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Friday, March 29, 2024

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निवेश के लिए एफडी के कई विकल्प, जानें

बैंकों ने एफडी यानी फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दरों को कम करना शुरू कर दिया है. लिहाजा, एफडी के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम हो गया है. पहले जैसा रिटर्न नहीं मिलने और परिपक्वता रािश के टैक्सेबल होने के कारण निवेशक इसके विकल्प तलाशने में लगे है. उनकी इसी चिंता के समाधान पर केंद्रित है […]

बैंकों ने एफडी यानी फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दरों को कम करना शुरू कर दिया है. लिहाजा, एफडी के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम हो गया है. पहले जैसा रिटर्न नहीं मिलने और परिपक्वता रािश के टैक्सेबल होने के कारण निवेशक इसके विकल्प तलाशने में लगे है. उनकी इसी चिंता के समाधान पर केंद्रित है आज का कल्पवृक्ष…
प्रदीप जैन, निदेशक, पीएमपीके वेल्थ एडवाइजर्स
देश की आर्थिक वृद्धि दर में सुस्ती को देखते हुए रिजर्व बैंक ने बैंकों को रेपो रेट पर ब्याज दरों को लाने का निर्देश दिया है. इसको देखते हुए बैंकों ने जहां एक तरह अपने लोन की ब्याज दरों को रेपो रेट से लिंक कर दिया है, वहीं एसबीआइ ने एफडी पर भी ब्याज दरों में कटौती की है.
इसके साथ अन्य बैंक भी ऐसा ही कदम उठायेंगे. सामान्य रूप से पुराने पारंपरिक निवेशक और सीनियर सिटिजन ही एफडी के माध्यम से निवेश करते रहे हैं. एसबीआइ के अनुसार, करीब 4.1 करोड़ सीनियर सिटिजन के एफडी खाते में कुल 14 लाख करोड़ रुपये जमा हैं. ऐसे में उनके सामने एक समस्या आ गयी है कि अब उन्हें क्या करना चाहिए. आरबीआइ के निर्देशों के बाद अब ब्याज दर स्थिर नहीं रहेगी.
जब भी रेपो रेट में परिवर्तन होगा, ब्याज दरों में भी बदलाव किया जायेगा. ऐसे में पहले की तरह प्रतिमाह मिलने वाली ब्याज की रकम निश्चित नहीं रहेगी. जबकि बढ़ती महंगाई में मासिक खर्च लगातार बढ़ती ही जायेगी. ऐसे में एफडी में निवेश करना लाभदायक नहीं रह गया है. मित्रों, इसे फिक्स डिपाजिट का रिइन्वेस्टमेंट रिस्क कहते है.
निवेशक के पास और भी उपाय
सामान्यतया पूरे पैसे को जरूरत के हिसाब से निवेश किया जाता है. तुरत और किसी भी आकस्मिक स्थिति में जरूरत पूरा करने के लिए इमरजेंसी फंड के रूप में पैसे को निवेश किया जाता है. तो बैंक एफडी इमरजेंसी फंड रखने के लिए बेहतरीन विकल्प है.
यदि निवेश का धन तीन साल से कम अवधि तक में वापस चाहिए तब आप उस रकम को एफडी में रख सकते हैं. यदि आपके पास पर्याप्त धन है और आपका मकसद धन की खरीद शक्ति को बढ़ाना नहीं है बल्कि सिर्फ महंगाई का मुकाबला करते हुए भविष्य में उपलब्ध कराना है, तब भी आप एफडी में पैसे को रख सकते हैं. अगर थोड़ी जोखिम लेने की क्षमता हो, तो शॉर्ट टर्म डेब्ट फंड में भी निवेश किया जा सकता है.
लंबी अवधि के लिए करें ऐसेट एलोकेशन
यदि आपको लंबे समय तक पैसे को जमा रखना है, यानी पांच साल या उससे अधिक और साथ ही उसकी खरीद शक्ति को महंगाई से ज्यादा दर पर बढ़ाना है, तब आपको ऐसेट एलोकेशन करते हुए अलग-अलग अवधि के लिए अलग-अलग प्रकार के निवेश करने होंगे. अल्प अवधि के लिए बचत खाता में या लिक्विड फंड में निवेश कर सकते हैं.
दो-तीन साल बाद की जरूरतों के लिए एफडी या फिर शॉर्ट टर्म डेब्ट फंड में निवेश कर सकते हैं
3-5 साल बाद पड़ने वाली जरूरत को पूरा करने के लिए बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश किया जा सकता है.
5 से 7 साल के लिए बैलेंस फंड उपयोगी होते हैं.
7 साल से अधिक समय के लिए निवेश करना हो, तब जोखिम क्षमता के अनुसार इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. इसमें आप लार्ज कैप फंड, मल्टीकैप फंड या मिड कैप फंड इत्यादि में किसी का भी चयन कर निवेश कर सकते है. ऐसा करने से महंगाई और कर भुगतान की गणना करने के बाद मिलने वाला रियल रिटर्न की दर एफडी से ज्यादा बेहतर होगी और आपको बढ़ती हुई जीवनशैली के लिए ज्यादा रकम उपलब्ध होता रहेगा.
वरिष्ठ नागरिकों को सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (एससीएसएस) में 15 लाख रुपये और बाकी रकम को सरकार के 7.75 फीसदी वाले डिपॉजिट स्कीम में डाल देना चाहिए. ये दोनों योजनाएं फिलहाल टैक्स के दायरे में हैं और पूरी तरह सुरक्षित भी हैं.
पुराने जमाने में एफडी ही पैसे को रखने का विकल्प होता था, लेकिन अब यह आकर्षक नहीं रह गया है. अब अनेक तरह के विकल्प उपलब्ध हो गये हैं. इन विकल्पों को जानना आपके लिए फायदेमंद होगा.
जानें नॉमिनल रिटर्न और रियल रिटर्न
जब फिक्स्ड डिपाजिट की दर 9% होती है तब हम उसे ज्यादा मानते हैं और जब यह दर 7% की होती है तब हम इसे कम मानते हैं. यह दोनों दर अलग-अलग समय में नॉमिनल रिटर्न की दर है. जब इस दर से प्रचलित महंगाई के दर को घटा दिया जाता है, तब जो रिटर्न बैठता है उसे रियल रिटर्न कहते हैं. 6% की महंगाई दर पर 9% का रिटर्न सिर्फ 3% का रियल रिटर्न देगा जबकि 3% की महंगाई की दर पर 7% का रिटर्न आपको 4%का रियल रिटर्न देगा.
एसबीआइ ने घटायी ब्याज दर
एसबीआइ ने एक से दो साल की अवधि के फिक्स्ड डिपॉजिट और बल्क टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज में कमी की है. बैंक ने एफडी पर ब्याज दर में 10 बेसिस प्वाइंट की कमी की है. वहीं एक साल से दो साल के बल्क टर्म डिपॉजिट पर ब्याज दर में 30 बेसिस प्वाइंट की कमी की गयी है. नयी ब्याज दर 10 अक्तूबर से प्रभावी भी हो गयी है. साथ ही बचत खाते में एक लाख रुपये तक जमा रखने वालों के लिए बैंक ने ब्याज दर 3.50 फीसदी से घटाकर 3.25 फीसदी कर दी है.
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