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कोल इंडिया में बंद होगा लीव इनकैशमेंट

बेरमो: कोल इंडिया के कर्मी व अधिकारी अब लीव इनकैशमेंट की सुविधा से वंचित रहेंगे. प्रबंधन ने लीव इनकैशमेंट को बंद करने का मन बना लिया है. कोल इंडिया के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सीआइएल की बोर्ड मीटिंग के बाद इस आशय की अधिसूचना जारी होने की संभावना है. हालांकि एसइसीएल सहित कोल […]

बेरमो: कोल इंडिया के कर्मी व अधिकारी अब लीव इनकैशमेंट की सुविधा से वंचित रहेंगे. प्रबंधन ने लीव इनकैशमेंट को बंद करने का मन बना लिया है. कोल इंडिया के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सीआइएल की बोर्ड मीटिंग के बाद इस आशय की अधिसूचना जारी होने की संभावना है. हालांकि एसइसीएल सहित कोल इंडिया की अन्य अनुषंगी कंपनियों ने अधिकारियों व कर्मचारियों के रेगुलर लीव इनकैशमेंट के भुगतान पर रोक लगा रखी है. सिर्फ सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी व कर्मचारियों को ही इसका लाभ मिल रहा है.
रेगुलर लीव इनकैशमेंट पर रोक : लीव इनकैशमेंट को लेकर कैग की कुछ आपत्ति है. डिपार्टमेंट ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज व सरकार के अंडर सेक्रेटरी दिनेश पाल सिंह ने सभी पीएसयू के सीएमडी को अधिसूचना जारी कर कर्मचारियों के रेगुलर लीव इनकैशमेंट को बंद करने का निर्देश दिया है. इसके बाद ही अधिकारियों व कर्मचारियों में इस बात की चर्चा है.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिकारी 90 फीसदी तक अपना लीव बेच देते हैं. वर्तमान में कोल इंडिया के अधिकारी साल में 60 दिनों का रेगुलर लीव इनकैशमेंट का लाभ लेते हैं. कर्मचारियों को साल में 16 दिन लीव इनकैशमेंट का लाभ मिलता है. भूमिगत खदान में काम करने वाले कर्मी को महीना में 15 दिनों के अटेंडेंस पर एक दिन का इएल (अर्न लीव यानी अर्जित छुट्टी) मिलता है. सरफेस में काम करनेवाले कर्मियों को महीने में 20 दिनों के अटेंडेंस पर एक दिन का इएल मिलता है. साल में एक मजदूर न्यूनतम 15 दिन का इएल इनकैश करा सकता है. सेवानिवृत्ति पर अधिकारियों को पहले 450 दिन या अनलिमिटेड लीव इनकैशमेंट का लाभ मिलता था. इसे कम कर 300 दिन कर दिया गया है. कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर 140 दिन व बैलेंस का भुगतान होता है.

अनुषंगी कंपनियों में विरोध शुरू
एटक नेता व जेबीसीसीआइ सदस्य लखनलाल महतो कहते हैं कि जेबीसीसीआइ के द्विपक्षीय समझौता में मजदूरों को लीव इनकैशमेंट देने का प्रावधान है. इसे सीआइएल बोर्ड कैसे टर्मिनेट कर सकता है. वेजबोर्ड छह से यह प्रावधान चला आ रहा है. दसवां वेतन समझौता में लीव इनकैशमेट के एग्रीमेंट पर कोल इंडिया बोर्ड ने 28 अक्तूबर को अपनी मुहर लगा दी है. ऐसे में कोल इंडिया बोर्ड बैठक में खुद इसे कैसे टर्मिनेट कर सकता है. जहां तक कोल अधिकारियों के लीव इनकैशमेट के टर्मिनेशन की बात है तो यह हो सकता है. क्योंकि अधिकारियों का लीव इनकैशमेंट डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइचेज के द्वारा होता है. अभी हाल में ही भेल में लीव इनकैशमेंट को टर्मिनेट कर दिया गया है. कहा गया है कि सर्विस पीरियड में आप लीव इनकैशमेंट नहीं ले सकते हैं. यह सुविधा रिटायरमेंट के बाद ही मिलेगा. इधर, सीएमओएआइ ने कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया है. सीएमओएआइ का कहना है कि लीव इनकैशमेंट बंद होता है तो अधिकारियों को काफी क्षति होगी. इसका एसोसिएशन पुरजोर विरोध करेगा.

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