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खास बातचीत: बोलीं एकता कपूर- अपनी लोक कथाओं को दिखाना गलत कैसे ?

निर्मात्री एकता कपूर इन दिनों अपने नये शो ‘बेपनाह प्यार’ और ‘कवच 2’ को लेकर सुर्खियों में हैं. एकता का कहना है कि टीवी रियलिटी के लिए नहीं है. दर्शक रियलिटी से दूर रहना चाहते हैं. उनके शो और मदरहुड पर एकता कपूर की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…-नागिन,कसौटी के बाद अब […]

निर्मात्री एकता कपूर इन दिनों अपने नये शो ‘बेपनाह प्यार’ और ‘कवच 2’ को लेकर सुर्खियों में हैं. एकता का कहना है कि टीवी रियलिटी के लिए नहीं है. दर्शक रियलिटी से दूर रहना चाहते हैं. उनके शो और मदरहुड पर एकता कपूर की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

-नागिन,कसौटी के बाद अब कवच का अगला सीजन क्या आप रिस्क लेने से डरती हैं इसलिए नये सीरियल के बजाय सीक्वल या रीमेक बना रही हैं?

-सुपरहिट शो को नये कास्ट के साथ नया सीजन लाने में भी रिस्क है. जब मैंने मौनी के बजाय सुरभि को नागिन इस बार बनाया तो रिस्क ही था. मौनी फिल्म पर फोकस करना चाहती थी और मुझे नागिन का नया सीजन लाना था. पूरी कास्ट नयी. डर था कि दर्शक मौनी के बजाय किसी और को नागिन के रूप में पसंद करेंगे या नहीं, लेकिन लोगों ने पसंद किया. कवच 2 सुपरनेचुरल है, लेकिन पूरी कास्ट और कहानी अलग होगी.

-कहा जाता है कि आप सुपर नेचुरल शो के जरिये अंधविश्वास को बढ़ाती हैं?
-अगर वेस्ट में लड़के-लड़कियां शो के दौरान ड्रैगन या ड्रैकुला बनते हैं तो आपको परेशानी नहीं होती है. हमारे यहां नागिन बनती हैं तो क्या परेशानी है? वेस्ट की वीएफएक्स की आप तारीफ करते हैं. हमारे पास इतना बजट नहीं है, लेकिन अगर हम अपनी दंत या लोक कहानियां दिखा रहे तो यह दकियानूसी कैसे कहलाती है? जहां तक बात रिग्रेसिव की है ( हंसते हुए) नागिन में पर्ल जब भी परेशानी में होता है. महिला पात्र सुरभि उसे हमेशा बचाकर लाती है तो रेग्रेसिव कैसे हुआ.

-हाल ही में आप सेरोगेसी से मां बानी हैं. इसका कब और कैसे ख्याल आया?

-कई साल पहले ही मैंने तय कर लिया था. हालांकि लोगों को इसके बारे में पता नहीं था. मैं करिश्मा कपूर के साथ शो मेंटलहूड बना रही थी. लोगों की मदरहूड को लेकर सोच है कि आपको उसमें परफेक्ट होना चाहिए. आप पैदा ही हुई मां बनने के लिए. आपके अपने बच्चों के अलावा जो दूसरी मम्मियां होती हैं. वे आपसे बहुत ज्यादा उम्मीदें करती हैं. दो साल से इस शो का कांसेप्ट लिखा जा रहा था. जो भी एपिसोड आ रहे थे. उनको पढ़कर मेरे पेट में तितलियां उड़ने लगती थी. हर एपिसोड में बच्चों से जुड़ा अलग-अलग मुद्दा था.

-आप टीवी,फिल्म और डिजिटल तीनों माध्यम में सक्रिय हैं. ऐसे में बच्चे को कैसे समय दे पाती हैं?

-मुझे बहुत लोग कहते हैं कि तुम्हें अब काम करने की जरूरत क्या है? हमारे यहां सोच है कि अगर औरतों के पैसे से घर चल रहा है तो औरतें काम करें तो ठीक है. वरना वे अपने बच्चे को समय दे. अगर औरत कह दे कि काम करना मेरा जूनून है. मैं महत्वाकांक्षी हूं तो फिर बात गलत हो जाती है, लेकिन मुझे कोई गलत नहीं लगती है. मैं वर्कोहोलिक हूं. मैं मल्टीटास्कर हूं. मैं अपने बच्चे को समय दे सकती हूं और अपने काम को भी.

-आपके बच्चे ने आप में क्या बदलाव लाया है?

-मुझे नहीं लगता कि मुझमे कोई ज्यादा बदलाव आया है, क्योंकि अभी वे तीन महीने का ही है. मुझे लगता है कि मैं अच्छी मां हूं. हालांकि मेरा बच्चा मुझसे ज्यादा स्नेहा को देखकर खुश रहता है. इसकी वजह मेरी अंगूठियां और ब्रेसलेट है. मुझे जल्द ही ये उतारने होंगे.

-क्या आप अपना बायोपिक या ऑटोबायोग्राफी लाना चाहेंगी?

-( हंसते हुए)डरावनी बातें मुझे लगती है . मैंने इंस्पायरिंग काम किया है या नहीं ये मुझे नहीं पता, लेकिन मैं प्राइवेट पर्सन हूं. मुझे लोगों को अपने बारे में बताना पसंद नहीं है.

-फिल्म,टीवी और डिजिटल तीनों माध्यम में निर्माता के तौर पर आप किसे ज्यादा इंज्वॉय करती हैं?
-डिजिटल मेरा माध्यम है, क्योंकि यहां सेंसरशिप अब तक नहीं आयी है. यहां अभियक्ति की पूरी आजादी है.

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