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कोलकाता : 60 प्रतिशत लोग नहीं कराते हैं ट्रैवेल बीमा

कोलकाता : आज जब दुनिया एक दूसरे से ज्यादा जुड़ी हुई है. यात्रा हमारे अकादमिक, व्यावसायिक तथा व्यक्तिगत जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है. पांच करोड़ से अधिक यात्रियों के साथ भारत के ट्रैवल मार्केट के वर्ष 2020 तक 28,000 करोड़ रुपये को पार कर जाने की आशा की जाती है. यात्रा में वृद्धि […]

कोलकाता : आज जब दुनिया एक दूसरे से ज्यादा जुड़ी हुई है. यात्रा हमारे अकादमिक, व्यावसायिक तथा व्यक्तिगत जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है. पांच करोड़ से अधिक यात्रियों के साथ भारत के ट्रैवल मार्केट के वर्ष 2020 तक 28,000 करोड़ रुपये को पार कर जाने की आशा की जाती है.
यात्रा में वृद्धि के साथ लोगों की यात्रा से संबंधित आकस्मिकताओं के बढ़ने की आशंका भी पैदा होती है, जैसे कि पासपोर्ट का खोना, हवाई यात्रा में विलंब या उन्हें चूकना, यात्रा समान का खोना, ट्रिप का कैंसल होना तथा घर से दूर आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता. अध्ययन बताते हैं कि लगभग 90% लोग ट्रैवल इंश्योरेंस के बारे में जानते हैं, मगर केवल 40% लोग इसे खरीदते हैं.
60 प्रतिशत लोग यात्रा के दौरान बीमा नहीं कराना चाहते हैं. उनका मानना है कि ट्रैवल इंश्योरेंस का इस्तेमाल करने में काफी दिक्कतें आती हैं और संभवत इस पर आनेवाला खर्च उन्हें अनावश्यक लगता है, जो उन्हें इसके प्रति उदासीन रखता है.
लेकिन वे नहीं जानते कि इनमें से सभी स्थितियों के लिए अगर उचित बीमा नहीं लिया जाता है, तो ये यात्री की जेब के लिए भारी पड़ सकता है, और इनमें कुछ हजार से लेकर कुछ लाख तक का खर्च आ सकता है.
ट्रैवल इंश्योरेंस लोगों को संकटकालीन स्थिति में चिंतारहित रखता है तथा उचित सहायता प्रदान करता है.
हाल ही में इंश्योरेंस कंपनियों ने अपने दायरे को मेडिकल तथा नॉन-मेडिकल निजी आकस्मिकताओं से बढ़ाकर उसमें आपातकालीन निकास (एमरजेन्सी इवेकुएशंस), प्राकृतिक आपदाओं तथा आतंकवादी गतिविधियों को भी अन्य अनहोनियों के साथ शामिल किया है.
इस संबंध में राकेश जैन, इडी तथा सीइओ रिलायंस जनरल इंश्योरेंस ने कहा कि विश्वस्तर पर, पिछले साल एयरलाइंस की उड़ानों का समय पर पहुंचने की दर फरवरी में केवल 82.6% तथा जनवरी में 76% है, जिसका अर्थ है फरवरी में 17.4% उड़ानें तथा जनवरी में 25% उड़ानें या तो विलंबित हुईं या रद्‍द हुईं.
उड़ान में देर या उनके रद्‍द होने से कनेक्टिंग उड़ान या टूर के प्रस्थान को गंवाना पड़ सकता है यह यात्री पर ठहरने तथा भोजन आदि की व्यवस्था के रूप में अतिरिक्त खर्च का कारण बन सकता है. लोकप्रिय ट्रैवल इंश्योरेन्स प्लांस इन सभी हानियों के लिए बीमा संरक्षण दे सकते हैं, जहां बैगेज (यात्रा सामान) के खोने के लिए रु 77,000 तथा उड़ानों के देरी से पहुंचने या रद्‍द होने के लिए रु 1.12 लाख तक का मुआवजा दिया जा सकता है.
खोये लगेज और फ्लाइट संबंधी असुविधाओं का संरक्षण
सिर्फ वर्ष 2016 के दौरान एयरलाइंस द्वारा 2.16 करोड़ से अधिक बैग्स या तो खो दिये गये या उन्हें अस्थायी रूप से गलत ठिकानों पर पहुंचाया गया. जबकि भारत में, हवाई यात्रा के दौरान प्रत्येक 1000 में से सात भारतीयों का लगेज गलत ठिकाने पर पहुंचा. यात्रा के दौरान लगेज के खोने का मतलब है, यात्री पर जरूरी चीजें, कपड़े, दवाइयां तथा कई और सामान खरीदने के रूप में अतिरिक्त भार पड़ना.
उड़ान में विलंब तथा उसका रद्‍द होना, इस प्रकार की अन्य समस्याएं हैं, जो कि यात्रियों की दिक्कतों को बढ़ाती है. अध्ययनों का कहना है कि 38% लोग यह मानते हैं कि उन्हें ट्रैवल इंश्योरेंस की जरूरत नहीं है. काफी यात्री इसे केवल इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि बहुत से देश जैसे कि यूएसए, यूएइ तथा यूरोप के 26 देशों में वीजा के लिए यह एक जरूरी कागजात है.

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