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Exclusive : प्रकाश झा ने क्‍यों कहा- हम जैसे फिल्मकारों को खामियाजा भुगतना पड़ता है

फिल्मकार, लेखक,अभिनेता प्रकाश झा जल्द रिलीज होने जा रही फिल्म ‘फ्रॉड सैयां’ से बतौर निर्माता जुड़े हैं. बेटी दिशा झा भी फिल्म की निर्माता हैं. ज्यादातर सोशल इश्यूज पर फिल्में बनाने के लिए मशहूर प्रकाश झा कहते हैं कि कॉमेडी हर किसी को पसंद है, लेकिन फ्रॉड सैयां कॉमेडी फिल्म होने के बावजूद गंभीर मुद्दे […]

फिल्मकार, लेखक,अभिनेता प्रकाश झा जल्द रिलीज होने जा रही फिल्म ‘फ्रॉड सैयां’ से बतौर निर्माता जुड़े हैं. बेटी दिशा झा भी फिल्म की निर्माता हैं. ज्यादातर सोशल इश्यूज पर फिल्में बनाने के लिए मशहूर प्रकाश झा कहते हैं कि कॉमेडी हर किसी को पसंद है, लेकिन फ्रॉड सैयां कॉमेडी फिल्म होने के बावजूद गंभीर मुद्दे पर है. प्रस्तुत है प्रकाश झा की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

आप हमेशा कुछ नया सीखते हैं, आजकल क्या सीख रहे हैं?

अभी मैं पियानो के पीछे पड़ा हूं बहुत ज्यादा सफलता अब तक नहीं मिली है. एक नहीं दो टीचर हैं . एक आता है एक आती हैं, लेकिन अभी भी बेसिक में ही फंसा हूं. एक्टिंग भी सीख ही रहा हूं. मेरी शार्ट फिल्म की बहुत तारीफ की जा रहा है और मेरे एक्टिंग के एक दो अवार्ड भी मिल चुके हैं.

एक्टिंग को आप इन दिनों ज्यादा एन्जॉय कर रहे हैं ?

कम और ज्यादा तो नहीं कह सकता हूं. सबकुछ ही एन्जॉय कर रहा हूं. वैसे मैं सबसे ज्यादा राइटिंग को एन्जॉय करता हूं.

फ्रॉड सैयां के निर्माता आप हैं. बेटी दिशा की फिल्म थी इसलिए हां कहा.

कनिष्क और दिशा ने मुझे सिर्फ स्क्रिप्ट लाकर दी और कहा कि ये पढ़ लो. हमलोग बनाने जा रहे हैं. स्क्रिप्ट पढ़कर मजा आया. यह एक फन फिल्म है, लेकिन सीरियस सब्जेक्ट पर. ऊपर से अरशद वारसी और सौरभ शुक्ला जैसे कमाल के अभिनेता भी हैं. मेरी बेटी दिशा की फिल्म है इसलिए सपोर्ट नहीं किया बल्कि अच्छी स्क्रिप्ट की वजह से किया. मुझे जो भी अच्छा लगा मैंने सपोर्ट किया. जरूरी नहीं है कि मैं जैसी फिल्में बनाता हूं. वैसे बाकी लोग भी बनाये. अलग-अलग चीज़ें बनती रहें. लिपस्टिक अंडर माय बुरखा भी खास फिल्म थी. पढ़ते वक्त ही स्क्रिप्ट समझ आ गया था. बेबाक थी कंट्रोवर्शियल थी.

सिनेमा को हम फ्रीडम को स्पीच कहते हैं. लेकिन क्या मौजूदा जो हालात हैं आपको लगता है कि यह बात सही है?

ये सिर्फ भारत में नहीं है. सोशल मीडिया पर आदमी कुछ से कुछ बोल देता है और एक ही तरह की मानसिकता है लोगों की. भिड़ जाते हैं. लेकिन मैं तो 20 वर्षों से लड़ रहा हूं. हर फिल्म में लड़ना पड़ता है. हर फिल्म में कोर्ट केस होते हैं. मेरे पुतले जलाये जाते हैं. ऐसा नहीं है कि ये सब आज हो रहा है. हमारा समाज हमेशा से ऐसा ही रहा है. हिंदुस्तान में समाज नफरत से ज्यादा मजबूत हो रहा है. बीस आदमी खड़े हो जाये और कह दें कि हम फलाना ग्रुप से हैं और हमारे मान को हानि पहुंची है. वे नारेबाजी करने लगेंगे. ऐसा नहीं है कि पुलिस आकर उनको भगा देगी. साइड में खड़ी रहेगी लेकिन उनको हटा नहीं सकती है. चीन में स्टेट समाज से ज्यादा मजबूत है. आप सरकार के खिलाफ नहीं जा सकते. यहां हैं तो कभी-कभी हम जैसे फिल्मकारों को खामियाजा भुगतना पड़ता है.

क्या हम सच नहीं देखना चाहते?

हम सच देखना चाहते हैं लेकिन निगोशिएट करके. हम किसी का नाम नहीं ले सकते हैं. मैं निगोशिएशट करके ही सही लेकिन अपनी बात कह देना चाहता हूं. मुझे आश्चर्य होता है कि इस देश में इस बात को लेकर चिंता नहीं होती है कि नीरव मोदी माल्या पैसे लेकर भाग गये हैं. उन हजारों करोड़ में इतना जॉब हो सकता था. उसके लिए कोई मोर्चा नहीं खड़ा होगा कि किसी तरह से लाओ उसको पैसे वसूलों ताकि हमारी नौकरी मिले. एक इंटेलेक्चुअल बोल दे कि सबरीमला में जो कुछ भी हो रहा है. वो गलत है तो फिर देखिए सब कैसे उसके पीछे पड़ते हैं.

दिशा के करियर को किस तरह देखते हैं

अच्छा कर रही है. खुद से अपनी कंपनी बना ली. खुद से स्क्रिप्ट चुन ली. फिल्म भी बना ली. वह अपने हिसाब से अपना काम कर रही है. हम दो अलग-अलग व्यक्तित्व हैं. वो मेरी फिल्में पसंद करती हैं.

आपकी आनेवाली फिल्में

एक फिल्म कंप्लीट कर ली है. एक की शूटिंग शुरू होने वाली है, लेकिन अभी उसपर बात नहीं करना चाहता हूं. फ्रॉड सैयां रिलीज हो जाये. उसके बाद उसपर बात करेंगे.

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