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बक्सर में बनेगा जैविक ग्राम, बेहतर होगा उत्पादन

काम लागत में होगा बेहतर उत्पादन ,जमीन की उर्वरा शक्ति रहेगी ठीक स्वस्थ पौधों के साथ-साथ पटवन में भी होगी बचत बक्सर : बीज ग्राम के बाद राज्य सरकार अब जैविक ग्राम बनाने पर बल दे रही है. बक्सर जिले में भी एक जैविक ग्राम बनाया जायेगा. कृषि क्षेत्र में पहले की अपेक्षा अब बदलाव […]

काम लागत में होगा बेहतर उत्पादन ,जमीन की उर्वरा शक्ति रहेगी ठीक

स्वस्थ पौधों के साथ-साथ पटवन में भी होगी बचत
बक्सर : बीज ग्राम के बाद राज्य सरकार अब जैविक ग्राम बनाने पर बल दे रही है. बक्सर जिले में भी एक जैविक ग्राम बनाया जायेगा. कृषि क्षेत्र में पहले की अपेक्षा अब बदलाव दिखने लगा है. घाटे का कार्य होने के बाद भी राज्य में कुछ लोग जैविक खेती को बढ़ावा देने में लगे हैं. ऐसे भी किसान हैं जो जैविक खेती कर मिट्टी से सोना उपजा रहे हैं. जैविक खेती के लिए किसानों के बीच प्रचार प्रसार किया जायेगा. जैविक खेती में किसानों को फसलों में कम पानी देना पड़ेगा, जिससे उनकी राशि की बचत होगी.वहीं राज्य सरकार की ओर से जैविक खाद पर सब्सिडी दी जा रही है, जिसका लाभ स्थानीय किसान उठा भी रहे हैं.
क्या है जैविक खेती के फायदे : कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से खेती को भारी नुकसान हो रहा है. मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो गयी है और खेतों में पैदा होने वाले अनाज में जहर घुलता जा रहा है. धीमे जहर के रूप में यही अनाज लोग खा रहे हैं, जिसके कारण असमय जानलेवा बीमारियों हो रही हैं. रासायनिक उर्वरक एवं दवाओं की बढ़ती कीमतों ने भी खेती को घाटे का सौदा बना दिया है. लेकिन जैविक खेती को सफलतापूर्वक अपना कर किसानों को एक नयी राह दिखायी है.
जैविक खेती से बढ़ा उत्पादन, लागत रही कम : जैविक खेती करने से 40 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है. इसका उपयोग कर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते है. पंचमूर्ति एग्रो प्रोडूयसर कंपनी लिमिटेड समूह के माध्यम से 1800 से अधिक किसानों को जैविक खाद बनाने व खेती करने का प्रशिक्षण मुफ्त दिया गया, जिसकी वजह से यहां के किसान कम खर्च में जैविक खेती को अपनाकर अधिक लाभ कमा रहे हैं.
ये दिखेगा अंतर ,मिट्टी की उत्पादन क्षमता में वृद्धि
1-स्वाद में परिवर्तन (पहले की अपेक्षा स्वाद अच्छा लगेगा)
2- उत्पादन क्षमता में वृद्धि, मिट्टी की उत्पादन क्षमता में वृद्धि
3- पौधों में हरापन में वृद्धि, सिंचाई में पानी की जरूरत कम होती है
4- पौधे स्वस्थ और अधिक जड़ निकलना.
राज्य सरकार से है उम्मीद
जैविक खाद बिक्री की समुचित व्यवस्था करना
खाद की गुणवत्ता जांच कर उसका प्रमाणपत्र निर्गत करना
जैविक खाद उत्पादन को उद्योगीकरण का दर्जा देना
बीजोत्पादन प्रशिक्षण देकर बीजोत्पादन पर बल देना
प्रखंड स्तर पर कृषि परामर्श केंद्र की स्थापना करना
किसानों को वैज्ञानिक जानकारी तथा सरकार से मिलने वाली योजनाओं की जानकारी आसानी से मिल सके
कृषि शाखा बैंक का निर्माण करना
बैंकों में किसान समूह का गठन करना
प्रखंड में प्रशिक्षण केंद्र तथा एक रिसर्चसेंटर की हो स्थापना, जहां केंचुआ की अन्य स्थानीय प्रजाति पर भी शोध किया जा सके.

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