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Thursday, March 28, 2024

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रेलवे से नक्शा पास, डीपीआर भी बन कर तैयार, हेडक्वार्टर नहीं दे रहा कार्य को मंजूरी

भागलपुर : रेलवे से जेनरल अरैंजमेंट ड्राइंग (जीएडी) यानी नक्शा पास हो गया है. ट्रांसटेक नामक डीपीआर कंसल्टेंट एजेंसी ने डीपीआर बना कर पुल निर्माण निगम कार्य प्रमंडल, भागलपुर को सौंप दिया है. यहां से हेडक्वार्टर भी चला गया है, लेकिन बावजूद, इसके डीपीआर को स्वीकृति नहीं मिली है. पहले यह चुनाव के पेच में […]

भागलपुर : रेलवे से जेनरल अरैंजमेंट ड्राइंग (जीएडी) यानी नक्शा पास हो गया है. ट्रांसटेक नामक डीपीआर कंसल्टेंट एजेंसी ने डीपीआर बना कर पुल निर्माण निगम कार्य प्रमंडल, भागलपुर को सौंप दिया है. यहां से हेडक्वार्टर भी चला गया है, लेकिन बावजूद, इसके डीपीआर को स्वीकृति नहीं मिली है.
पहले यह चुनाव के पेच में फंसा रहा और अभी हेडक्वार्टर के अधिकारियों की गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण अटका है. बरसात का मौसम शुरू हो चुका है और भोलानाथ पुल के नीचे हल्की बारिश में भी जलजमाव की स्थिति बनने लगी है.
जलजमाव को पार करने में लोग गिरने लगे हैं. वहीं, दिन में दो से अधिक बार रोड जाम रहता है. 10 साल पहले शुरू हुई निर्माण की प्रक्रिया अगर पूरी हो गयी रहती, तो अभी लोगों को जलजमाव का सामना नहीं करना पड़ता. दक्षिणी शहर से आने-जाने ही सहूलियत मिलती. बता दें कि ब्रिज का निर्माण भीखनपुर गुमटी नंबर दो से शुरू होगा, जो शीतला स्थान चौक (मिरजानहाट) के बीच 1110 मीटर लंबा होगा.
तीसरी बार बना 117 करोड़ की राशि का डीपीआर : साल 2009 के बाद से अभी तक में तीसरी बार 117 करोड़ का डीपीआर बना है. यानी, यह तय हुआ है कि भोलानाथ फ्लाइ ओवर ब्रिज के निर्माण पर 117 करोड़ खर्च होंगे. इससे पहले साल 2009 में करीब 36 करोड़ का डीपीआर बना था, जो मुख्यालय में धूल फंकता रहा. फिर साल 2014 में करीब 64 करोड़ का डीपीआर बना कर भेजा मगर, मुख्यालय से मंजूरी नहीं मिली. इस बीच दो बार भोलानाथ फ्लाइ ओवर ब्रिज निर्माण की घोषणा तक हुई मगर, स्थिति ढाक के तीन पात जैसी है.
10 साल बाद भी निर्माण की प्रक्रिया के पेच में फंसा है ब्रिज, डीपीआर को मिले मंजूरी, तो अपनायी जा सकेगी टेंडर की प्रक्रिया
ब्रिज का निर्माण भीखनपुर गुमटी नंबर दो से होगा शुरू, जो शीतला स्थान चौक (मिरजानहाट) के बीच होगा 1110 मीटर लंबा, खर्च होंगे 117 करोड़
डीपीआर को मंजूरी नहीं मिली है. कोशिश की जा रही है कि डीपीआर को मंजूरी मिल जाये. तभी टेंडर की प्रक्रिया अपनायी जा सकेगी.
राम सुरेश राय, सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर, पुल निर्माण निगम कार्य प्रमंडल, भागलपुर
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