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28 साल के बोकारो ने देखे 30 उपायुक्त

बसंत मधुकर, बोकारो : बोकारो जिला एक अप्रैल 1991 को अस्तित्व में आया था. लगभग 28 साल के बोकारो जिला ने 30 उपायुक्तों को देखा. हालांकि इसमें दो धनबाद जिले के डीसी रहते हुए बोकारो डीसी के अतिरिक्त प्रभार में रहे है. संयुक्त बिहार से लेकर झारखंड राज्य बनने के बाद बोकारो जिला में लगातार […]

बसंत मधुकर, बोकारो : बोकारो जिला एक अप्रैल 1991 को अस्तित्व में आया था. लगभग 28 साल के बोकारो जिला ने 30 उपायुक्तों को देखा. हालांकि इसमें दो धनबाद जिले के डीसी रहते हुए बोकारो डीसी के अतिरिक्त प्रभार में रहे है.

संयुक्त बिहार से लेकर झारखंड राज्य बनने के बाद बोकारो जिला में लगातार डीसी बदलते रहे. मात्र दो डीसी ही दो वर्ष से अधिक समय तक कार्यरत रहे है. सबसे अधिक दिनों तक पद पर विमल कीर्ति सिंह दो साल 04 माह 22 दिन डीसी रहे थे. दूसरे स्थान पर राय महिमापत रे रहे है. वह दो वर्ष एक माह तक पदस्थापित रहे.
वहीं सबसे कम समय के डीसी डीसी शैलेश चौरसिया रहे. वह मात्र एक माह 26 दिन ही बोकारो डीसी रहे. उन्हें चुनाव आयोग के निर्देश पर बोकारो से हटाया गया था. बोकारो जिला के अस्तित्व में आने के बाद सबसे पहले डीसी अफजल अमानुल्लाह बने थे. उनका कार्यकाल मात्र चार माह 22 दिन का रहा.
कृपानंद झा व प्रशांत कुमार धनबाद डीसी रहते हुए बोकारो डीसी के अतिरिक्त प्रभार में रह चुके है. बोकारो डीसी अरवा राजकमल के अचानक छुट्टी जाने के कारण धनबाद डीसी प्रशांत कुमार अतिरिक्त प्रभार में थे. वहीं मनोज कुमार के प्रशिक्षण में जाने के कारण कृपानंद झा बोकारो डीसी के अतिरिक्त प्रभार में थे.
बोकारो में कौन कितने समय तक रहा डीसी
1. अफजल अमानुल्लाह – 4 माह 22 दिन
2. व्यास जी -8 माह 28 दिन
3. मुनीलाल – 11 माह 20 दिन
4. रवि मित्तल – दो वर्ष 34 दिन
5. सुखदेव सिंह – 08 माह 14 दिन
6. इंदु शेखर चतुर्वेदी- 01 वर्ष 3 माह
7. गौतम गोस्वामी- 01 वर्ष 7 माह 18 दिन
8. चंचल कुमार – 01 वर्ष 04 माह 07 दिन
9. विमल कीर्ति सिंह- 02 वर्ष 04 माह,22 दिन
10. रवि शंकर वर्मा- 10 माह 16 दिन
11. राजेश अग्रवाल- 11 माह 15 दिन
12. डोमन सिंह- दो माह 28 दिन (प्रभार)
13. कुमार अरु ण -09 माह 03 दिन
14. अमरेंद्र प्रताप सिंह – 01 वर्ष 05 माह 04 दिन
15. सुनील कुमार – 06 माह 24 दिन
16. प्रवीण टोप्पो -01 वर्ष 06 माह 25 दिन
17. सतेंद्र सिंह – 01 वर्ष 04 माह 25 दिन
18. डॉ नितिन मदन कुलकर्णी- 02 माह 21 दिन
19. डॉ अमिताभ कौशल-11 माह 26 दिन
20. सुनील कुमार – 01 वर्ष, 04 माह ,10 दिन
21. अरवा राजकमल- 06 माह 09 दिन
22. प्रशांत कुमार- 01 माह 03 दिन
23. उमाशंकर सिंह- 01 वर्ष 06 माह 26 दिन
24. मनोज कुमार- 04 माह 21 दिन
25. कृपा नंद झा- 01 माह 11 दिन
26. मनोज कुमार-02 माह 06 दिन
27. राय महिमापत रे- 02 साल 01 माह 17 दिन
28. मृत्युंन्जय कुमार- 01 वर्ष 05 माह 20 दिन
29. डॉ शैलेश कुमार चौरिसया- 01 माह 26 दिन
30. कृपा नंद झा -04 माह 23 दिन
कई इनिशिएटिव शुरू होते ही हुई बंद
बोकारो. बोकारो 28 साल का हुआ, लेकिन 30 उपायुक्त सेवा दे चुके हैं. मतलब, एक उपायुक्त औसतन एक साल से भी कम सेवा दिया. इससे कहीं न कहीं जिला का विकास प्रभावित हुआ है. कई उपायुक्त की ओर से लिया गया इनिशिएटिव व क्रिएटिव आइडिया उपायुक्त के स्थानांतरण के साथ ही बंद हो जाता है.
मसलन, उमाशंकर सिंह की ओर से शुरू किया गया स्पीडी कार्यक्रम स्थानांतरण के बाद बंद हो गया. प्रभात खबर ने बुधवार को जिला के प्रमुख राजनीतिक दल व व्यावसायिक संगठन से बार-बार डीसी के स्थानांतरण से होने वाली समस्या के बारे में समझने की कोशिश की. उनकी माने तो स्थानांतरण से प्रशासनिक गतिविधियों पर असर होता है. अप्रत्यक्ष रूप से असर विकास योजना पर भी होता है.
डीसी का स्थानांतरण सरकारी कामकाज का हस्सिा है. सरकार जरूरत के हिसाब से फैसला लेती है. लेकिन, बार-बार स्थानांतरण से विकास कार्य भी प्रभावित होता है.
बिनोद महतो, जिलाध्यक्ष, भाजपा
राजनेता अपने फायदा के लिए अधिकारियों का तबादला कराते हैं. चहेते अधिकारी को बुलाया जाता है. तबादला से विकास कार्य प्रभावित होता है. अधिकारियों को निर्धारित समय मिलना चाहिए.
अनिल सिंह- महासचिव, कांग्रेस- बोकारो
सरकार ट्रांसफर उद्योग चला रही है. डीसी के स्थानांतरण से विकास कार्य प्रभावित होता है. चुनाव को ध्यान में रखकर फैसला लिया जा रहा है. विकास से सरकार को मतलब नहीं है.
मंटू यादव, अध्यक्ष-बोकारो महानगर, झामुमो
नये अधिकारी को जिला का कार्य योजना समझने में समय लगता है. बार-बार स्थानांतरण होने से योजना को धरातल में उतरने में अतिरिक्त समय लगता है. एक निश्चित समय सीमा होनी चाहिए.
डॉ सुरेंद्र राज, जिलाध्यक्ष- झाविमो
अधिकारी कार्य योजना बनाते हैं. जब अमलीजामा पहनाने का समय आता है, इससे पहले ट्रांसफर हो जाता है. ऐसा ही बार-बार होता है. इससे विकास कार्य प्रभावित होता है.
संजय वैद, संरक्षक- चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज-बोकारो

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