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जेल में बन रहा अंडासेल, कैद होंगे कुख्यात

शशांक सिंह छोटू, बक्सर : बढ़ रहे अपराध को लेकर जेल प्रशासन ने कमर कसनी शुरू कर दी है. बक्सर सेंट्रल जेल में अंडासेल का निर्माण जोरों पर है. खूंखार अपराधियों को अंडासेल में रखा जायेगा. इसमें 22 बैरक बनाये गये हैं. अंडासेल करीब एक करोड़ की लागत से बन रहा है. बता दें कि […]

शशांक सिंह छोटू, बक्सर : बढ़ रहे अपराध को लेकर जेल प्रशासन ने कमर कसनी शुरू कर दी है. बक्सर सेंट्रल जेल में अंडासेल का निर्माण जोरों पर है. खूंखार अपराधियों को अंडासेल में रखा जायेगा.

इसमें 22 बैरक बनाये गये हैं. अंडासेल करीब एक करोड़ की लागत से बन रहा है. बता दें कि वर्ष 2017 में चार कुख्यात अपराधी बक्सर सेंट्रल जेल से फरार हो गये थे, जिसके बाद से कुख्यातों के लिए अंडासेल बनाने का निर्णय लिया.
कई खूंखार अपराधी काट रहे जेल में सजा: बक्सर सेंट्रल जेल में कई खूंखार और जालसाज बंद है, जिनको बक्सर समेत कई जिलों के कोर्ट से सजा सुनाये जाने के बाद बक्सर जेल में शिफ्ट किया गया है. जैसे-जैसे अंडासेल का काम पूरा हो जायेगा.
वैसे-वैसे खूंखारों को प्रदेश के जेलों से बक्सर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया जायेगा. बक्सर सेंट्रल जेल में करीब दो दर्जन खूंखार अपराधी बंद हैं. जिन पर पुलिस और सरकार की विशेष निगाह बनी हुई है.बक्सर सेंट्रल जेल में बन रहे अंडासेल का निर्माण लगभग पूरा हो गया है.
अंडासेल में 22 बैरक बन रहे हैं, जिसमें सभी बैरक में एक-एक खूंखार अपराधी रखे जायेंगे. जेल अधीक्षक विजय अरोड़ा ने बताया कि लगभग काम पूरा हो गया है. सुरक्षा को देखते हुए एक बैरक में एक खूंखार अपराधी रखे जायेंगे जो सबसे अधिक खूंखार पर जेल प्रशासन उनकी सूची तैयार कर चुकी है.
निर्माण एजेंसी जनवरी के अंत तक जेल प्रबंधन को सौंपेगी
बक्सर सेंट्रल जेल के जेल अधीक्षक विजय अरोड़ा ने बताया कि निर्माण एजेंसी ने बोला है कि जनवरी के अंत तक अंडासेल जेल प्रबंधन को सौंप दिया जायेगा इसके बाद खूंखार बंदियों को अंडासेल में शिफ्ट कर दिया जायेगा.
उन्होंने बताया कि अंडासेल का निर्माण पूरी तरह से कंक्रीट से किया जाता है. यही कारण है कि कैदी इसकी दीवार में सेंध नहीं लगा सकते. यही नहीं सुरंग खोदकर भी इससे नहीं भाग सकेंगे. इसकी पूरी नींव आठ-दस फुट तक कंक्रीट की ही बनायी जाती है.
क्या है अंडासेल
यह जेल का सबसे सुरक्षित हिस्सा होता है. इसका आकार अंडे जैसा होता है. सेल को पूरी तरह से बॉम्बप्रूफ बनाया जायेगा. सेल के अंदर छोटे रूम होंगे. सेल के बाहर इलेक्ट्रिक फेसिंग होगी. सेल के बाहर और अंदर सुरक्षा के लिए जवान तैनात होंगे.
इसका स्ट्रक्चर ऐसा होगा कि सूर्य की रोशनी भी भीतर प्रवेश न कर सके. सेल को ऐसे डिजाइन किया जायेगा कि सारे खूंखारों की मॉनीटरिंग एक ही जगह पर बैठकर की जा सकेगी.

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