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हरियाणा फार्म में नहीं बनेगा व्यवहार न्यायालय, नयी जमीन पर मांगा प्रस्ताव

बक्सर, कोर्ट : वर्तमान परिस्थिति में न्यायपालिका को और जवाबदेह बनाया जा रहा है. ऐसे में हमसब की जवाबदेही भी बढ़ती जा रही है. आश्वासन से समर्थन नहीं मिलता है, वह राजनीतिक विषय है. आपका कर्तव्य ही आपका समर्थन करेगा. अधिवक्ता हों या न्यायिक पदाधिकारी, सभी न्याय के पुजारी हैं. उक्त बातें पटना उच्च न्यायालय […]

बक्सर, कोर्ट : वर्तमान परिस्थिति में न्यायपालिका को और जवाबदेह बनाया जा रहा है. ऐसे में हमसब की जवाबदेही भी बढ़ती जा रही है. आश्वासन से समर्थन नहीं मिलता है, वह राजनीतिक विषय है. आपका कर्तव्य ही आपका समर्थन करेगा. अधिवक्ता हों या न्यायिक पदाधिकारी, सभी न्याय के पुजारी हैं.

उक्त बातें पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ए पी शाही ने गुरुवार को पुस्तकालय भवन में अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहीं. वे बक्सर न्यायालय के निरीक्षण के सिलसिले में आये हुए थे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार अधिवक्ताओं की सुविधाओं के लिए सभी तत्पर हैं.
अधिवक्ताओं के बैठने के लिए अलग भवन का निर्माण, पेयजल आदि सुविधाओं का प्रारूप 15 दिनों के अंदर उन्हें मिल जायेगा जिसके बाद प्रक्रिया आगे बढ़ा दी जायेगी. उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए लिफ्ट, पोस्ट ऑफिस एवं अन्य सुविधाओं में कोई कमी नहीं की जायेगी. किशोर न्याय परिषद को दूर स्थानांतरित करने के संबंध में उन्होंने कहा कि प्रैक्टिकल में यह मुश्किल होगा. ऐसे में इसका आकलन वे स्वयं करेंगे.
न्यायालयों में लंबित मामलों का निबटारा करने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि कम से कम 20 वीं सदी के मुकदमों का निबटारा कर दीजिए. आपकी यह जवाबदेही समाज के प्रति भी है और अपने प्रति भी. इसके लिए अधिवक्ता कड़ी मेहनत करें तथा छोटी और सटीक बहस के आधार पर मामलों को निष्पादित कराएं.
एक शेर के माध्यम से उन्होंने पुराने मामलों को जल्दी निबटाने की तरफ इशारा किया और कहा कि मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए. सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए.
इसके पूर्व पटना उच्च न्यायालय के निरक्षी न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने कहा कि बक्सर न्यायालय का इतिहास गरिमामय रहा है तथा यहां के अधिवक्ता काफी प्रतिभाशाली हुए हैं. उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं की हर समस्याओं का समाधान किया जायेगा. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का मंच संचालन रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजयनारायण मिश्रा ने किया. वहीं महासचिव गणेश ठाकुर ने श्रीमद्भागवत गीता की प्रति देखकर न्यायमूर्तियों का स्वागत किया.
इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरेंद्र नाथ, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राजेश कुमार त्रिपाठी के सहित कई न्यायिक पदाधिकारी और अधिवक्ता उपस्थित थे. जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरेंद्र नाथ ने मुख्य न्यायाधीश एपी शाही को मोमेंटो भेंट किया. इसके पहले बुधवार की शाम वे सर्किट हाउस पहुंचे जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. वे यहां के बाद भभुआ के लिए निकल गये. इसके पहले जिला पदाधिकारी राघवेंद्र सिंह एवं पुलिस अधीक्षक के साथ न्यायालय में उन्होंने बैठक की तथा कई आवश्यक निर्देश दिये.
हरियाणा फार्म में नहीं बनेगा व्यवहार न्यायालय, नयी जमीन पर मांगा प्रस्ताव
पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश परिसर में आने के साथ ही सीधे कुटुंब न्यायालय में पहुंचे जहां किसी मामले में बहस हो रही थी. मुख्य न्यायाधीश एवं निरीक्षी न्यायाधीश इजलास में पहुंचे और वहां लगाये गये बेंच पर जा बैठे तथा चल रही न्यायिक प्रक्रिया का लगभग 20 मिनट तक निरीक्षण किया.
इस बीच हो रही गवाही पर रोक लगाते हुए एक साथ नहीं करने का आदेश दिया. मुख्य न्यायाधीश ने पूरे न्यायालय परिसर के चप्पे-चप्पे का बारीकी के साथ निरीक्षण किया. उन्होंने कैदियों के हाजत, जिला विधिक सेवा प्राधिकार भवन, परिसर के खाली भू-भाग का निरीक्षण किया तथा कई निर्देश दिए.
कुटुंब न्यायालय में लगाए गए व्यक्तिगत कैलेंडर को हटाने एवं सरकारी कैलेंडर को लगाने को आदेश दिया. वहीं सीजेएम कोर्ट में खाली होल्डर एवं फ्यूज ट्यूबलाइट के बारे में पूछताछ की तथा नाजिर को बुलाकर इसे दुरुस्त कराने का आदेश दिया. साथ ही न्यायालय भवन के पीछे के भू-भाग में शेड लगाकर कर्मचारियों के दोपहिया वाहनों का पार्किंग जोन बनाने को कहा.
डुमरांव : डुमरांव अनुमंडल व्यवहार न्यायालय भवन के लिए प्रस्तावित जमीन को हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एपी शाही ने अवलोकन के बाद खारिज कर दिया. दूसरी जमीन की मांग को लेकर 15 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए जिले के वरीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया.
मुख्य न्यायाधीश गुरुवार को व्यवहार न्यायालय परिसर सहित प्रस्तावित जमीन का निरीक्षण करने डुमरांव पहुंचे थे. मुख्य न्यायाधीश ने अधिकारियों से कहा कि प्रस्तावित जमीन कोर्ट और आम लोगों के लिए अनुकूल नहीं है. कोर्ट का निर्माण उस जगह पर होना चाहिए जहां आम लोगों की सुरक्षा व आने-जाने का रास्ता सुगम हो. उन्होंने रिहायशी इलाके के नजदीक और सुगम रास्ता के करीब जमीन की मांग की.
एसोसिएशन की मांग पर उन्होंने कहा कि कोर्ट परिसर में ही वकीलों के लिए वकालतखाना का भी निर्माण कराया जायेगा. बता दें कि अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के लिए हरियाणा फार्म में खेसरा संख्या 1308/1310 में 6 एकड़ 70 डिसमिल जमीन प्रस्तावित की गयी थी, जिसमें कोर्ट के निर्माण के साथ-साथ आवास निर्माण का भी प्रस्ताव था.
मौके पर निरीक्षी न्यायाधीश आशुतोष कुमार, जिला जज हरेंद्र नाथ, डीएम राघवेन्द्र सिंह, एसपी उपेन्द्रनाथ वर्मा सहित अन्य न्यायिक व प्रशासनिक पदाधिकारी मौजूद थे.

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