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एक्सपर्ट व्यू : उतार-चढ़ाव वाले बाजार से ले सकते हैं अधिकतम लाभ

शशांक भारद्वाज, वीपी व रिजनल हेड, च्वाइस ब्रोकिंग भारतीय शेयर बाजार ने हाल के दिनों में ऐतिहासिक ऊंचाई को छुआ है. यद्धपि आर्थिक मोर्चे पर समाचार नकारात्मक थे. जीडीपी वृद्धि दर में लगातार दूसरी तिमाही में गिरावट, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुस्ती, ऑटो, बैंकिंग व हाउसिंग सेक्टर का कमजोर बना रहना आदि समाचारों के […]

शशांक भारद्वाज,

वीपी व रिजनल हेड, च्वाइस ब्रोकिंग

भारतीय शेयर बाजार ने हाल के दिनों में ऐतिहासिक ऊंचाई को छुआ है. यद्धपि आर्थिक मोर्चे पर समाचार नकारात्मक थे. जीडीपी वृद्धि दर में लगातार दूसरी तिमाही में गिरावट, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुस्ती, ऑटो, बैंकिंग व हाउसिंग सेक्टर का कमजोर बना रहना आदि समाचारों के बाद भी भारतीय शेयर बाजार शक्तिशाली हुए.

कैसे अपना लाभ अधिकतम करें : ऐसे में निवेशकों के मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि वे अभी अपना लाभ ले लें या और ऊंचाई की प्रतीक्षा करें. कई बार ऐसा होता है कि आर्थिक स्थितियां अच्छी नहीं लगती, आम निवेशक प्रॉफिट बुक कर लेते हैं, और फिर उसके बाद शेयर बाजार और ऊपर चला जाता है. ऐसे में दुविधा हो जाती है कि सही निर्णय क्या हो, कैसे हो.

दरअसल शेयर बाजार वर्तमान से ज्यादा महत्व भविष्य को देता है. भविष्य में अर्थव्यवस्था से संबंधित चीजें जैसे जीडीपी की वृद्धि दर कैसी दिशा लेगी, विदेशी निवेशकों की अवधारणा क्या होगी, ब्याज की दरें कैसी होंगी, कर संग्रह व राजकोषीय घाटा कैसा होगा इत्यादि.

टेक्निकल हमेशा फंडामेंटल से आगे चलता है: सामान्य निवेशक अल्पकालिक व तात्कालिक तथ्यों और कारकों को अत्यधिक महत्व देता है. उसे उस प्रवृति से बचना चाहिए. फिर उसे टेक्निकल ट्रेंड का भी ध्यान रखना चाहिए.

टेक्निकल यह बताता है कि किसी शेयर विशेष में क्या गतिविधियां चल रहीं हैं, शक्तिशाली लोग क्या कर रहे, खरीद रहे या बेच रहे. इस ट्रेंड को समझ कर निवेश का निर्णय लेना चाहिये. इसके लिए प्रमुख टेक्निकल ट्रेंड विशेषज्ञों की सलाह पर ध्यान रख उनका अध्ययन करते रहना चाहिए. कहते भी हैं टेक्निकल हमेशा फंडामेंटल से आगे चलता है.

जरूर लगाएं स्टॉप लॉस : कई बार यह भी होता कि लोग प्रॉफिट बुक नहीं करते और फिर शेयरों के मूल्य नीचे आ जाते हैं और उनका लाभ कम हो जाता या हानि में परिवर्तित हो जाता है. इससे बचने के लिए स्टॉप लॉस अवश्य लगा लेना चाहिए. यह भी मानना चाहिए कि कोई शेयर के मूल्यों में तेजी या मंदी आती है, तो उसके पीछे कोई विशेष कारण भी छिपा होता है. इससे भी लाभ अधिकतम किया जा सकता, साथ ही खराब होते शेयरों में निवेश के लालच से बचा जा सकता है.

बाजार के लिए अनुशासन परमावश्यक है : अनुशासन आवश्यक है पर शेयर बाजार में ये परमावश्यक है. यह भी जरूर ध्यान रखें कि किसी शेयर को आने-पौने या नीचे भाव में कौन बेच रहा है. जब किसी शेयर विशेष का पराभव प्रारंभ होता है, तो आम निवेशक उसके मूल्य को नीचे व आकर्षक समझ खरीद लेते हैं और कालांतर में उनके भाव रसातल में चले जाते.

अनिल अंबानी समूह के शेयर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. इसलिए इस प्रवृत्ति से निवेशक बचें. कौन खरीद रहा से महत्वपूर्ण होता है कौन बेच रहा क्योंकि कम मूल्यों में शेयर क्रय करना आसान है, पर काफी कम दामों पर शेयर बेच देना एक कठिन निर्णय होता और आसान निर्णय लाभप्रद नहीं होते.

पीइ रेशियो के आधार पर भी यह तय किया जा सकता है कि शेयर विशेष ओवर प्राइस्ड है कि नहीं. अगर ओवरआल शेयर मार्केट के सूचकांक काफी ऊंचे पीइ (प्राइस अर्निंग) पर ट्रेड कर रहा है, तो यह एक बुलबुला बन जाता है और ऐसे स्थिति में लाभ लेना प्रारंभ कर देना चाहिए.

कुल मिलाकर यह निष्कर्ष है कि शेयर बाजार में अपना लाभ अधिकतम करने के लिए कुछ सिद्ध परिपाटियों का ध्यान रखिए, उन पर सतत मंथन और मनन करते रहिए क्योकि शेयर बाजार में निवेश एक वैज्ञानिक कला (साइंटिफिक आर्ट) है.

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