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बिहार के कृषि विकास में बीएयू की अहम भूमिका : राज्यपाल

भागलपुर : कई सदी तक विक्रमशिला यूनिवर्सिटी दुनियाभर में ज्ञान फैलाती रही. बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है. इसकी तस्दीक बीएयू सबौर के छठे दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति सह बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने की. समारोह में राज्यपाल ने स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के 274 […]

भागलपुर : कई सदी तक विक्रमशिला यूनिवर्सिटी दुनियाभर में ज्ञान फैलाती रही. बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है. इसकी तस्दीक बीएयू सबौर के छठे दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति सह बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने की. समारोह में राज्यपाल ने स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के 274 छात्रों को प्रमाण पत्र और मेडल देकर उज्जवल भविष्य की कामना की.

कृषि अनुसंधान को गति देना लक्ष्य
दीक्षांत समारोह के संबोधन के दौरान राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि 1908 में अंग प्रदेश में कृषि महाविद्यालय की स्थापना की गयी थी. इसका मुख्य उद्देश्य कृषि शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना था. इस उद्देश्य में बीएयू सफल साबित हो रहा है. दुनिया का पहली संकर आम की प्रजाति मदमूद बहार और प्रभाशंकर 1950 में यहीं विकसित की गयी. यहीं पहली बार चावल पर अनुसंधान और भूमि सर्वेक्षण शुरू हुआ.
BAU का देशभर में 18वां स्थान
कुलाधिपति ने कहा कि देश के 74 कृषि विश्वविद्यालय और संस्थानों की बीएयू का 18वां स्थान है. यहां के 31 छात्रों ने नेट में सफलता पायी. 55 छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर फेलोशिप मिली. सूचना और प्रौद्योगिकी के लिए बीएयू को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार मिला. बीएयू में कृषि शोध की 270 राज्यस्तरीय, 34 राष्ट्रीय और 9 अंतरराष्ट्रीय स्तर की परियोजना जारी है. एग्री बिजनेस इंक्यूबेटर परियोजना से युवाओं को रोजगार मिल रहा है. कृषि चौपाल, ज्ञान रथ, पीएम कौशल विकास प्रशिक्षण संचालित हो रहा है. उन्होंने कुछ कर दिखाने की अपील की, जिससे इतिहास जगमगाये और आकाश मुस्कुराये.

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