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Friday, March 29, 2024

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भागलपुर : योजना जेनरिक दवा को घर-घर पहुंचाने की, पर दवा की सप्लाई ही नहीं, सूगर और कैल्शियम की भी नहीं है दवा, परेशान हैं मरीज

दीपक राव, भागलपुर : महंगी दवा के बोझ से आम लोगों को मुक्त कराने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र की स्थापना करवाई है. देश में हर जगह इन केंद्रों के माध्यम से सस्ती जेनरिक दवा आम लोगों को उपलब्ध कराना है. इस योजना के तहत हर जगह कई जेनरिक दवा की […]

दीपक राव, भागलपुर : महंगी दवा के बोझ से आम लोगों को मुक्त कराने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र की स्थापना करवाई है. देश में हर जगह इन केंद्रों के माध्यम से सस्ती जेनरिक दवा आम लोगों को उपलब्ध कराना है.
इस योजना के तहत हर जगह कई जेनरिक दवा की दुकानें खुलनी थी, पर भागलपुर में ऐसी सिर्फ दो दुकानें ही खुली हैं, पर उनमें भी सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. जितनी दवा रहनी चाहिए, उसकी जगह सिर्फ कुछ दाव उपलब्ध है, शेष के लिए दवा दुकानदार पत्र लिख-लिख कर थक चुके पर कोई सुनवाई नहीं हो रही. हालत यह है कि जवाबदेहों की गड़बड़ी का खमियाजा भुगत रहे यहां के लोग और उन्हें महंगी दवा खरीदनी पड़ रही है.
एक नजर में जाने जेनेरिक व अन्य कंपनी की दवा की कीमत का अंतर
दवा की कीमत का अंतर साफ है. पर अधिक कमाई के कारण जेनेरिक को जवाबदेह नहीं फलने-फूलने देना चाहते.
दवा का नाम अन्य कंपनी जेनेरिक
पारासिटामोल एक रुपये पीस 50 पैसे से कम
कैल्शियम आठ से 10 रुपये पीस एक से दो रुपये पीस
कफ सिरप 70 से 80 रुपये बोतल 18 से 23 रुपये
दवा का नाम अन्य कंपनी जेनेरिक
सिप्रोफ्लॉक्सिन 500 4 रुपये पीस एक से दो रुपये पीस
मधुमेह 10 रुपये पीस एक रुपये पीस
मल्टी विटामिन तीन रुपये पीस 50 पैसे से दो रुपये पीस
गैस 10 रुपये पीस एक रुपये
दिल्ली व रांची से यहां आती हैं दवाइयां
दिल्ली के सेंट्रल वेयर हाउस व रांची के जीपी सेल्स से भागलपुर को दवा सप्लाई की जाती है, लेकिन लगातार पत्र के बाद भी कोई जवाब नहीं है.
60 फीसदी मरीज लौट जाते हैं निराश होकर
केंद्र के संचालक ने बताया कि सस्ती दवा को लेकर लोगों में जागरूकता है. अब दुकानों पर ग्राहक भी आते हैं, लेकिन दवा उपलब्ध नहीं होने से 60 फीसदी मरीज नाराज हो लौट जाते हैं.
खुलनी थी आठ दुकानें, खुली मात्र दो: जन औषधि केंद्र के प्रतिनिधि अशोक कुमार के अनुसार जिले में आठ जेनरिक दुकानें खुलनी थीं, पर एक साल से अधिक बीतने के बाद भी दो दुकानें ही खुल पायी हैं.
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की योजना के अनुसार हर अनुमंडल अस्पताल में जेनरिक दवा की दुकानें खोलनी हैं. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, सदर अस्पताल परिसर व आसपास इलाकों में जेनरिक दुकानें खोलनी हैं, पर इस नियम का पालन नहीं किया गया है.
रहनी है 450 प्रकार की, पर उपलब्ध हैं मात्र 150 प्रकार की दवा: नियमानुसार जेनेरिक दवा दुकानों में 400 से 450 प्रकार की दवा रखनी है, लेकिन यहां मात्र 150 प्रकार की हीं दवा उपलब्ध है.
हाल यह है कि आम बीमारी मधुमेह की दवा भी उपलब्ध नहीं. एंटीबायोटिक बहुत कम है. मल्टी बिटामिन में न सिरप है और न ही टेबलेट. सर्दी की कुछ ही दवा बची है. एंटीबायोटिक इंजेक्शन नहीं है. पेट से संबंधित एंजाइम सिरप खत्म हो गया है. कैल्शियम की भी दवा नहीं है.
क्या है खेल
जेनेरिक दवा से न तो कंपनी को फायदा है और न ही चिकित्सकों को. इस कारण इस दवा के प्रसार-प्रचार में कोई रुचि नहीं लेता और न ही लेने देता है. जानकार कहते हैं कि सब कमिशन का खेल है. जेनरिक दवा नहीं बिकेगी तो सबकी बल्ले-बल्ले है.
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