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डॉ नामवर सिंह के निधन पर भागलपुर में शोक की लहर

भागलपुर से था लगाव, जब भी प्यार से बुलाया ना नहीं कहा भागलपुर : हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक डॉ नामवर सिंह को भागलपुर से काफी लगाव था. उन्हें जब भी प्यार से बुलाया गया, उन्होंने ना नहीं कहा. भागलपुर के साहित्यकार व प्रोवीसी डॉ विष्णु किशोर झा बेचन के आमंत्रण पर साहित्य गोष्ठी में […]

भागलपुर से था लगाव, जब भी प्यार से बुलाया ना नहीं कहा

भागलपुर : हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक डॉ नामवर सिंह को भागलपुर से काफी लगाव था. उन्हें जब भी प्यार से बुलाया गया, उन्होंने ना नहीं कहा. भागलपुर के साहित्यकार व प्रोवीसी डॉ विष्णु किशोर झा बेचन के आमंत्रण पर साहित्य गोष्ठी में उद्घाटनकर्ता के रूप में पधारे थे. इससे पहले भी वे भागलपुर आये थे. डॉ नामवर सिंह के प्रिय शिष्य व तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ श्रीभगवान सिंह ने बताया कि 1982 में लेक्चररशिप सेलेक्शन कमेटी के एक्सपर्ट बनकर आये थे.

उनसे एमए में पढ़ा था. फिर इतना लगाव हो गया कि उनके अंदर रहकर ही एमफिल और पीएचडी भी किया. नामवर सिंह से पढ़ना और उनका छात्र होना ही अपने आप में एक योग्यता है. उन्होंने बताया कि उनके 80वें जन्मदिन पर दिल्ली स्थित दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह के आवास पर नामवर सिंह को गुलदस्ता भेंट किया था.

डॉ श्रीभगवान सिंह ने बताया कि बहुत सारे लेखक ऐसे होते हैं, जिन्हें पढ़ते हुए बहुत अच्छा लगता है, लेकिन उन्हें बोलते हुए सुनना अच्छा नहीं लगता. ऐसे सौभाग्यशाली लेखक बहुत कम होते हैं, जिनमें लेखन-कला एवं वक्तृत्व कला का मणि कांचन संयोग हो. जेएनयू में छात्र रूप में रहते हुए कई अवसरों पर विभिन्न विचार गोष्ठियों में उन्हें सुनने का मौका मिला. उन गोष्ठियों में इतिहास, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र आदि विषयों के भी बड़े-बड़े विद्वान हुआ करते थे. वक्ता के रूप में जिनका भाषण अंग्रेजी में हुआ करता था. किंतु जब नामवरजी हिंदी में बोलना शुरू करते, तो धीरे-धीरे अंग्रेजी में किये गये भाषण का प्रभा-मंडल क्षीण होने लगता और अंतत: सब फीके पड़ जाते. हिंदी छात्रों का सीना गर्व से फूल जाता.

वरिष्ठ पत्रकार मुकुटधारी अग्रवाल ने कहा कि हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह के निधन से हिंदी साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति हुई. भागलपुर से उनका खास लगाव रहा. वरिष्ठ रंगकर्मी प्रो चंद्रेश ने कहा कि भागलपुर साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. डॉ नामवर सिंह भी कई बार भागलपुर आ चुके हैं. भगवान पुस्तकालय में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जन्मशताब्दी के मौके पर महत्वपूर्ण भाषण उन्होंने दिया था. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ योगेंद्र, युवा रंगकर्मी चैतन्य प्रकाश, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव सुधीर शर्मा आदि ने भी शोक व्यक्त किया.

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