भागलपुर : जिले में करीब 15 लाख महिलाओं की आबादी है. इनके सेहत को दुरुस्त करने के लिए जिले में एक सदर हॉस्पिटल, दो अनुमंडलीय हॉस्पिटल, तीन रेफरल हॉस्पिटल, 12 पीएचसी व 362 हेल्थ सब सेंटर कार्यरत हैं. इन हॉस्पिटलों में कुल 22 महिला चिकित्सक ही हैं. करीब आधा दर्जन बड़े हॉस्पिटलों को महिला चिकित्सक तक उपलब्ध नहीं है. हर साल यहां पर करीब 80 हजार महिलाओं का प्रसव किया जाता है.
एनिमिया तो कभी प्रसव में होती है महिला मरीजों की मौत
भागलपुर : जिले में करीब 15 लाख महिलाओं की आबादी है. इनके सेहत को दुरुस्त करने के लिए जिले में एक सदर हॉस्पिटल, दो अनुमंडलीय हॉस्पिटल, तीन रेफरल हॉस्पिटल, 12 पीएचसी व 362 हेल्थ सब सेंटर कार्यरत हैं. इन हॉस्पिटलों में कुल 22 महिला चिकित्सक ही हैं. करीब आधा दर्जन बड़े हॉस्पिटलों को महिला चिकित्सक […]
जिले की 40 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो गर्भधारण के दाैरान एक भी एएनसी (प्रसव पूर्ण जांच) नहीं कराती है. हर माह औसतन आठ महिलाएं गर्भधारण से लेकर प्रसव के 42 दिन के अंदर मौत के मुंह में चली जाती हैं. कहने को जिले में पांच बीएसयू (ब्लड स्टोरेज यूनिट) कार्यरत हैं. बावजूद कुल मातृत्व मृत्यु दर में 27 प्रतिशत मौतों का कारण पीपीएच (पोस्टमार्टम हैमरेज) है. हर दिन मायागंज से लेकर सदर हॉस्पिटल में प्रसव के लिए आने वाली हर 10 में करीब छह महिला एनिमिया की शिकार होती है.
आधा दर्जन अस्पताल में नहीं हैं महिला डॉक्टर
जिले के आधा दर्जन ऐसे अस्पताल हैं, जहां पर एक भी महिला डॉक्टर नहीं है. जबकि इन अस्पतालों प्रतिदिन कई महिला मरीज आती हैं.
सदर अस्पताल का हाल
सदर हॉस्पिटल की ओपीडी में हर रोज करीब 200 से 250 की संख्या में मरीज अपने जांच-इलाज के लिए आते हैं. इनमें से करीब 100 से 125 के बीच गर्भवती एवं महिला मरीजों की संख्या होती है. इनके इलाज के लिए यहां पर पांच महिला चिकित्सक क्रमश: डॉ प्रियंका रानी(एमएस), डॉ प्रियंका कुमारी (एमएस), डॉ सुशीला चौधरी, डॉ अल्पना मित्रा (दोनों एमबीबीएस), डॉ आभा सिन्हा (डीजीओ) की तैनाती है. यहां पर हर रोज करीब डेढ़ दर्जन प्रसव करवाये जाते हैं. इनमें से दो से तीन डिलेवरी सिजेरियन के जरिये होती है.
इसमें अगर मिनी लैप, प्रसव बाद बंध्याकरण, महिला बंध्याकरण के मामले को जोड़ दिया जाये तो यहां पर हर रोज औसतन आठ से 10 छोटे-बड़े ऑपरेशन किये जाते हैं. जबकि इन पांच महिला चिकित्सक के अलावा यहां पर तैनात तीन सर्जन डॉ असीम कुमार दास, डॉ अभिषेक व डॉ साकेत रंजन भी इन आॅपरेशन को करते हैं. पीएचसी खरीक, नारायणपुर, बिहपुर, रंगरा, पीरपैंती, गोराडीह पर महिला डॉक्टर नहीं हैं. इन अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग ने प्रसव पूर्ण जांच-इलाज, डिलेवरी,
टीकाकरण आदि की जिम्मेदारी दे रखी है. फाइलों में इन अस्पतालों पर हर माह नौ तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य सूत्रों के अनुसार, यहां पर हर राेज डिलेवरी के 30 से 35 केस ऐसे आते हैं. आंकड़ों की बात करें तो सदर हॉस्पिटल में पांच, नवगछिया में दो, गोपालपुर, इस्माइलपुर, सबौर, शाहकुंड, सन्हौला पीएचसी में एक-एक, जगदीशपुर पीएचसी में दो (इसमें से एक दंत चिकित्सक), कहलगांव अस्पताल में दो, सुलतानगंज व नाथनगर में तीन-तीन महिला चिकित्सक की तैनाती है.
2017 के नौ माह में हुई 96 मातृत्व मौत
आंकड़ों की बात करें तो मार्च 2017 से लेकर दिसंबर 2017 के बीच कुल मातृत्व मृत्यु की संख्या 96 रही. गर्भधारण से लेकर प्रसव के 42 दिन के अंदर होने वाली महिला की मौत को मातृ मृत्यु दर कहा जाता है. इनमें से 27 प्रतिशत मौत पीपीएच (प्रसव बाद होने वाला रक्तश्राव) के कारण हुई. जबकि स्वास्थ्य विभाग के फाइलों में जिले के सदर हॉस्पिटल, कहलगांव, नवगछिया, नाथनगर व सुल्तानगंज के हॉस्पिटल में बीएसयू (ब्लड स्टोरेज यूनिट) चल रहा है.
जिले के सिर्फ तीन हॉस्पिटल में सीजेरियन की व्यवस्था, एक बंद
जिले के तीन हॉस्पिटल क्रमश: सदर हॉस्पिटल, नाथनगर व कहलगांव में ऑपरेशन की सुविधा है. इनमें से कहलगांव हॉस्पिटल में आॅपरेशन की सुविधा बंद हो गयी है. स्वास्थ्य सूत्रों की माने तो ऑपरेशन न होने के पीछे का कारण यहां पर महिला सर्जन की तैनाती का न होना है.
संसाधन बढ़ाने का प्रयास जारी है : डॉ ओमप्रकाश
क्षेत्रीय अवर निदेशक स्वास्थ्य भागलपुर प्रमंडल डॉ ओमप्रकाश प्रसाद ने कहा कि जिले में संचालित हर हॉस्पिटल को संसाधनों से परिपूर्ण करने के लिए प्रयास जारी है. चिकित्सकों की ट्रेनिंग के लिए हर तीन माह पर औसतन एक ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. शहरी क्षेत्र के पिछड़े इलाकों में स्थापित यूपीएचसी पर आयुष या एमबीबीएस चिकित्सकों की तैनाती की गयी है.
डॉक्टरों के लिए लिखा जा चुका है पत्र : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने कहा कि जिले के हॉस्पिटलों के समक्ष बड़ी समस्या डॉक्टरों की कमी है. इसको लेकर स्टेट हेल्थ सोसाइटी को पत्र लिखा जा चुका है. अल्ट्रासाउंड मशीन से जांच की जल्द व्यवस्था की जायेगी. मरीजों की बढ़ती भीड़ के लिहाज सदर हॉस्पिटल में डॉक्टरों की जरूरत है. जिले के विभिन्न हॉस्पिटलों में कहां पर किस बात की कमी है, उसको लेकर एक बैठक जल्द ही किया जायेगा.
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