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कोलकाता : माध्यमिक के टेस्ट पेपर पुस्तिका में हिंदी मीडियम विद्यार्थियों की उपेक्षा!

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में औसतन हर साल माध्यमिक की परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ते जा रही है. पिछली बार माध्यमिक परीक्षा में करीब 11 लाख परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 50 हजार से ज्यादा हिंदी मीडियम के परीक्षार्थी थे. इसी तरह से इस बार भी करीब 55 हजार से ज्यादा […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में औसतन हर साल माध्यमिक की परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ते जा रही है. पिछली बार माध्यमिक परीक्षा में करीब 11 लाख परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 50 हजार से ज्यादा हिंदी मीडियम के परीक्षार्थी थे.
इसी तरह से इस बार भी करीब 55 हजार से ज्यादा ही विद्यार्थी हिंदी मीडियम के हैं, ऐसे में वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (पश्चिम बंग मध्य शिक्षा परिषद) की ओर से 2019 में माध्यमिक की परीक्षा देनेवाले सभी विद्यार्थियों के लिए तैयार किये गये टेस्ट पेपर 2018-19 की पुस्तकें बांटी गयी हैं
लेकिन इस पुस्तिका में हिंदी मीडियम को नजरअंदाज करने व उपेक्षा करते पाया गया है, पुस्तिका में अधिकांश पेपर अंग्रेजी व बांग्ला में तैयार किये गये है, जिससे विद्यार्थियों के लिए परेशानी बन गया है. हिंदी मीडियम के विद्यार्थियों को तैयारी करने में दिक्कतें हो रही है.
भौतिक विज्ञान के एक भी पेपर हिंदी में नहीं
टेस्ट पेपर 2018-19 की पुस्तिका में भौतिक विज्ञान विषय के एक भी पेपर हिंदी में नहीं है. लगभग हर विषय के 20 से 30 पेपर सेट किये गये हैं लेकिन अधिकांश बांग्ला और अंग्रेजी में ही उपलब्ध हैं.
अन्य विषयों को देखने पर यह पाया गया है कि इतिहास, भूगोल, विज्ञान और गणित जैसे विषयों के हिंदी में गिने-चुने ही एक दो पेपर ही पुस्तिका में हैं. ऐसे में क्या हिंदी मीडियम के बच्चे एक दो पेपर को हल करके माध्यमिक की परीक्षा में बेहतर नंबर ला पायेंगे. यह अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल है.
जो हैं वह भी नाममात्र के
लैंग्वेज विषयों को छोड़कर इतिहास, विज्ञान, भौतिक विज्ञान, भूगोल और गणित जैसे विषयों की बात करें, तो टेस्ट पेपर में नाममात्र के ही हिंदी में कुछेक पेपर है. इतिहास के हिंदी में मात्र एक पेपर, भूगोल के एक पेपर, लाइफ साइंस के भी एक ही पेपर है. बाकी पेपर है भी तो अंग्रेजी और बांग्ला में है.
क्या कहते हैं शिक्षकगण
राज्य सरकार खर्च करके टेस्ट पेपर पुस्तिका छपाकर स्कूलों में बांटी लेकिन यह खर्च सही दिशा में नहीं हुआ क्यों‍कि जिस तरह से बांग्ला और अंग्रेजी में पेपर है, उसी तरह से हिंदी में भी टेस्ट पेपर होने चाहिए. इस टेस्ट पेपर पुस्तिका से हिंदी मीडियम का नहीं बल्कि बांग्ला मीडियम के बच्चों का ही फायदा होगा. सरकार को इन चीजों पर ध्यान देना चाहिए.
राजेश कुमार मिश्रा, हेडमास्टर, सलकिया श्री मिश्रा विद्यालय, हावड़ा
यह सौ प्रतिशत सही बात है कि हिंदी मीडियम के बच्चों की उपेक्षा हुई है. सरकार ध्यान नहीं दे रही है. पश्चिम बंगाल सरकार को चाहिए कि हिंदी भाषियों पर भी ध्यान दें. हिंदी मीडियम के माध्यमिक विद्यार्थी भी काफी अधिक है. टेस्ट पेपर अगर उनके भाषा में रहता तो उन्हें सुविधा होगी. वैसे टेस्ट पेपर बांटने से क्या फायदा, जिससे बच्चे तैयारी ही नहीं कर पायेंगे.
डॉ एपी राय, हेडमास्टर, आदर्श माध्यमिक विद्यालय, श्यामबाजार

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