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जागरूकता से ही आधी आबादी रह सकती है सुरक्षित

बेगूसराय : महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शासन और प्रशासन के द्वारा कड़े कदम उठाये जा रहे हैं . इसके बाद भी महिलाएं अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. जो हम सबों के लिए न सिर्फ सोचनीय विषय है वरन इसको लेकर गंभीर पहल करने की भी जरूरत है तभी आधी आबादी के […]

बेगूसराय : महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शासन और प्रशासन के द्वारा कड़े कदम उठाये जा रहे हैं . इसके बाद भी महिलाएं अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. जो हम सबों के लिए न सिर्फ सोचनीय विषय है वरन इसको लेकर गंभीर पहल करने की भी जरूरत है तभी आधी आबादी के चेहरे पर मुस्कान लौट सकेगी.

पहले हैदराबाद की घटना बाद इसके उत्तर प्रदेश के उन्नाव में जिस तरह लड़कियों को रेप कर जिंदा जलाया गया.कहीं न कहीं पुलिस व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक स्तर का निम्न स्तर तक पहुंचना कहा जा सकता है. आज के समय जब लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं फिर उनकी आजादी और उनके साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार पुलिस प्रशासन पर सवालिया निशान लगा रही है.
अक्सर पुलिस प्रशासन लड़कियों द्वारा किये गये रिपोर्ट को हल्के में लेती है.बाद इसके वहीं घटना जब विकराल रूप लेती है तो पुलिस प्रशासन और समाज में चर्चा का विषय बन जाता है. यदि महिलाओं व लड़कियों पर हो रहे छेड़खानी को गंभीरता पूर्वक संज्ञान में लेती तो लड़कियों को अमानवीय व्यवहार से गुजरना नहीं पड़ता. बेगूसराय जिले में भी पूर्व में रेप की घटना को अंजाम दिया गया. शहर में अक्सर छात्राओं व महिलाओं के साथ रोड चलते छेड़खानी की घटनाएं होती हैं.
आधी लड़कियां तो थाने में रिपोर्ट करने से परहेज करती हैं वहीं आधी लड़कियां जो रिपोर्ट करती हैं पुलिस प्रशासन उस मामले में गंभीरता पूर्वक संज्ञान नहीं लेती है. इस वजह से समाज में हैवानियत पनपती है. इससे छुटकारा पाने के लिए लड़कियों व महिलाओं को छेड़खानी जैसी घटना को नजरअंदाज करने की बजाय डटकर मुकाबला करने की आवश्यकता है. पुलिस प्रशासन के सामने लड़कियों की सुरक्षा एक चुनौती के समान है.
जहां एक ओर सरकार बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ का नारा देती है वहीं बेटी के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार समाज को शर्मसार करने का काम कर रही है.आज जरूरत है कि बच्चों को विद्यालय में मोरल वैल्यू का पाठ पढ़ाने के साथ-साथ कानून की बेहतर जानकारी देना. जिससे कि सभ्य समाज में शर्मसार करने वाली कोई विकृत घटना न घटे.
क्या कहते हैं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि
देश के अंदर प्रत्येक दिन रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं. आज भी समाज के अंदर लड़कियां अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं. ऐसे केस की हजारों फाइलें न्यायालय में पड़ी हैं. लेकिन न्याय नहीं मिल पा रहा है. उल्टे समाज के अदंर उसे शर्मिदंगी झेलनी पड़ती है.आज भी यह समाज पुरुष प्रधान है. महिलाओं को हर रूप से शिक्षा,व्यवसाय, रोजगार व आर्थिक रूप से मजबूत होना पड़ेगा.
प्रीति गौतम, सदस्य, बाल कल्याण समिति
आये दिन लड़कियों के साथ हो रहे अमानवीय घटनाओं से आहत हूं. सरकार को इसके लिए कड़ी सुरक्षा का प्रबंध करने की आवश्यकता है. महिलाओं के खुद की सुरक्षा के लिए सभी स्कूल तथा कॉलेजों में सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाये जाने की भी आवश्यकता है. जिससे कि विपरित परिस्थिति में लड़कियां अपनी सुरक्षा खुद कर सकें. इसको लेकर पहल करने की जरूरत है.
विवेक कुमार, छात्र
वर्तमान समय में खासकर छात्राएं अपने -आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. शहर के अंदर जगह-जगह पर मनचलों द्वारा छेड़खानी व छिटाकशी की घटनाएं सुनने को मिलती है. सरकार व प्रशासन को लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. इसको लेकर समाज को भी आगे आने की जरूरत है.
अप्सरा कुमारी, छात्रा संघ अध्यक्ष
समाज के दो बड़े संस्थान परिवार और विद्यालय के कमजोर होने के बाद घर में मां तो है लेकिन मातृत्व नहीं है. विद्यालय में कागजी पढ़ाई यानी अच्छी शिक्षा तो है लेकिन सच्ची शिक्षा नहीं है. बिना सामाजिक सुधार के लड़कियां सुरक्षित नहीं रहेंगी.जीवन के सबसे महत्वपूर्ण निर्माण में मां,पिता और गुरु को साथ होना होगा तभी बदलाव संभव है.
शिवप्रकाश भारद्वाज, शिक्षाविद
महिलाओं की सुरक्षा के लिए तो कानून जरूर बनाये गये हैं.पर स्थानीय पुलिस प्रशासन की उदासीनता की वजह से इस कुकृत्य को बढ़ावा मिलता है. मैं महिला होने के नाते मांग करती हूं कि महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा प्रशासन करें. क्योंकि महिलाओं का अस्तित्व यदि समाज में नहीं बचता है तो एक सभ्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है.
अनिता राय, गृहिणी
अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज को जागरूक करने की जरूरत है. इसके लिए शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक रंगकर्मी, बुद्धिवजीवी, समाजसेवी सबों को आगे आने की आवश्यकता है. सरकार को इस क्षेत्र में एक अच्छी पहल करते हुए सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए कोई भी सजा या कोई भी कानून इसकी सुरक्षा नहीं कर सकता है.
अमित रोशन, रंगकर्मी

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