हाथियों को भगाने के लिए मशाल के इस्तेमाल पर सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को हलफनामा दायर करने के दिया निर्देश
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हाथियों को भगाने के लिये मशाल का इस्तेमाल करने पर सोमवार को पश्चिम बंगाल से कई सवाल किये और राज्य सरकार को उन वन अधिकारियें के नाम और पदों की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जो इस वजह से होने वाली किसी भी घटना के लिये जिम्मेदार होंगे. […]
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हाथियों को भगाने के लिये मशाल का इस्तेमाल करने पर सोमवार को पश्चिम बंगाल से कई सवाल किये और राज्य सरकार को उन वन अधिकारियें के नाम और पदों की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जो इस वजह से होने वाली किसी भी घटना के लिये जिम्मेदार होंगे.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने टिप्पणी की कि पश्चिम बंगाल में इस तरह से मशाल या आग का इस्तेमाल तो हाथियों को भगाने का एक मात्र उपाय नहीं है. पीठ ने कहा कि ग्रामीणों के बीच वितरण के लिये जलाहुआ मोबिल आयल खरीदने हेतु राज्य सरकार द्वारा आमंत्रित निविदा पर इस बीच कोई कार्रवाई नहीं होगी.
पीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमे प्रत्येक वन खंड से उन अधिकारियों के नाम और पद हों जिन्हें मशाल या आग के इस्तेमाल से कोई दुर्घटना होने पर जिम्मेदार ठहराया जायेगा. इस बीच, केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि वह सिद्धांत रूप में कार्यबल गठित करने के सुझाव से सहमत हैं जो देश में हाथियों से जुड़ी समस्याओं से कारगर तरीके से निबटने के उपाय तैयार करके उन्हें लागू करेगा.
पश्चिम बंगाल में आग के इस्तेमाल का मुद्दा उठने पर नाडकर्णी ने कहा कि आग के गोलों का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. न्यायालय देश के विभिन्न राज्यों में हाथियों को भगाने के लिये नुकीली कीलों और आग के गोलों के इस्तेमाल की बजाय वैकल्पिक तरीके अपनाने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस मामले में अब चार दिसंबर को आगे सुनवाई होगी.
बंगाल सरकार के वकील का कथन
पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि मनुष्य और जानवरों के बीच टकराव टालने का एकमात्र उपाय ये मशाल ही हैं.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘आप सारे जानवरों को मार दीजिये और फिर मनुष्य-जानवर के बीच कोई टकराव ही नहीं होगा. वन्यजीवन खत्म किया जा रहा है. समाचार पत्रों की खबरों को देखिये कि कितने हाथियों की मौत हो चुकी है. आग ही सिर्फ इसका जवाब नहीं है. आप हर चीज को आग नहीं लगा सकते. क्या ऐसा कुछ है जो किसी को जानवरों पर मशाल फेंकने से रोकता हो?’
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