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Friday, March 29, 2024

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कोलकाता : वैदिक विज्ञान केंद्र वेदों की वैज्ञानिकता को करेगा उजागर

अजय विद्यार्थी, कोलकाता : वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के धर्म विज्ञान संकाय के वेद विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि बीएचयू का प्रस्तावित वैदिक विज्ञान केंद्र वेद में समाहित धर्म, अध्यात्मिकता के साथ-साथ वैज्ञानिक पहलु और ज्ञान-विज्ञान को आम लोगों के समक्ष उजागर करेगा. […]

अजय विद्यार्थी, कोलकाता : वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के धर्म विज्ञान संकाय के वेद विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि बीएचयू का प्रस्तावित वैदिक विज्ञान केंद्र वेद में समाहित धर्म, अध्यात्मिकता के साथ-साथ वैज्ञानिक पहलु और ज्ञान-विज्ञान को आम लोगों के समक्ष उजागर करेगा. डॉ त्रिपाठी कोलकाता के प्रवास के दौरान प्रभात खबर से बातचीत करते हुए ये बातें कहीं.
कोलकाता के प्रवास के दौरान डॉ त्रिपाठी ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नयी दिल्ली व भारतीय विद्या मंदिर, कोलकाता द्वारा वैदिक हेरिटेज पोर्टल के निर्माण संबंधित परिचर्चा में हिस्सा लिया. मंगलवार को डॉ त्रिपाठी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात की और उन्हें वैदिक विज्ञान केंद्र से संबंधित पुस्तिका भेंट की.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर को बीएचयू में देश का पहला वैदिक विज्ञान केंद्र की नींव रखी थी. बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर वैदिक विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष व प्रो त्रिपाठी समन्वयक हैं. डॉ त्रिपाठी वैदिक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के गीता समिति मालवीय भवन के सचिव भी हैं.
डॉ त्रिपाठी को भारत सरकार द्वारा 2013 का महर्षि बादरायण व्यास राष्ट्रपति सम्मान भी प्राप्त हुआ है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1998 में वेद पंडित पुरस्कार तथा अन्य संस्थानों द्वारा दसाधिक पुरस्कार प्राप्त हो चुका है.
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में 12 करोड़ रुपये की लागत से वैदिक विज्ञान केंद्र के पांच मंजिले भवन का तेजी से निर्माण हो रहा है. एक वर्ष के अंदर निर्माण कार्य पूरा हो जाने की संभावना है.
केंद्र में वैदिक न्यूरोलॉजिकल लैब, नक्षत्र वाटिका, वैदिक वेदशाला, वैदिक संग्रहालय, वृहद डिजिटल लाइब्रेरी, खगोलीय प्रयोगशाला, स्त्रोत एवं स्मार्त यज्ञशाला आदि स्थापित किया जा रहा है.
केंद्र में कुल सात प्रभाग वैदिक साहित्य एवं अनुष्ठान एवं चित्त, वैदिक भाषा विज्ञान, ध्वनि विज्ञान प्रभाग, वैदिक आर्युविज्ञान, मनोवैज्ञानिक योग प्रभाग, वैदिक गणित, खगोल एवं पदार्थ विज्ञान प्रभाग, वैदिक कृषि पर्यावरण एवं प्रबंधनशास्त्र प्रभाग, वैदिक स्थापत्य एवं अभियंत्रिकी प्रभाग एवं संपादन,अनुवाद एवं प्रकाशन प्रभाग आदि रहेंगे.
उन्होंने कहा कि केंद्र के सात प्रभाग वेदों में समाहित ज्ञान और विज्ञान को शोध और प्रयोग के माध्यम से आधुुनिक विज्ञान और ज्ञान के साथ जोड़ कर सामान्य जीवन में उनके व्यवहार के पहलुओं को उजागर करेगा.
वैदिक न्यूरोलॉजिकल लैब में मंत्रपाठ के उच्चारण की तरंगों से वातावरण व शरीर पर पड़नेवाले प्रभाव का अध्ययन करेगा. वहीं, वेदों में वैदिक यज्ञ से बारिश होने जैसे तथ्यों की अवधारणा को भी शोध के माध्यम से पुष्ट करेगा.
उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न संग्रहालयों में लगभग 10 लाख पांडुलिपियां बिखरी पड़ी हैं. वैदिक संग्रहालय में उनके एक जगह एकत्रित करने का काम किया जायेगा. वेद में पुष्पक विमान जैसे उद्धरण का उल्लेख मिलता है.
उसी तरह से यज्ञशालाएं से बीज गणित के सर्वप्रथम इस्तेमाल की पुष्टि होती है. उन्होंने कहा कि यह केंद्र प्रतीची-प्राची की मिसाल बनेगा और भारतीय प्राच्य ज्ञान को आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर कसते हुए मानवता की सेवा में तत्पर करेगा.
उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान के मूल स्रोत के रूप में वेदों और उससे संबंधित ग्रंथों की मान्यता सर्वविदित है. इसे मैक्समूलर जैसे विद्वानों से स्वीकार किया. यूनेस्को ने वेद को प्राचीनतम धरोहर की मान्यता दी है. ऐसे में अब यह केंद्र वैदिक ज्ञान-विज्ञान की प्रामाणिक अनुसंधान परक स्थापना का कार्य करेगा.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अब तक उपेक्षित पड़े वैदिक ज्ञान-विज्ञान को विश्वविद्यालय स्तर पर अकादमिक अनुसंधान एवं पठन-पाठन सम-सामयिक परिप्रेक्ष्य अध्ययन किया जायेगा. वैदिक विज्ञान केंद्र में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट डिग्री कोर्स, पीएचडी तथा शोध होगा.
उन्होंने कहा कि मार्च से अस्थायी रूप से डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की योजना है. इस केंद्र से शास्त्रीय व आचार्य के साथ ही बीएससी, एमएससी वैदिक विज्ञान की डिग्री दी जायेगी.
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