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Friday, March 29, 2024

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भागलपुर : आत्महत्या की तैयारी का वीडियो फेसबुक पर किया पोस्ट, फिर लगा ली फांसी, लेटर में लिखा….

भागलपुर : सोमवार की सुबह आत्महत्या की तैयारी का एक फेसबुक पोस्ट और एक घर में फंदे से लटके मिले शव ने भागलपुर में सनसनी फैला दी. संक्रांति मना रहे लोग कुछ समझ पाते कि नया बाजार के सखीचंद घाट इलाके में चीख-पुकार मच गयी. कई लड़के एक घर का दरवाजा पीट-पीट कर हल्ला कर […]

भागलपुर : सोमवार की सुबह आत्महत्या की तैयारी का एक फेसबुक पोस्ट और एक घर में फंदे से लटके मिले शव ने भागलपुर में सनसनी फैला दी. संक्रांति मना रहे लोग कुछ समझ पाते कि नया बाजार के सखीचंद घाट इलाके में चीख-पुकार मच गयी.
कई लड़के एक घर का दरवाजा पीट-पीट कर हल्ला कर रहे थे. गेट नहीं खुलने पर उसे तोड़ा गया, तो अंदर एक युवक की लाश लटकी मिली. दोस्तों और पड़ोसियों से पता चला कि बांका जिले के शंभूगंज स्थित मेहरपुर गांव के गगन सिंह (22) ने प्रेम प्रसंग में फांसी लगा कर अपनी जान दे दी है.
जानकारी के अनुसार रविवार की रात 12.30 बजे गगन ने अपने फेसबुक पर एक वीडियो व दो पत्र पोस्ट किया, फिर फंदे से लटक कर जान दे दी. वीडियो में वह खुद को पहले दुलारते और फिर फंदा बनाते दिखता है. फंदा छोटा पड़ने पर उसने अपने गमछे को फाड़ा और उसमें और कपड़ा जोड़ा.
फंदा तैयार करने के बाद उसे पंखा से लटकाया फिर अपना चश्मा पहना. खुद को दुलारा. फिर फंदे से लटक गया. पत्र में उसने 13 जनवरी की तारीख डाली है और उसमें लिखा है कि वह बांका की ही एक लड़की से पिछले चार वर्षों से प्यार करता है. लड़की भी उससे प्यार करती है, पर लड़की के घरवाले उसके गरीब होने के कारण शादी से इंकार करते हैं. पत्र में उसने लिखा है कि लड़की के घरवाले जान से मारने की धमकी देते हैं और उसके घरवालों के शादी के लिए तैयार हैं.
सोमवार की सुबह गगन के दोस्तों ने उसे परिजन, मकान मालिक और जोगसर पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने कमरे के लोहे के गेट को तोड़ गगन को पंखे से नीचे उतारा, पर उसकी मौत हो चुकी थी.
गगन सिंह के पिता किसान हैं. दो भाइयों में वह छोटा है. बड़ा भाई दिल्ली में काम करता है. घटना की सूचना पर भागलपुर पहुंचे उसके पिता फूट-फूट कर रो रहे थे. गगन भागलपुर के नया बाजार चौक स्थित गरीब नवाज क्लिनिक में कंपाउंडर का काम करता था. यहीं सखीचंद घाट इलाके में दो माह पहले उसने महेश जायसवाल के घर में किराये पर कमरा लिया था.
एक्सपर्ट व्यू : आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं होता
अर्ली चाइल्डहुड के दौरान पालन-पोषण की कमी से बच्चों में कंफिडेंस की कमी हो जाती है. किसी विशेष परिस्थिति से मुकाबला करने के बजाय वह घबरा जाता है और आत्महत्या कर लेता है. आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं होता. बच्चों की देखभाल के दौरान पर्सनालिटी डेवलपमेंट जरूरी है. बच्चों को सपोर्ट करें. अभिभावक यह चाहते हैं कि जो वह नहीं बन सके, वह बच्चे बने. इसके लिए दबाव डालते हैं.
प्रो सोवेद, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट सह सेवानिवृत्त शिक्षक, टीएमबीयू
क्या लिखा है लेटर में
मैं गगन कुमार सिंह एक लड़की से प्यार करता हूं , उस लड़की का नाम — है. लड़की के पिता बार-बार फोन पर धमकी देते हैं कि जान मार देंगे तुम्हारा. मेरे ऊपर आदमी लगा दिया है. मैं लड़की से बहुत प्यार करता हूं.
हम दोनों पिछले चार साल से एक-दूसरे से बात कर रहे थे. यह बात उस वक्त उसके पिता को नहीं पता थी. जब लड़की के पिता को पता चली तो, बेटी को घर बुला लिया. और फिर क्या हुआ मुझे नहीं पता. उसके बाद लड़की के पिता से मेरी तीन बार बात हुई . वे मुझे धमकी दिलवाने लगे, जिससे मुझे टेंशन हो रहा था. मुझे कुछ पता नहीं, क्या चल रहा है. मैं क्या करूं. गुड बाय…. मिस यू –. मेरे घर वाले शादी कराने के लिए तैयार थे. लेकिन, मेरी औकात लड़की की जितनी नहीं.
प्रभात खबर अपील
जिंदगी अनमोल है, मुश्किलों से लड़ना सीखिए
भागलपुर में 22 साल के नौजवान गगन सिंह की आत्महत्या की खबर अत्यंत पीड़ादायक और दुर्भाग्यपूर्ण है. पीड़ादायक इसलिए कि एक नौजवान, जिसने अभी जिंदगी की शुरुआत की थी और जिससे परिवार व समाज की अपेक्षाएं जुड़ी थीं, असमय इस दुनिया से चला गया. दुर्भाग्यपूर्ण इस लिहाज से कि उसने संघर्ष की बजाय मौत का रास्ता चुन लिया.
उसकी मौत ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या पढ़ाई, प्रेम या परीक्षा में असफल होने का रास्ता अपना जीवन खत्म कर देना ही बचता है? जवाब है- कदापि नहीं. यह रास्ता तो संघर्ष से भागने जैसा है. ईश्वर ने जीवन जीने के लिए दिया है. जीवन तो बर्दाश्त करने, मुश्किलों से लड़ने, कभी उनसे समझौता करने और कभी उन्हें पराजित करने, चुनौतियों व कठिनाइयों से भरी एक रोमांचक यात्रा है.
प्रेम किया, तो उसे हासिल करने के लिए लड़िए या फिर नये सिरे से जिंदगी शुरू कीजिए. परीक्षा में असफल हुए तो कैरियर तलाशने के रास्ते और भी हैं.
प्रभात खबर की अपील है कि आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम से बचिए. यह मानिए कि इस समाज में आप अकेले नहीं हैं. जब भी अवसाद की स्थिति आये या खुद को आप अकेले पाएं तो अपने परिवार, पड़ोस, समाज से सरोकार बढ़ाइए. इससे रास्ता निकलेगा. समाज से संवाद कीजिए.
हां, आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियों से निजात के लिए समाज को भी आगे आना होगा. आपके आसपास जब भी कोई नौजवान, छात्रा-छात्राएं अवसाद की स्थिति में दिखें तो उनसे बातचीत कीजिए. उन्हें एहसास दिलाइए कि वह अकेला नहीं है. यह मानना होगा कि जिंदगी अनमोल है और यह एक बार ही मिलती है. आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम से इसे खत्म करना कतई उचित नहीं है.
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