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Friday, March 29, 2024

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”स्नेहांजलि” को बचाने में जुटा एक होम्योपैथी चिकित्‍सक, निजी खर्च से छह बीघा में बनाया हर्बल गार्डन

– प्रशासन व जनता से हर्बल गार्डन को संजोने का गुहार शिव कुमार राउत, कोलकाता एक समय था जब इलाज के लिए आम आदमी की निर्भरता जड़ी-बूटियों पर हुआ करती थी. पर तेजी से बदलते वक्त और कम होते वन-जंगल से जड़ी-बूटी से इलाज की परंपरा हाशिये पर चला तो गया है लेकिन अभी भी […]

– प्रशासन व जनता से हर्बल गार्डन को संजोने का गुहार

शिव कुमार राउत, कोलकाता

एक समय था जब इलाज के लिए आम आदमी की निर्भरता जड़ी-बूटियों पर हुआ करती थी. पर तेजी से बदलते वक्त और कम होते वन-जंगल से जड़ी-बूटी से इलाज की परंपरा हाशिये पर चला तो गया है लेकिन अभी भी समाज में कुछ ऐसे जुझारू लोग हैं जो इन औशधीय पौधों के बचाने की मुहिम में जुटे हैं. उनमें से एक हैं हावड़ा जिला के होमियोपैथी चिकित्सक सौरेंदु शेखर विश्वास, जिन्होंने अपने छह बीघा जमीन पर हर्बल गार्डन बनाया है.

आयुष चिकित्सा पढ़नेवाले विद्यार्थियों व शोधार्थियों को समर्पित इस गार्डन का नाम है ‘स्नेहांजलि’. जो उपद्रवी लोगों के कारण नष्ट हो रहा है. बिना किसी सरकारी अनुदान से अपने बलबूते पर डॉ सौरेंदु ने 2002 में बागनान थाना क्षेत्र के हिजलोक में इस हर्बल गार्डन को लगाया था. तब यहां होम्योपैथी व आयुर्वेदिक चिकित्सा में काम आने वाले लगभग 220 तरह के औषधीय पेड़-पौधे हुआ करते थे. जिसकी देखभाल के लिए माली व सिंचाईं के लिए सोलर पंप लगा है.

डॉक्टर के तमाम प्रयासों के बाद भी उनके हर्बल गार्डन के पेड़-पौधों की संख्या घटकर 150 ही रह गई है. रुद्राक्ष, सर्पगंधा, सिमुल, पलाश, रुद्र पलाश, अलाइच, गुरूची, समेत अन्य औषधीय पेड़-पौधे इस गार्डेन में है.

लिटिल जगदीष से स्नेहांजलि तक का सफर

डॉ सौरेंदु बताते हैं कि बचपन से ही पेड़-पौधों से बहुत लगाव रहा है. कक्षा में मुझे सब लिटिल जगदीष कहा करते थे. जब मैं होमियोपैथी चिकित्सक बना और औषधीय पौधों की कमी को महसूस किया तो मैंने खुद का हर्बल गार्डन बनाने का संकल्प लिया. बहुत मेहनत के बाद मैंने अपना सपना पूरा किया. भारतीय बोटानिकल संस्थान के द्वारा भी कई बार स्नेहांजलि का सर्वे भी हुआ है. होमियोपैथी और आयुष पढ़नेवाले विद्यार्थी भी यहां आते रहते हैं. मैं चाहता हूं कि मेडिकल के स्टूडेंट किताबों से बाहर निकल जड़ी-बूटियों को अपनी आंखों से देखें. उन पौधों की पत्तों को छुएं, महसूस करें, परखें स्वयं प्रयोग करें. तभी वह मुक्कमल चिकित्सक बन सकेंगे.

उपद्रवी लोगों केनिशाने पर हर्बल गार्डन

समाज के कुछ उपद्रवी लोग एक चिकित्सक के इस सकारात्मक पहल पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं. जिसका परिणाम है गार्डन में घटते हर्बल प्लांट्स डॉ सौरेंदु बताते हैं कि गार्डन की देखरेख के लिए एक माली है, पानी देने के लिए सोलर पंप है. चारों ओर से बांस का बाड़ा. लेकिन इसके बाद भी कुछ उपद्रवी लोग अपने लाभ के लिए हर्बल गार्डन को नुकसान पहुंचा रहे हैं. वह चोरी-छिपे गार्डन में घुसकर कई पौधों को जड़ से उखाड़ ले जाते हैं, तो कई पौधों की पत्तियां व टहनियों को तोड़ देते हैं. हाल ही में दालचीनी के पौधों की छाल को छीलकर ले गये. लोगों की इस करतूत पर बहुत गुस्सा भी आता है और तरस भी. क्योंकि लोगों को पता नहीं है कि औषधीय पौधों के गलत इस्तेमाल से उसके सेहत पर दुश्प्रभाव भी पड़ सकता है.

चिकित्सक की प्रशासन व जनता से अपील

डॉ विश्वास बताते हैं 2011 और 2015 में बागनान में आये बाढ़ से बागीचा को काफी नुकसान पहुंचा. वहीं रही-सही कसर असामाजिक तत्व पूरा कर रहे हैं. जिसकी शिकायत स्थानीय थाने में कई बार की जा चुकी है. पर समस्या है कि ज्यों की त्यों बनी हुई है. डॉक्टर कहते हैं कि गार्डन के चारो तरफ से चाहरदीवारी बनाने में 35 से 40 लाख रुपये का खर्च आयेगा. इतनी बड़ी रकम मैं नहीं जुटा सकता हूं. मैं तो स्वस्थ्य समाज के निर्माण में जुटा हूं. हर्बल गार्डन तो पूरे समाज का बागीचा है. इसलिए मैं प्रशासन से चाहता हूं कि वह स्थानीय लोगों को मेरे काम की महत्ता के बारे में बताएं व समझाएं. मैं स्वयं जनता से अपील करता हूं कि वह स्नेहांजलि को अपना स्नेह दें ताकि मैं अधिक से अधिक औषधीय पौधों का संरक्षण कर सकूं.

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