मानाक्षी सामगनेरिया, श्रीप्रकाश पाल ने भी अपने विचार रखे.