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मालदा : ‘नूर’ भरोसे सियासी मौसम बदलेंगी ममता, दीपा दासमुंशी को भी मिलेगी कड़ी चुनौती

संजीत कुमार, मालदा :मालदा के पूर्व कांग्रेस सांसद अब्दुल गनी खान चौधरी के उत्तराधिकारी के रूप में मालदा (उत्तरी) लोकसभा सीट से लगातार दो बार संसद पहुंचने वाली कांग्रेस सांसद मौसम बेनजीर नूर के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में तृणमूल का दामन थामने के बाद मालदा का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है. लगे हाथ मुख्यमंत्री ममता […]

संजीत कुमार, मालदा :मालदा के पूर्व कांग्रेस सांसद अब्दुल गनी खान चौधरी के उत्तराधिकारी के रूप में मालदा (उत्तरी) लोकसभा सीट से लगातार दो बार संसद पहुंचने वाली कांग्रेस सांसद मौसम बेनजीर नूर के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में तृणमूल का दामन थामने के बाद मालदा का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है.

लगे हाथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मौसम नूर की अहमियत को देखते हुये मालदा समेत दो अन्य जिलों की कमान भी उन्हें सौंप दी है. सांसद मौसम अब मालदा के साथ ही उत्तर दिनाजपुर व दक्षिण दिनाजपुर में पार्टी की मजबूती के लिए काम करेंगी.
हालांकि मौसम नूर मई के पंचायत चुनाव में ही खुद को कांग्रेस की चुनावी गतिविधियों से अलग रहकर अप्रत्यक्ष रूप से तृणमूल में जाने का संकेत दे चुकी थीं. इतना ही नहीं, उन्होंने पंचायत चुनाव के दौरान मालदा जिले में हुई कांग्रेस की हार पर नेतृत्व को ही जिम्मेदार ठहरा दिया था. जिसके बाद ही मौसम नूर के तृणमूल में जाने के कयास लगने शुरू हो गये थे.
मालदा लोकसभा सीट पर कई वर्षों से अब्दुल गनी खान चौधरी या उनके परिजन काबिज रहे हैं. देश में लहर चाहे किसी भी पार्टी की हो, लेकिन मालदा के कांग्रेसी किले को किसी ने नुकसान नहीं पहुंचाया. हमेशा से ही गनी खान चौधरी या उनके परिजन ही मालदा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे. मालदा कांग्रेस का अभेद्य किला माना जाता रहा है, लेकिन अब इसमें सेंध लगाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल में क्लीन स्वीप करने का आधार तैयार कर लिया है.
गनी खान के निधन के बाद संभाली थी विरासत
मालदा के विकास पुरुष कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अब्दुल गनी खान चौधरी के 2005 में निधन के बाद मौसम नूर ने उत्तराधिकारी के रूप में मालदा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की दुर्ग को बचाने में कामयाबी हासिल की. मालदा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है. यहां वाम मोर्चा से लेकर तृणमूल कांग्रेस तक का जादू नहीं चल पाया है. ऐसे में मौसम नूर को ममता बनर्जी अपने पाले में लाकर बड़ी कामयाबी हासिल की है.
गनी की विरासत अब तृणमूल के कंधों पर, उत्तर बंगाल के दो अन्य जिलों पर भी असर
पंचायत चुनाव में ही कर लिया था किनारा
2018 के मई माह में हुये पंचायत चुनाव में सांसद मौसम बेनजीर नूर ने कोई रूची नहीं दिखायी थी. यहां तक कि कांग्रेस के पराजय के लिये आलाकमान को ही दोषी ठहराया था. उन्होंने मालदा व मुर्शिदाबाद जिले में पंचायत चुनाव के दौरान हुयी करारी हार को कांग्रेस के लिये एक सीख करार दिया था.
उन्होंने कहा था कि कांग्रेस आलाकमान ने पंचायत चुनाव में उदासीनता दिखायी है, जबकि भाजपा के स्टार प्रचारकों ने जमकर चुनाव प्रचार किया था. इससे मौसम पार्टी से काफी नाराज भी दिखी थीं. उस दौरान ही मौसम के तृणमूल में जाने की अटकलें लगायी जा रही थी, जो अब जाकर पूरी हो गयी.
जिले में भगवा उदय से भी थीं आहत
मालदा जिले में भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते प्रभाव से सांसद मौसम बेनजीर नूर काफी चिंतित थीं. इसके लिये सांसद कांग्रेस के आलाकमान को जिम्मेदार मानती रही हैं. उस दौरान मौसम नूर का स्पष्ट संकेत था कि पार्टी को पंचायत चुनाव में माकपा से गठबंधन करना चाहिये था, लेकिन पार्टी ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. इससे मौसम नूर काफी आहत थीं और अंतत: उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया.
उत्तर बंगाल में 39 वर्षीय सांसद मौसम बेनजीर नूर युवाओं की पहली पसंद हैं.
अभी दौर में विभिन्न राजनीतिक दल जिस तरह से युवाओं के भीतर पैठ बनाने में लगे हैं, उसमें मौसम नूर भी स्थापित दिखती हैं. युवा वर्ग में सांसद नूर की अच्छी-खासी लोकप्रियता है जिससे प्रभावित होकर ही दीदी ने तीन जिलों की कमान मौसम नूर को तत्काल दे दी. इन तीनों जिले में चार लोकसभा क्षेत्र आता हैं जिसमें दो कांग्रेस व एक-एक तृणमूल व वाम मोर्चा के कब्जे में है.
चार लोकसभा सीटों पर होगी सीधी दखल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सांसद मौसम बेनजीर नूर को तृणमूल में शामिल कराने के बाद तुरंत ही महासचिव बनाकर तीन जिलों की जिम्मेदारी दे दी. इन तीन जिलों के अंतर्गत चार लोकसभा क्षेत्र हैं जिसमें मालदा जिले के अतंर्गत दो लोकसभा सीट हैं और दोनों पर कांग्रेस का कब्जा है.
उत्तर दिनाजपुर संसदीय क्षेत्र से वाम मोर्चा के सलीम का कब्जा है और एकमात्र बालुरघाट सीट तृणमूल के हिस्से में हैं. अब इन चारों लोकसभा सीटों को तृणमूल की झोली में डालना मौसम के लिये कड़ा इम्तहान है, जिसे पास करने की मौसम भरपूर कोशिश करेंगी.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राजनीतिक हलकों में दो-दो हाथ करने वाली उत्तर दिनाजपुर की पूर्व कांग्रेस सांसद दीपा दासमुंशी के लिये मौसम नूर चुनौती बनेंगी. ममता ने उत्तर दिनाजपुर जिले की कमान भी मौसम को देकर दीपा से निपटने के लिये नया तीर छोड़ दिया है.
अब जिले में तृणमूल को धार देने के लिये दीपा के बर्चस्व को भी मौसम तोड़ेंगी. राजनीतिक के क्षेत्र में ममता के साथ दीपा की अदावत भी जग जाहिर है. अब आगामी लोकसभा चुनाव में दीपा के लिये रायगंज लोकसभा सीट से चुनावी फतह पार करना आसान नहीं होगा.
गनी के मजार पर मत्था टेक तृणमूल ने दिया था संकेत
2015 में दिवंगत कांग्रेसी दिग्गज गनी खान चौधरी के मजार पर चादर चढ़ाकर तृणमूल कांग्रेस के नेता व मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने स्पष्ट संकेत दे दिया था कि मालदा की राजनीति स्थापित होने के लिये गनी खान को आदर्श मानना ही होगा. शुभेंदु के मजार पर जाने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गयी थी. उस दौरान मौसम नूर व आबू हासेन खान भी नजर नहीं आये थे.
उस वक्त शुभेंदु अधिकारी ने मालदा के विकास पुरुष अब्दुल गनी खान की याद में खूब कसीदे पढ़े थे. मजार पर मत्था टेकने के बाद तृणमूल के मंत्री ने जब गनी खान चौधरी के घर कोतवाली भवन में प्रवेश करने की इच्छा जतायी थी, तो मंत्री के लिये दरवाजा भी नहीं खोला गया था. बाध्य होकर उन्हें कोतवाली भवन के पूर्व दिशा के छोटे दरवाजे से भवन के अंदर आबू नासेर खान चौधरी के घर में प्रवेश करना पड़ा था.

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