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सिलीगुड़ी : डीएम को भी कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं, आखिर जनता किस पर करे भरोसा : मेयर

ममता सरकार में सरकारी बाबुओं का बढ़ा मनोबल केवल तबादला करने से कुछ नहीं होनेवाला सख्त सजा देकर स्पष्ट संदेश देना होगा सिलीगुड़ी : जब रक्षक ही भक्षक हो जाये तो जनता किस पर भरोसा करे. डीएम हो या फिर अन्य कोई भी सरकारी बाबू, जनप्रतिनिधि या आम जनता, किसी को भी कानून अपने हाथ […]

  • ममता सरकार में सरकारी बाबुओं का बढ़ा मनोबल
  • केवल तबादला करने से कुछ नहीं होनेवाला
  • सख्त सजा देकर स्पष्ट संदेश देना होगा
सिलीगुड़ी : जब रक्षक ही भक्षक हो जाये तो जनता किस पर भरोसा करे. डीएम हो या फिर अन्य कोई भी सरकारी बाबू, जनप्रतिनिधि या आम जनता, किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. कानून सब के लिए एक समान है. यह कहना है सिलीगुड़ी के विधायक सह मेयर अशोक भट्टाचार्य का.
वह शुक्रवार को सिलीगुड़ी नगर निगम के प्रशासनिक भवन में आयोजित प्रेस-वार्ता में संवाददताओं को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने अलीपुरद्वार के पूर्व डीएम निखिल निर्मल पर जमकर हमला बोला.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि सरकारी बाबुओं के हिंसक रवैये पर अंकुश लगाने के लिए उन्होंने आज ही एक विधायक और जनप्रतिनिधि के नाते सीएम को चिट्ठी लिखी है. कानून अपने हाथ में लेनेवाले किसी भी सरकारी बाबुओं का केवल तबादला करने से कुछ नहीं होगा बल्कि आरोपियों को सख्त सजा देने की मांग उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से की है. ऐसा नहीं होने पर उन्होंने वामपंथियों द्वारा पूरे बंगाल में वृहतर आंदोलन की भी धमकी दी.
श्री भट्टाचार्य ने ममता सरकार को तेवर दिखाते हुए कहा कि एक तरफ पश्चिम बंगाल सरकार खुद को मां-माटी-मानुष की सरकार होने का ढिंढ़ोरा पिटती है तो दूसरी तरफ एक ईमानदार व कर्मठ आइपीएस पुलिस अधिकारी (भारती घोष का मामला) को झूठे मामलों में फंसाकर गिरफ्तार करने का प्रयास करती है.
उस महिला आइपीएस अधिकारी की इतनी गलती थी कि कि उन्होंने अंतिम विधानसभा चुनाव के दौरान अपने क्षेत्र में तृणमूल की धांधली व ज्यादतियों को बढ़ावा नहीं दिया. जब एक सच्चे पुलिस अधिकारी पर सरकार कार्रवायी कर सकती है तो फिर जिन सरकारी बाबूओं ने खूले आम कानून अपने हाथों में लिया है, उनको सख्त सजा क्यों नहीं हो सकती.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि हाल ही में अलीपुरद्वार जिले के डीएम निखिल निर्मल द्वारा थाना में एक युवक विनोद सरकार की निर्मम पिटाई का वीडियो वायरल हुआ. इसके बावजूद उन्हें सजा क्यों नहीं दी जा रही. ममता सरकार इस पूरे प्रकरण में डीएम को केवल पद से हटा दिया और आदिवासी विकास पर्षद के प्रबंध निदेशक के पद पर तबादला कर दिया.
इससे पहले सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) में तकरीबन दो वर्ष पहले दो सौ करोड़ रुपये के आर्थिक घोटालों के मामलों में भी तत्कालीन सीइओ व बाद में मालदा के डीएम गोदाला किरण कुमार की नाट्कीय गिरफ्तारी किसी से छुपी नहीं है. गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा और आज वापस सरकारी मुलाजिम के पद पर विराजमान, ऐसा ममता सरकार में ही संभव है.
प्रेस-वार्ता के दौरान श्री भट्टाचार्य ने जलपाईगुड़ी जिले में तृणमूल कांग्रेस के गुटीय संघर्ष में युवा नेता पर हुए जानलेवा हमला पर भी सवाल खड़ा किया और इन सभी मामलों पर उन्होंने ममता बनर्जी से सख्त से सख्त कार्रवायी के लिए चिट्ठी देने की बात कही.

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