नयी दिल्ली : भाजपा शासित राजस्थान और मध्य प्रदेशकीसरकार ने आजसुप्रीमकोर्ट का रुख करते हुए फिल्म ‘पद्मावत’ को पूरे देश में प्रदर्शित किए जाने के फैसले में बदलाव की मांग की.सुप्रीमकोर्ट ने 25 जनवरी को प्रदर्शित होने वाले फिल्म पद्मावत के खिलाफ दायर याचिका पर कल सुनवायी करने को मंजूरी दी है. राजस्थान और मध्यप्रदेश ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर कर आज उससे अनुरोध किया है कि विवादित फिल्म पद्मावत की रिलीज से जुड़े अपने 18 जनवरी के फैसले को वह वापस ले ले. न्यायालय के 18 जनवरी के फैसले के आधार पर 25 जनवरी को पूरे देश में फिल्म प्रदर्शित करने की अनुमति मिल गयी है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने फिल्म के प्रदर्शन से जुड़े न्यायालय के आदेश में संशोधन की मांग करने वाली दोनों राज्यों की अंतरिम अर्जी पर सुनवायी के लिए कल यानी 23 जनवरी की तारीख मुकर्रर की है. दोनों राज्यों नेकहा है कि वे कानून और व्यवस्था के आधार पर फिल्म का प्रदर्शन रोकने के लिए सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत सशक्त हैं. अदालत में दोनों राज्य सरकारों के वकीलों ने पक्ष रखा. इस दौरान फिल्म के निर्माता वायकॉम18 की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने ऐसे मामले में अंतरिम अर्जी पर त्वरित सुनवायी का विरोध किया.
कानून व्यवस्था के नाम पर रिलीज पर रोक की मांग
दोनों राज्योंमध्यप्रदेश व राजस्थान की मांग है कि इस फिल्म को रिलीज करने के फैसले पर तुरंत रोक लगायी जाए, क्योंकि इससे कानून व्यवस्था भंग हो सकती है. राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया का कहना है कि सरकार का मानना है कि आमजन की भावनओं का ध्यान रखा जाये.
वहीं मध्य प्रदेश की तरफ से कहा गया है कि अगर कानून व्यवस्था की दिक्कत आती है तो राज्य सरकार को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का अधिकार दिया जाए क्योंकि फिल्म से शांति भंग होने की आशंका है. राज्यों को कानून के तहत यह अधिकार है कि वो ऐसे हालात में फिल्म पर बैन लगा सकता है. बता दें कि 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने चारा राज्यों में फिल्म के बैन पर नोटिस जारी कर रोक लगा दी थी.
राजपूत करणी सेना का क्या कहना है?
श्री राजपूत करणी सेना के संरक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी का कहना है कि भंसाली प्रोडेक्शन कंपनी ने श्री राजपूत करणी सेना और जयपुर के श्री राजपूत सभा को एक पत्र भेजा है. लेकिन यह पत्र मूर्ख बनाने के लिए भेजा गया है. इस पत्र को जला दिया जायेगा और इसका कोई जवाब नहीं दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि इसमें कुछ नहीं है बल्कि यह फिल्म निर्माता द्वारा एक नाटक है.
कालवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय फिल्म के प्रतिबंध के विरोध में दिया है, लेकिन अब देश भर रिलीज हो रही फिल्म को रोकने के लिए ‘जनता कर्फ्यू’ लगाया जायेगा. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के सम्मान में हम देशव्यापी बंद का आयोजन नहीं करेंगे लेकिन अब जनता सिनेमा घरों पर कर्फ्यू लगायेगी. कालवी ने कहा कि ‘जनता कर्फ्यू’ के लिए फिल्म वितरकों, सिनेमा घरों के मालिकों और जनता को आगे आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि यह मामला केवल राजपूत समाज का नहीं है बल्कि फिल्म को लेकर पूरे देश के लोगों में असंतोष है. लोगों की भावनाएं आहत हुईहैं और सरकार को फिल्म पर प्रतिबंध लगाने केलिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हाल में बाड़मेर आये थे और उन्होंने अपने भाषण में कई राजपूत विभूतियों का जिक्र किया लेकिन उन्होंने रानी पद्मावती का जिक्र नहीं किया.
फिल्म के वितरक का क्या कहना है?
वहीं, फिल्म वितरक राज बंसल ने बताया, ‘मैं फिल्म और फिल्म के वितरण के अधिकारों को नहीं खरीदूंगा, क्योंकि मैं 24 जनवरी को पारिवार के साथ छुट्टियों पर देश से बाहर जा रहा हूं.’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद फिल्म को खरीदने और वितरण के अधिकार लिए जा सकते थे, लेकिन राजस्थान के लोगों की भावनाओं के ध्यान में रखतेहुए उन्होंने फिल्म खरीदने की बजाय छुट्टियों पर जाने को प्राथमिकता दी है.
फिल्म को लेकर असमंजस बरकरार
एंटरटेंनमेंट पेराडाइज के प्रबंधक गोविंद खंडेलवाल ने बताया कि यदि फिल्म वितरक फिल्म खरीदने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो फिल्म निर्माता फिल्म के प्रदर्शन के लिए सिनेमा घरों से संपर्क करते हैं लेकिन पद्मावत को लेकर असमंजस बरकरार है. राजमंदिर सिनेमा के प्रबंधक अशोक तंवर ने कहा जब वितरकों ने फिल्म के अधिकार नहीं खरीदे हैं तो फिल्म को परदे पर उतरने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता. जो लोग फिल्म को परदे पर उतरने को लेकर हमसे पूछताछ कर रहे हैं, उन्हें हम बता रहें कि हमें फिल्म के परदे पर उतरने की उम्मीद नहीं है. राजस्थान में करीब 280 स्क्रीन हैं.