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शास्त्रीय संगीत भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर : पं. जसराज

‘रसराज: पंडित जसराज’ पुस्तक का विमोचन करते हुए पंडित जसराज ने साझा किये जीवन के कई रोचक अनुभव कोलकाता : महान संगीतज्ञ पद्म विभूषण पंडित जसराज की जीवनी ‘रसराज: पंडित जसराज’ के नये संस्करण का कोलकाता में लोकार्पण किया गया. सुनीता बुद्धिराजा द्वारा लिखी गयी इस पुस्तक का ताज बंगाल में लोकार्पण स्वयं पंडित जसराज […]

‘रसराज: पंडित जसराज’ पुस्तक का विमोचन करते हुए पंडित जसराज ने साझा किये जीवन के कई रोचक अनुभव

कोलकाता : महान संगीतज्ञ पद्म विभूषण पंडित जसराज की जीवनी ‘रसराज: पंडित जसराज’ के नये संस्करण का कोलकाता में लोकार्पण किया गया. सुनीता बुद्धिराजा द्वारा लिखी गयी इस पुस्तक का ताज बंगाल में लोकार्पण स्वयं पंडित जसराज ने किया. प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में दर्शकों से संवाद करते हुए पंडित जसराज ने कहा कि शास्त्रीय संगीत भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है, जिससे दशकों तक कई घराने व बड़े कलाकार जुड़े रहे हैं.
संगीत सीधे ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है. सिटी ऑफ जॉय (कोलकाता) फन का मुख्य केंद्र रहा. संगीत की शुरुआत कोलकाता में बड़े भाई एवं गुरु पंडित मनीराम से संगीत सीखने के साथ हुई. 1949 से 1963 तक वह ‘संगीत श्यामला’ में युवा शिष्यों को भी सिखाते रहे जो संभ्रांत परिवारों से आते थे.
बड़े-बड़े महान संगीतकारों के साथ जीवन के कई ऐसे अनुभव हैं, जो मन को आज भी रोमांचित कर देते हैं. पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में जब उनकी मुलाकात बेगम अख्तर से हुई, तो उनकी विनम्रता देखकर वे काफी गदगद हो गये कि पंडित भीमसेन जोशी, पंडित हरिप्रसाद चाैरासिया जैसे बड़े कलाकार उनकी आवाज के दीवाने थे लेकिन जब बेगम अख्तर ने उन्हें कहा कि अगर वह छोटी उम्र की होतीं तो तो उनसे गाना सीख लेतीं.
उनकी बात सुनकर छोटी उम्र में ही यह अहसास हुआ कि हम भी बड़े कलाकार हैं. उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि सुनीता बुद्धिराजा द्वारा लिखी गयी मेरी इस जीवनी को बहुत सराहना मिल रही है. उनकी कड़ी मेहनत व उनके प्रयास के लिए बधाई देता हूं.
कार्यक्रम में लेखिका सुनीता बुद्धिराजा ने कहा कि पंडित जसराज, भारतीय शास्त्रीय संगीत के महानायक हैं.
उनसे वर्षों तक जुड़े रहने के अनुभव व संवाद के आधार पर उनकी जीवनी लिखी है. इसके लिए विश्व में मौजूद पं. जसराज के शिष्यों, परिजन व दोस्तों से भी बात की. पुस्तक वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी है. प्रभा खेतान फाउंडेशन ने ‘कलम’ के तत्वावधान में यह आयोजन किया. इसमें पंडित जी के जन्म के समय से लेकर तबला वादन और फिर सर्वश्रेष्ठ हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन तक की महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण है.
यहां वाणी प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि प्रकाशक के रूप में उन्हें लगता है कि वह भारतीय शास्त्रीय संगीत के युगपुरुष पंडित जसराज की जीवनी पेश कर कृतार्थ अनुभव करते हैं. कार्यक्रम में समाजसेवी एवं साहित्यकार विदुषी डॉ रविप्रभा बर्मन, विजय बर्मन, डॉ वसुंधरा मिश्र, आरती सिंह, सेराज खान बातिश सहित कई संगीत प्रेमी मौजूद रहे.

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