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सारधा घोटाला : SC ने कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त से पूछताछ के लिए CBI से मांगे सबूत

नयी दिल्ली/कोलकाता : उच्चतम न्यायालय ने सारधा चिटफंड मामले में कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार से हिरासत में पूछताछ का आग्रह करने वाले केंद्रीय जांच ब्यूरो से मंगलवार को कहा कि उसे इसके लिए सबूत पेश करने होंगे. न्यायालय ने कहा कि एजेंसी को इसको लेकर उसे संतुष्ट करना होगा कि जांच एजेंसी […]

नयी दिल्ली/कोलकाता : उच्चतम न्यायालय ने सारधा चिटफंड मामले में कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार से हिरासत में पूछताछ का आग्रह करने वाले केंद्रीय जांच ब्यूरो से मंगलवार को कहा कि उसे इसके लिए सबूत पेश करने होंगे. न्यायालय ने कहा कि एजेंसी को इसको लेकर उसे संतुष्ट करना होगा कि जांच एजेंसी का अनुरोध न्याय के हित में है और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि सीबीआई को ऐसी सामग्री पेश करनी होगी जो यह दिखाये कि पूर्व में पश्चिम बंगाल पुलिस की एसआईटी का नेतृत्व करने वाले कुमार की मामले में साक्ष्य नष्ट करने या उन्हें गायब करने में कहीं कोई भूमिका है. पीठ ने कहा, हमें इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि आप (सीबीआई) यह (कुमार से हिरासत में पूछताछ) अनुरोध न्याय के हित में कर रहे हैं, राजनैतिक उद्देश्यों के लिए नहीं. सीबीआई की ओर से पेश होने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि वह बुधवार तक इस संबंध में साक्ष्य दाखिल कर देंगे. इस पर पीठ ने जांच ब्यूरो की अर्जी बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी.

सुनवाई के दौरान पीठ ने मेहता से कहा, आपको हमें यह दिखाना होगा कि इस व्यक्ति (कुमार) की सबूत गायब होने या सबूत नष्ट होने के मामले में कोई भूमिका है. मेहता ने अदालत को बताया कि कुमार की हिरासत में पूछताछ जरूरी है क्योंकि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और सीबीआई द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब देने में उनका रवैया टालमटोल वाला था. उन्होंने कहा कि कुमार एसआईटी द्वारा जांच के प्रभारी थे और उन्होंने आरोपियों से जब्त किये गये मोबाइल फोन और लैपटॉप को छोड़ने की अनुमति दी थी. जिसमें घोटाले में राजनीतिक पदाधिकारियों की कथित संलिप्तता के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड थे. उन्होंने कहा कि यहां तक कि जब्त मोबाइल फोन और लैपटॉप को फॉरेंसिक जांच के लिए भी नहीं भेजा गया और मामले की सामग्री साक्ष्य नष्ट कर दी गयी.

मेहता ने कहा कि टेलीफोन सेवा प्रदाताओं द्वारा एसआईटी को मुहैया कराये गये कुछ फोन नंबरों के पूरे कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) सीबीआई के साथ साझा नहीं किये गये. उन्होंने कहा, वह (कुमार) वस्तुतः सबूतों को नष्ट करने में एक पक्ष हैं. मेहता ने अदालत को कुछ लापता सबूतों के बारे में बताया, जिसमें एक डायरी भी शामिल है जिसमें कथित रूप से घोटाले में प्रभावशाली व्यक्तियों को नकद भुगतान के रिकॉर्ड हैं. मेहता ने कहा कि सीबीआई मामले के इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर कुमार से पूछताछ करना चाहती है. उन्होंने कहा कि जब सीबीआई की टीम कुमार से कोलकाता में उनके आवास पर पूछताछ करने गयी तब स्थानीय पुलिस ने सीबीआई अधिकारियों को घेर लिया. उन्होंने कहा, कुमार के आवास में ऐसा क्या था, जिसने उन्हें सीबीआई टीम पर वस्तुत: हमला करने के लिए प्रेरित किया. वह क्या था? सीबीआई टीम पूछताछ के लिए उनके आवास पर गयी थी.

इस पर, पीठ ने पूछा, आप (सीबीआई) वहां बिना किसी तलाशी नोटिस के गये थे? मेहता ने अदालत के सवाल का जवाब हां में दिया और कहा, उस अचानक ‘धरने’ का क्या कारण था जहां पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री के साथ बैठे थे? वह ‘धरना’ स्थल एक सचिवालय बन गया. सुनवाई के दौरान पीठ ने मेहता से कहा कि यदि सीबीआई यह साबित कर देगी कि कुमार ने जांच में सहयोग नहीं किया तो वह एजेंसी को उनसे हिरासत में पूछताछ की अनुमति दे सकती है. मेहता ने अदालत को बताया कि मामले में कुमार से पूछताछ के बाद सीबीआई टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि वह सहयोग नहीं कर रहे थे, उन्होंने प्रभावशाली व्यक्तियों को क्लीन चिट दी और दोष अपने वरिष्ठ या कनिष्ठ अधिकारियों पर डालने का प्रयास किया.

पीठ ने कहा कि कुमार इस मामले में जांच अधिकारी नहीं, बल्कि केवल एसआईटी का नेतृत्व कर रहे थे और सीबीआई को यह रिकॉर्ड में दिखाना होगा, वे सबूत नष्ट करने या गायब करने में एक पक्ष थे. अदालत सीबीआई की एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी जिसमें शीर्ष अदालत ने इस मामले की जांच करने के लिए कहा था. सीबीआई ने अपनी अर्जी में कुमार से इस आधार पर हिरासत में पूछताछ की अनुमति मांगी है कि वे पूछताछ में टालमटोल वाले उत्तर दे रहे थे.

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