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भागलपुर के घुड़साल में 27 की जगह आठ घोड़े, वो भी धूल-धुएं से परेशान

ऐसे में घोड़े कैसे करेंगे क्राइम कंट्रोल भागलपुर : ऊंचे और ताकतवर घोड़ों पर सवार स्मार्ट जवानों की कतार देखते ही भीड़ छंट जाती थी, अपराधी भागने लगते थे, पर भागलपुर में यह दृश्य अब कहानियों में सिमट कर रह गया है. हालात नहीं बदले, तो वो दिन दूर नहीं, जब भागलपुर में सेंटर होने […]

ऐसे में घोड़े कैसे करेंगे

क्राइम कंट्रोल
भागलपुर : ऊंचे और ताकतवर घोड़ों पर सवार स्मार्ट जवानों की कतार देखते ही भीड़ छंट जाती थी, अपराधी भागने लगते थे, पर भागलपुर में यह दृश्य अब कहानियों में सिमट कर रह गया है. हालात नहीं बदले, तो वो दिन दूर नहीं, जब भागलपुर में सेंटर होने के बाद भी बाहर से मंगाने पड़ेंगे घुड़सवार दल. बता दें कि भागलपुर के जीरोमाइल में अश्वरोही सैन्य पुलिस बल का सेंटर है. अंगरेजों के जमाने के इस सेंटर में 10 साल पहले तक 27 घोड़े थे. जब घुड़साल से सजे-संवरे घोड़े निकलते थे तो देखनेवालों का मजमा लग जाता था.
लेकिन ये अब अतीत की बातें हो चुकी हैं. धीरे-धीरे यहां के घोड़े मरते गये, पर उनकी संख्या बढ़ाने की कोई खास कोशिश नहीं हुई. नतीजतन यहां पर सिर्फ आठ घोड़े ही बचे हैं. उनमें से चार ने 15 वर्ष की उम्र पार कर लगी है. बता दें कि पुलिस के घोड़े 15 वर्ष की उम्र तक काम करते हैं, फिर रिटायर हो जाते हैं. खास परिस्थितियों में उनसे 20 वर्ष तक काम लिया जाता है. ऊपर से हाइवे की दुर्दशा इन बचे घोड़ों को भी बीमार करने पर तुली है. घुड़साल से सटे हाइवे से हर रोज गुजरनेवाली सैकड़ों गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुआं (काॅर्बन मोनोआक्साइड) व टूटी सड़क से उड़ने वाली धूल से यहां के घोड़े परेशान हैं. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ ध्रुव नारायण सिंह भी मानते हैं कि एक स्वस्थ घोड़े को तीन माह से अधिक दिन तक लगातार धूल-धुएं के वातावरण में रहना खतरनाक है. हालांकि इस बात से राहत है कि इन घोड़ों के लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है. छह करोड़ की लागत से अलग व्यवस्था हो रही है. घोड़ों की संख्या बढ़ाने का भी हो रहा प्रयास.

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